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जिस माया मे राम नाम नही वह माया किस काम की- व्यास श्री सुरेन्द्र दुबे महाराज

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मुंबई : त्रिमूर्ति चैरिटेबल ट्रस्ट तुलशेतपाड़ा पाइपलाइन भाण्डुप पश्चिम द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा का विश्राम यानी अन्तिम दिवस रहा। जिसमे व्यास श्री सुरेन्द्र दुबे महाराज ने कहा जिस माया मे राम नही वह माया किस काम की ? उन्होने कहा रावण का संहार करने के बाद जब श्री राम अयोध्या लौटे तो उन्हें राजा बनाया गया। राज्याभिषेक के उपरांत उन्होंने अपने सभी प्रेमी भक्तों को उपहार देना आरंभ किए।

सभी भक्त उपहार पाकर बहुत खुश थे। सीता जी ने उनकी परीक्षा लेने के लिए कहा कि आप अपने रोम-रोम मे प्रभु के रहने की बात कहते है उसे कैसे सिद्ध करेंगे? हनुमान जी ने अपना एक रोम उखाड़ा और माता सीता के कान पर लगाया तो उस रोम में से राम नाम की ध्वनि सुनाई दे रही थी। माता सीता और सभासदों की संपूर्ण संतुष्टि के लिए हनुमान जी ने अपनी छाती चीर कर अपने हृदय में बसे साक्षात राम और सीता की छवि को दिखाया। भक्ति की इस अद्भुद मिसाल को देखकर भगवान श्री राम ने हनुमान जी को गले से लगा लिया।

आयोजक मंडल से सदाशिव चतुर्वेदी, महेन्द्र उपाध्याय, रामसजन त्रिपाठी, कमलेश उपाध्याय, अरविंद, राजेश ठाकुर, शिवगणेश त्रिपाठी, अनुपम दुबे, दिनेश पाण्डेय, दिपेश उपाध्याय, पुष्पा दुबे, सरोजा सिंह आदि ने इस सफल आयोजन पर सभी राम भक्तो का अभिवादन व्यक्त किया।

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