पुलिस काम काम होता है कि आम जनता की रक्षा करे और कानून व्यवस्था को कायम रखने के लिये अपराधियों को जेल भेजने का काम करें किन्तु आजकल भदोही पुलिस के कुछ अफसर अपनी जेब भरने के लिये जिले के पुलिस कप्तान की आंखों में भी धूल झोंकने से बाज नहीं आ रहे हैं। हांलाकि ऐसे पुलिस कर्मी और अफसर वक्ती तौर पर भले ही अपने कारनामों को छुपा लें, लेकिन जनपद के तेज तर्रार पुलिस कप्तान सचिन्द्र पटेल की निगाहों में देर सबेर आ ही जाते हैं और अपनी किरकिरी कराने के बाद वहीं करते हैं जो कानूनन करना चाहिये।
मंगलवार को ऐसा ही एक नाटकीय मामला जनपद के गोपीगंज में चलता रहा। जो चैन स्मोकिंग और चोरी का सामान खरीदन वाले सर्राफा व्यवसाइयों से जुड़ा हुआ है। सर्राफा व्यवसाईयों को बचाने के लिये सत्तापक्ष के कुछ नेताओं, ज्ञानपुर और गोपीगंज पुलिस के दो अफसर ने पूरी ताकत झोंक दी, कोतवाली गोपीगंज और ज्ञानपुर कोतवाली में चौबीस घंटे से खूब सेटेलमेंट ड्रामा चला। यहां के अफसरों ने पहले तो इस खेल में जेब गरम की लेकिन जब पुलिस अधीक्षक को मामले की जानकारी मिली तो उनके कड़े तेवर ने पूरे मामले को ही पलट दिया। जब गोपीगंज पुलिस पर एस.पी. भदोही का ईमानदारी वाला थप्पड़ लगा तो तीनों स्नेचर और दो आभूषण व्यवसाइयों के मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की गई।
बता दें कि गोपीगंज कोतवाली क्षेत्र में गांव के लोगों ने एक चेन स्नेचर को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था जबकि दो फरार होने में सफल रहे। चेन स्नेचर दीनानाथ तिवारी की निशानदेही पर गोपीगंज के सौरभ गुप्ता और घोसियां के अनुज गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों आभूषण व्यवसाइयों की पैरवी में पिछले चौबीस घंटे से कोतवाली में सत्ता पक्ष के कुछ चर्चित नेतओं का जमावड़ा लगा रहा। पुलिस भी अपनी जेब गरत करने के लिये बोली लगाती रही। मंगलवार को दोपहर तक मोल भाव तय होता रहा।
विभागीय सूत्रों की मानें तो घोसियां के आभूषण व्यवसाई की पत्नी से समझौता के नाम पर मोटी रकम भी उठा ऐंठ भी ली गई,लेकिन इस सेटेलमेंट के खेल पर भदोही जिले के ईमानदार पुलिस अधीक्षक सचिन्द्र पटेल ने पानी फेर दिया, क्योकि सचिन्द्र पटेल बड़ी ही बारीकी से इस तरह के मामलों में निगरानी करते हैं और उनको तेज आंखों से कोई बच नहीं पाता।
फिर भी कप्तान की उन तेज आखों में धूल झोंकने का प्रयास जरूर किया गया, लेकिन किसी की एक न चली और आरोपियों पर कार्रवाही हुई। सेटलमेंट का यह खेल यहीं पर नहीं रूका बल्कि थाना से ही निजी मुचलके पर छोड़ने के लिये भी आफर आते रहे। इसमें सत्ता पक्ष के कुछ स्थानीय नेताओं ने भी काफी जोर आजमाइस की, लेकिन किसी की हिम्मत नही हुई कि इस मामले में कुछ किया जाए। इस घटना से एक बात तो साबित हो ही गयी कि अगर टीम का कप्तान ईमानदार है तो टीम के लोगों को भी वैसा ही होना पड़ेगा, लेकिन सब कुछ समझने के बाद भी अफसर अपने कारनामों से बाज नही आते और अपने साथ अपने विभाग की भी किरकिरी कराने में लगे रहते हैं।
जनपद के एक थाने में चलता है अवैध वसूली का खेल, मादक पदार्थ का अवैध व्यवसाय करने वाली एक छोटी मछली को पकड़कर एक बड़े व्यवसायी का नाम जोड़ दिया जाता है, फिर शुरू होता है सेटिंग का खेल — जल्द ही पढ़िये हमार पूर्वांचल की विशेष रिपोर्ट पूरे सबूत के साथ।
साथ ही पढ़िये जनपद के किस थाने में अवैध शराब कारोबारी को बचाने में जुटी पुलिस।
Harishji apane to s.p sahab ki tarif ki accha laga aur hona bhi chahiye per ek bat pe aap dhyan jarur de ki koi chor kisi bhi dukan pe saman bechata aur pura paisa pata hai aap kisi ko dekh ke kaise janoge ki wo chor hai aise me kisi vyapari pe karwai apako anuchit nahi lagta jo ki tax payee ho