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आखिर क्या हुआ जो इस महिला अधिकारी ने दी आत्महत्या कर लेने की धमकी

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sujata patil
sujata patil

मुम्बई: मयावीनगरी कहे जाने वाली नगरी मुम्बई एक  महिला अधिकारी पर आखिर ऐसा क्या बित रहा है,जिससे क्षुब्ध होकर आत्महत्या करनी की धमकी डे डाली। मराठवाडा के हिंगोली जिले की डीवाईएसपी ने सोशल मीडिया के जरिए परिजन समेत आत्महत्या करने की धमकी दी है,जो आजकल सोसलमिडिया पर बहुत चर्चाएँ बटोर रही है। महिला डीवाईएसपी का नाम सुजाता पाटील है, जो 2016 में पदोन्नति पाकर मुंबई से हिंगोली गई थीं।

सुजाता ने मीडिया को बताया कि उनका पूरा परिवार मुंबई में रहता है। परिवार में एक सतरह साल की बेटी भी है, जिससे तीन-चार महीने में सुजाता की एक बार ही मुलाकात हो पाती है। परिवार से दूर होने की कारण के वजह से वह बहुत ही परेशान हैं, इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से लेकर प्रशासनिक व आला अधिकारियों तक प्रर्थना पत्र भेजकर खुद को हिंगोली से मुंबई या आस-पास के इलाके में ट्रांसफर के लिए निवेदन किया था,पर हाल में सरकार की तरफ से चार से पांच बार डीवाईएसपी और एसीपी की ट्रांसफर जो सूची जारी हुई है, उसमे उनका नाम शामिल नहीं था ।

उन्हें उम्मीद थी कि उनका भी हिंगोली से मुंबई ट्रांसफर हो जाएगा, मगर सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों से इस संबंध में कोई प्रतिसाद नहीं मिला। जिससे हताश होकर अब उनके पास परिवार समेत आत्महत्या करने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा है। ऐसा उन्होंने सोशल मीडिया पर लिख कर शेयर किया। जो बहुत ही वायरल हो रहा है।

सुजाता पाटील वहीं महिला अधिकारी है,जो सांगली के एक कैदी अनिकेत कोथले की पुलिस कस्टडी में मौत से उसकी अनाथ हुई तीन साल की बच्ची को गोद लिया है। पटील के  पति आबा साहेब पाटील सेवानिवृत्त आरटीओ अधिकारी हैं, जिन्हें हाईब्लडप्रेशर के साथ दिल की बीमारी भी है। डीवाईएसपी पाटील के तीन बच्चे मुंबई में रहते हैं। इस वजह से उनका मुंबई में रहना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आठ जून को मुंबई, ठाणे, पुणे, नागपुर समेत राज्य के साठ से अधिक डीवाईएसपी या एसीपी का ट्रांसफर किया, लेकिन उनका नाम कहीं नहीं था। जिसे देख  पाटील ने इस संबंध से जुड़े विशेष पुलिस महानिरीक्षक राजकुमार व्हटकर को वॉट्सऐप से संदेश भेजकर अपनी मजबूरी बताई । इसके बावजूद किसी ने उनपर ध्यान नहीं दिया,और उनका ट्रांसफर नहीं हुआ। इन सब वाकया से मानसिक रुप से परेशान होकर उन्होंने लिखा है कि वह ऐसी जिंदगी से अच्छा गढ़चिरौली जाकर शहीद होना अधिक पसंद करती हैं।

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