Home भदोही जब भदोही सांसद ने जड़ा वरिष्ठ नेता को तानाशाही थप्पड़

जब भदोही सांसद ने जड़ा वरिष्ठ नेता को तानाशाही थप्पड़

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साभार: गूगल
रिपोर्ट: लक्ष्मी शंकर पाण्डेय

इसे ओहदे का गूरूर, अनुशासन को ठेंगा अथवा भाजपा की संस्कारित रीति से पृथक स्वयंभू की तानाशाही नहीं तो और क्या कहा जाय, जब एक एक दबंग सांसद अन्य जनप्रतिनिधियों, पदाधिकारियों की मौजूदगी में एक ऐसे वरिष्ठ कार्यकर्ता को अशोभनीय शब्दों से नवाजते हुये जोरदार थप्पड़ जड़ दिया, जिसे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।

बड़ी बात तो यह है कि प्रतयक्षदर्शी दर्जनों वरिष्ठ जनों सिवा सदर विधायक के किसी अन्य ने सांसद के कथित अमर्यादित कृत्य का विरोध नहीं किया। यह बात दीगर रही कि अचानक हुई उक्त घटना से सभी अचम्भित और सन्न जरूर रह गये। हां यह जरूर हुआ कि सांसद की पहलवानी चांटे की चोट से जमीन पर गिरे पदाधिकारी पर सांसद के कुछ समर्थक इस तरह टूटे जैसे शेरनी के शिकार पर उसके शावक ताजे रक्त का लुफ्त लूटने टूटते हैं।

घटना 2 जून को कार्पेट सीटी स्थित एक्पो मार्ट की है। जहां 3 जून को मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होना था। कार्यक्रम के लिये भाजपा काशी प्रान्त के कार्यकारिणी समिति के सदस्य अशोक तिवारी को सह प्रभारी बनाया गया था। श्री तिवारी 2 जून को तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिये मौके पर आये थे और मंच, डायस आदि के लिये जिम्मेदार लोगों को दिशा निर्देश दे रहे थे।

सूत्रों की मानें तो भदोही भाजपा को अपनी कथित जागीर मानने वाले वर्तमान सांसद को यह बात हजम नहीं हुई कि उनकी मौजूदगी में सीएम के कार्यक्रम के लिये कोई और दिशा निर्देश दे। शायद यहीं कुंठा सांसद के इगो को हजम नहीं हुई और उन्होंने सह प्रभारी अशोक तिवारी को जो हो रहा है उसे चुपचाप देखते रहने की हिदायत दी। इसके जवाब में जब तिवारी ने इसे अपनी जिम्मेदारी बताया तो तैश में आये सांसद न केवल श्री तिवारी को अनेक अशोभनीय शब्दों से नवाजा बल्कि एक ऐसा पहलवानी थप्पड़ जड़ दिया जिसकी चोट श्री तिवारी को जमीन सुंघा दी।

सूत्रों की मानें तो उस दौरान भाजपा के दोनों विधायकों के अलावा जनपद के अन्य वरिष्ठ भाजपाई भी मौजूद थे किन्तु किसी ने कुछ नहीं कहा। सिर्फ सदर विधायक भदोही रविन्द्र नाथ त्रिपाठी आगे बढ़े और इस कृत्य को गलत बताते हुये मामले को और आगे बढ़ने से रोक दिया। सूत्रों की मानें तो सांसद का चांटा खाये श्री तिवारी अभी संभल भी नहीं पायें थे कि मौजूद सांसद समर्थक उनपर टूट पड़े।

उस दिन घटना देर शाम की थी इसलिये किसी तरह से मामले को दबा लिया गया, लेकिन अंदर ही अंदर बात फैलना शुरू हो गयी थी जो सीएम के कार्यक्रम के बाद पटल पर आने लगी। हमार पूर्वांचल से हुई बातचीत में मौके पर मौजूद कई लोगों ने स्वीकार किया कि सदर विधायक के उखड़े तेवर ने बात और आगे बढ़ने से रोक लिया। इस घटना को लेकर तरह तरह की चर्चा हो रही है। कोई इसे सांसद की तानाशही तो कोई उनके ब्राह्मण विरोधी होने की बात कह रहा है। खैर जो भी हो किन्तु इस घटना से भाजपा को नुकसान होने की बात ही कही जा रही है।

6 COMMENTS

  1. अकार्यछम लोगो की ताना शाही रवैया सही नहीं । या तो सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे या उनको इसका प्रतिफल मिलना चाहिए पार्टी कदम उठाये।।

  2. सांसद हो चाहे मंत्री किसी को थप्पड मारने का अधिकार किसने दे दिया क्या वहा अशोक तिवारी जी के अलावा और कोई ब्राह्मण नही था जो इसका विरोध करता क्या ब्राह्मणो का इस समाज में कोई अधिकार नही है की कोई बलिया से अाके यहाँ के ब्राह्मणो को मार देता है भदोही ब्राह्मणो का शहर है वहाँ मौजुद सभी ब्राह्मणो र्शम से मर जाना चहीऐ

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