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संकीर्तन में अश्लील धुनों पर धमाल मचा रहा है व्यास जी का हरमुनिया

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भदोही / सुशील मिश्रा

उत्तर भारत में रामायण, भजन, कीर्तन, सुंदरकांड का अनोखा संगम सदियों से देखा जा रहा है हमारे देश मे सबसे अधिक गायक कलाकार और कवियों ने अपने अपने मुखार बिंद से कई भजनों से सराबोर देश को एक अलग पहचान और ऊर्जा देने का काम किया है।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भोजपुरी जगत ने अश्लीलता की सारी हदों को पार करते हुए उत्तर भारत के यूपी और बिहार के लोगों का सर शर्म से झुका दिया है और उसी कड़ी में आजकल के कुछ उभरते गायक कलाकरों ने भी अपने भजन मंडली के माध्यम से अश्लीलता भरे गीतों को गा कर खुले मंच से भोजपुरी समाज को कलंकित करने का काम कर रहे है।

व्यास जी के हरमुनिया बवाल कईले बा

संकीर्तन करने वालों और उनका साथ देने के लिए हमारे सभ्य समाज के रामायण, संकीर्तन और सुंदरकांड करने वाले व्यास और रामायणी लोगों ने तो अपने आपको अश्लीलता में लिप्त करके महाकाव्य रामायण और श्री हरि कीर्तन सहित सुंदरकांड जैसे ग्रंथो को खुले मंच से अपनी आवाज में अश्लील धुनों पर प्रस्तुत करने के लिए अश्लीलता भरे गीतों का भरपुर सहारा लेने का कार्य किया है।

प्रोत्साहन राशि को नुमाइश का अड्डा बना रहे हैं व्यासों के मठाधीश

हद तो तब हो गई जब मंच पर बैठे व्यासजी अपनी धुन को बजाते हुए कार्यक्रम आयोजक के द्वारा प्राप्त प्रोत्साहन राशि को एक मख़मली चादर पर बिछाकर उस मिले हुए धनराशि की फ़ोटो बाजी करके उस 10,20,50 रुपये के नोटों की फ़ोटो सोशल मीडिया फेसबुक और यूट्यूब पर अपलोड कर देते हैं।

कुछ दशक पहले हारमोनियम पर बैठे व्यासों का होता था सम्मान

पुराने दौर में जब रामायण कीर्तन भजन का आयोजन होता था तब लोग व्यास पीठ पर बैठे व्यास गद्दी पर किसी तरह नतमस्तक होकर अपने आपको धन्य समझते थे और व्यासजी के हारमोनियम पर चढ़ावा के रूप में स्वेक्षा से 10 पांच रुपये चढ़ाकर व्यासपीठ को प्रणाम किया करते थे और अपने आपको सौभाग्यशाली समझते थे।

कलयुग में संकीर्तन के आयोजन में अश्लीलता को बढ़ावा दे रहे हैं आयोजक मंडली

रामायण,भजन, कीर्तन जैसे पुनीत कार्य के आयोजन में आयोजक और संयोजक भी भजन मंडली के ऊपर नोटों की बारिश आजकल ऐसे करते हैं मानो वे किसी संकीर्तन में नहीं डिस्को अथवा पब में किसी गायिका या गायक के नृत्य पर पैसों की बरसात कर रहे हों जो समाज के लिए बेहद नंदनीय साबित हो रहा है।
यह कृत्य हमारे समाज के लिए आगामी समय में बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कोई भी कलाकार व्यास अथवा रामायणी अपनी कला को उन लोगों के दिलों में पहुंचाने का काम करता है जिससे कि उसके सुनने व चाहने वालों में उसके प्रसंशको की तादात बढ़े न कि विरोधाभास हो।
10,20 रुपये के नोटों की महफ़िल सजाकर उसका फ़ोटो शूट करके अपने दिनभर की कमाई को सोशल मीडिया पर दिखावा करना किसी व्यास अथवा रामायण भजन मंडली को शोभा नहीं देता जिन्हें समाज मे लोग मानस प्रेमी कहते हैं।

एक व्यास की जुबानी हरमुनिया के सामने नोटों के बिखरने की कहानी

एक सुप्रसिद्ध रामायणी और संकीर्तन करने वाले व्यास जी ने बताया कि हम कलाकारों की मजबूरी है कि इस तरह के फोटोशूट का दिखावा करके शोशल मीडिया फेसबुक और यूट्यूब पर वायरल करके डालना ताकि हम अगले आयोजन में अपनी बढियां प्रस्तुति देकर आयोजक मंडली से उचित धनराशि पुरस्कार व सम्मान राशि के रूप में प्राप्त कर सकें।

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