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जब निकली ऐतिहासिक कांवड यात्रा

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हमार पूर्वांचल
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सुरत। जी हाँ! हम एक ऐतिहासिक कांवड यात्रा की चर्चा कर रहे हैं, जो रविवार 28 जुलाई 2019 को संध्या वंदन के पश्चात प्रस्थान की। इस कांवड यात्रा का आयोजन “भोले बाबा कांवड संघ” द्वारा किया गया था। जो पिछले अठारह वर्षों की तरह इस उन्नीसवे वर्ष भी एक यादगार रही।

इस कांवड यात्रा को नजदीक से देखने और समझने का मुझे पर्याप्त अवसर मिला क्योंकि मैं भी इस कांवड यात्रा में शामिल था। इस ऐतिहासिक कांवड यात्रा की सुरत के तमाम गली मोहल्ले से होती होते हुऐ निकलती है। जहाँ पर सभी कांवडियों को जल भरने की जगह जहांगीर पुरा तक ले जाने के लिए कुल 36 बसों की व्यवस्था की गई थी।

कांवडियों को उनके क्षेत्र से बसों के माध्यम से कुरुक्षेत्र घाट पूज्य श्री मोटा आश्रम जहांगीर पुरा लाया गया, जहाँ जल भरना सुनिश्चित था। सुर्य पुत्री तापी के कुरुक्षेत्र घाट पर जब कांवडिया पहुँचने लगे तो वहां क्षेत्र में केवल शिव भक्त ही दिखाई दे रहे थे। वहां पहुँचने पर संघ की तरफ से सभी कांवडियों के लिए इच्छानुसार नास्ते और फलाहार की व्यवस्था की गई थी। तत्पश्चात सभी लोग तापी में स्नान कर, जल भरकर, माथे पर अष्टगंध का लेप चंदन कर आरती के लिए एकत्रित होते हैं। जहाँ एक विशेष रंग की गुलाबी पोशाक में सभी कांवडिया एक अलग ही छटा बिखेर रहे थे। पूजन व आरती के पश्चात सभी कांवडिया जिनकी संख्या 1500 (संकल्प मंत्र के अनुसार) थी, लयबद्ध तरीके से एक के पीछे एक श्री सिद्धनाथ महादेव के दरबार की ओर प्रस्थान करते हैं।

क्रमशः

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