सुरत। ऐतिहासिक कांवड यात्रा की आगे की कथा कुछ इस प्रकार है – पूजन व आरती के पश्चात सभी कांवडिया जिनकी संख्या 1500 (संकल्प मंत्र के अनुसार) थी, लयबद्ध तरीके से एक के पीछे एक श्री सिद्धनाथ महादेव के दरबार की ओर प्रस्थान करते हैं।
लयबद्ध तरीके से 2-3 की कतार में जब कांवडिया कदम से कदम मिला कर गुलाबी रंग की पोशाक में सुर्य पुत्री तापी के तट से निकलते हैं तो एक बार पिंक सीटी जयपुर भी खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था। आगे डीजे पर भगवान शिव शंभूनाथ का सुन्दर भजन और पीछे पीछे भजन की ताल पर नाचते-गाते कांवडिया गज़ब का अविस्मरणीय दृश्य। इसी तरह नाचते-गाते कब 07-08 किमी की दूरी तय करके तलाड गाँव पहुँच गए, किसी भी कांवडिया को पता तक नहीं चला। इस दौरान बीच में कई जगह चाय-बिस्कुट के स्टाल का भी इंतजाम संघ के द्वारा किया गया था जहाँ लोग स्वेच्छा से चाय बिस्कुट पानी का सेवन करते हुए लोग आगे बढ़ कर तलाड गाँव पहुँचे थे।
तलाड गाँव के माध्यमिक विद्यालय में सभी कांवडियो के लिए भोजन और फलाहार की व्यवस्था की गई थी और साथ में ही मसहूर गायक सुरेश जोशी और पूनम के मधुर स्वर में संगीत संध्या का आयोजन किया गया था। कावडिया बंधु भोजन और फलाहार करते हुए भजन संगीत का भरपूर आनंद ले रहे थे और फलाहार व भोजन के पश्चात सभी लोग पूनम और सुरेश जोशी के भजनों पर झुमने लगे भजन संगीत के लिए 12 बजे तक का समय निर्धारित किया गया था, जिसके बाद सभी कांवडिया सिद्धनाथ महादेव ओलपाड के लिए प्रस्थान किए।
हर हर महादेव और बोल बम के उच्च नाद के साथ यात्रा पुनः प्रारंभ हुई। कावडिया बंधु शिव के भक्तिभाव में लीन हो आगे बढते चले जा रहे हैं और साथ में उनके सर से कुछ ही दूरी ड्रोन कैमरा भी बढ़ता जा रहा है। यह पहली ऐसी यात्रा थी जिस पर ड्रोन कैमरा से आयोजक नज़र बनाए हुए थे। परिणाम स्वरूप किसी भी कावडिया बंधु को कोई तकलीफ महसूस नही हुई कि आयोजन समिति का कार्यकर्ता हाज़िर हैं।
योजना समिति के 200-250 कार्यकर्ता अपनी बाइक, ऑटो और फ़ोर व्हीलर से पुरे यात्रा को कवर कर रहे थे। कम से कम 50 बाइक, ऑटो और फ़ोर व्हीलर होंगे जिसके द्वारा कावडिया बंधुओं की सेवा की जा रही थी। जिन्हें पानी की दरकार, उन्हें पानी। जिन्हें फल की दरकार, उन्हें फल। चलते चलते जिन कावडिया बंधु के पैरों में दर्द की शिकायत हो रही थी उन्हें तुरंत पेन किलर स्प्रे और गोली, पानी और फल उपलब्ध कराना आयोजन समिति के कार्य कर्ता की पहली प्राथमिकता थी।
जो कावडिया बंधु ज्यादा थक गए थे या पैर में अधिक दर्द महसूस कर रहे थे उनको भी फ़ोर व्हीलर से बाबा दरबार तक छोड़ने की समुचित व्यवस्था भोले बाबा कांवड संघ सुरत के द्वारा किया गया था। इस प्रकार सभी कांवडिया सिद्धनाथ महादेव सरस गाँव ओलपाड दरबार में सुबह 3 -3:30 बजे से पहुँचना प्रारंभ किए और सुबह 06 बजे तक जूथ पर जूथ पहुँचते रहे व बाबा सिद्धनाथ महादेव का जलाभिशेष और दर्शन करते रहे। सभी ने दरबार में मत्था टेका और अपनी अपनी मनोकामना पूर्ण हो ऐसी अभिलाषा के साथ अपनी उसी बस पर सवार हुए जिस बस ने उन्हें सुर्य पुत्री तापी के तट पर पहुँचाया था। शिव शंभूनाथ के जयकारे के साथ यह कांवड यात्रा सकुशल सम्पन्न हुई।