मुंबई। मुंबई के उपनगर बांद्रा में गत दिनों अचानक आयी भीड़ के बाद उत्तर भारतीय महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय दूबे का वीडियो वायरल होने के बाद उक्त घटना का उसे आरोपी बना दिया गया। इसके बाद सोशल मीडीया पर तरह तरह की अफवाह उड़ने लगी। फेसबुक व व्हाट्सएप ग्रुप में एक संदेश वायरल होने लगा। जिसमे विनय दूबे को मुस्लिम बताया जाने लगा।
वायरल हो रहा यह मैसेज
विनय दुबे की माँ ने मुसलमान से शादी की थी। विनय दुबे के बाप का नाम “महमूद” है!
इसका नाम विनय दुबे नाम जानबूझकर रखा गया, जिससे कि इसे हिन्दू ब्राह्माण समझकर बहुत से हिन्दू भाई बहन गुमराह हो जाये….।
ये जेहादियों का महत्वपूर्ण पैंतरा है हिन्दुत्व और देश को क्षति पहुँचाने का!
विनय दुबे खान का पर्दाफाश जी न्यूज में कल सुधीर चौधरी ने अपनी DNA Report में कर दिया..
तो ऐसे भी बहरूपिये की बातों में ना फँसे,इन गद्दार बहरूपियों को बेनकाब करें,अपने और नासमझ हिन्दू भाई बहनों को जाग्रत करें!
क्या है इस मैसेज का सच !
जिस तरह यह मैसेज प्रसारित हो रहा है। उससे लोंगो में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि जैसे विनय दूबे के पैदा होने से पहले ही सबकुछ प्लान कर लिया गया था। जो मैसेज प्रसारित हो रहा है वह निहायत ही भ्रामक और हास्यापद है। दरअसल खुद को प्रचारित करने के लिए विनय दूबे का नजरिया सिर्फ खुद के प्रति सोच रही। जो लोग उसकी मदद व सहयोग में थे। उन्हे सिर्फ सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ता रहा। हो सकता है कि यही वजह हो जो उसके बारे अफवाह उड़ायी जाने लगी।
विनय दूबे के बारे में जो अफवाह उड़ाई जा रही है। उसमे रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है। विनय दूबे के पिता जटाशंकर दूबे उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के औराई थाना क्षेत्र अन्तर्गत हरिनारायण पुर गाँव के निवासी हैं। उनका विवाह वाराणसी जनपद के एक सम्मानित परिवार में हुआ है। विनय दूबे का गाँव में एक भरापुरा परिवार है। जिनकी आसपास के क्षेत्रो और जनपदों के सम्मानित परिवार में शादियां हुई हैं।
चार भाईयो में सबसे बड़ा विनय दूबे शुरू से ही महत्वाकांक्षी रहा। अभी तक उसके जीवन को देंखे तो उसका मकसद समाजसेवा नहीं बल्कि किसी ना किसी माध्यम से खुद को चर्चित करना रहा है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण यही है कि खुद को चर्चित करने के लिए वह 2012 में वाराणसी से एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा। जबकि वह जानता था कि वाराणसी में एनसीपी का कोई जनाधार नहीं है। उत्तर भारतीयो की आवाज बनने के लिए उत्तर भारतीय महापंचायत के नाम से संगठन बनाया। संगठन के माध्यम से राज ठाकरे और मनसे को निशाने पर लेने लगा। फिर मनसे के सांठगांठ करके उत्तर भारतीयो पर निशाना साधने लगा।
सीएए लागू होने के बाद शाहीन बाग का समर्थन, एनआरसी और सीएए का विरोध, देश के पीएम, भाजपा व आरएसएस का विरोध करना यही दर्शाता है की उसका मकसद एन केन प्रकारेण खुद को चर्चित कर राजनीति में पैठ बनाना था।कोरोना महामारी ने उसके इस मकसद को और आसान बना दिया। असंभव कार्यो को लेकर भी वह वीडियो बनाया और सरकार को चैलेंज कर दिया। बांद्रा में जो भीड़ जमा हुई। वह भीड़ उसके ही बुलाने पर आयी होगी। यह बात ऐसा कोई भी व्यक्ति मानने को तैयार नहीं है जो उसके करीब रहा है। किन्तु यहा भी बिल्ली के भाग से छींका फूटा की कहावत चरितार्थ हुई और देश के नामी गिरामी चैनलो ने उसके काम को आसान कर दिया।
इस घटना के बाद वह सरकार विरोधी गुटों का चहेता बन चुका है। उसके पक्ष में सोशल मीडीया में कैंपेन चलाया जा रहा है।फिलहाल इस घटना ने उसके मकसद को पुरा करने में अहम भूमिका निभाई है। किन्तु जिस तरह उसे मुस्लिम बताया जा रहा है वह पूरी तरह तथ्यहीन और निराधार है।
अच्छा हुआ आप ने बता दिया वरना गांव वाले भी उसे मुस्लिम ही समझने लगे थे
उसके ससुराल वाले उसकी बीवी को वापस बुलाने के प्लान में थे