भाष्कर जी … विधानसभा चुनाव के पूर्व नेशनल इण्टर कालेज में हुये एक कार्यक्रम में भाजपा के तत्कालीन काशी प्रान्त अध्यक्ष आचार्य लक्ष्मण ने आपकी प्रशंसा में कहा था कि भाष्कर जी खुद को संघ और भाजपा के संस्कारों में ढाल लिये हैं। अनशासन, सेवाख् संस्कार और राष्ट्रीयता की सोच के रास्ते पर इसे सुनकर काफी अच्छा लगा था। किन्तु जिस तरह आपके मुख से योगी जी अविवाहित हैं..। सांड़ कैसे पै……। यह सपा की बदमाशी है। आदि आदि शब्द झरते सुने गये उससे हमें ही क्या आपको करीब से जानने वाले लोगों को आश्चर्य और अफसोस हो रहा है। भावावेश में आपने कौन सी संस्कृति भाषा अथवा सोच को शब्द दिया जो आपके व्यक्तित्व में कहीं से कहीं मेल नहीं खाता।
उम्मीद है कि भविष्य में आपके मुख से ऐसा कुछ नहीं सुनने को मिलेगा जो आपकी छवि को छिछोरा साबित करती हो। वैसे यह समझ में नहीं आ रहा है कि भाषा और सोच में इतनी गिरावट कैसे आ गयी।