माखन की दर्द भरी दास्तान, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जायें
भाजपा नेता अजय शुक्ला से दोस्ती की कीमत मां बाप को खोकर चुकानी पड़ी
भदोही। अपने विरोधियों को जान से खत्म कराने, फर्जी मुकदमें में फंसाने और शारीरिक प्रताड़ना देने की कहानियां सिर्फ फिल्मी पर्दे पर देखने को मिलती हैं, लेकिन भदोही जिले में यह सिर्फ कहानी नहीं बल्कि हकीकत में लोगों ने सहा है। जेल में बंद ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक के कई किस्से ऐसे हैं जिन्हें सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जबतक विधायक विजय मिश्रा जेल के बाहर थे तब उनके द्वारा सताया गया कोई शख्स अपनी जुबान खोलने से हिचकिचाता था, किन्तु अब धीरे धीरे लोगों की जुबानें खुलनी लगी हैं।
एक ऐसा शख्स है जिसने दो दिन तक पुलिस की प्रताड़ना गोपीगंज कोतवाली में सही, उसका आरोप है कि विजय मिश्रा के कहने पर पुलिस ने उसके पैरों के सभी नाखून प्लास से उखाड़ लिये। उसका कूसूर सिर्फ इतना था कि उसका संबध भाजपा नेता अजय शुक्ला से था जो विजय मिश्रा के प्रबल विरोधी माने जाते हैं।
बात 15 साल पूर्व 2006 की है। उस समय ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा की तूती बोलती थी। कहा जाता था कि जिले में यदि कोई पत्ता भी हिलता था तो उसकी खबर विजय मिश्रा को हो जाती थी। भले ही विजय मिश्रा ज्ञानपुर से विधायक रहे किन्तु उसकी धमक पूरे जिले में थी। उसके खौफ का आलम यह था कि जिसने भी उसके खिलाफ आवाज उठायी उसे उसका खामियाजा भुगतना पड़ा। कहा तो यह भी जाता है कि विजय मिश्रा ने ज्ञानपुर में किसी को राजनीति करने नहीं दिया। जो भी राजनीति किया उसके सिर पर विजय मिश्रा का हाथ होना जरूरी था। जिला पंचायत हो, या ब्लाक यदि राजनीति करनी हो तो विजय की कठपुतली बनना ही विशेष योग्यता होती थी।
उसी समय ज्ञानपुर विधानसभा से राजनीति में उभर रहे एक युवा नेता ने विजय मिश्रा को चुनौती दे दी। छात्रसंघ से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले बड़ेगांव निवासी डा. अजय शुक्ला ने जिला पंचायत के चुनाव में दस्तक दी। अजय ने सिर्फ दस्तक ही नहीं दी बल्कि 10 हजार से अधिक वोटों से चुनाव भी जीता। यह विजय के वर्चस्व पर एक ऐसा प्रहार था जिससे वे तिलमिला उठे और अजय को सबक सिखाने में लग गये। पहले तो वे अजय को अपने समक्ष झुकाने का प्रयास किये लेकिन जब दांव नहीं लगा तो अपनी राजनीतिक पकड़ का दुरूपयोग करते हुये अजय शुक्ला पर मुकदमा करा दिया। फिर पुलिस डा. अजय शुक्ला को ढूंढने में लग गयी। लेकिन अजय जिले से बाहर निकल चुके थे।
उसके पश्चात अजय शुक्ला के करीबियों को पुलिस ने विजय मिश्रा के दबाव में प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। उसी चपेट में आये गोपीगंज निवासी जयप्रकाश उर्फ माखन जायसवाल। माखन इस समय वैश्य समाज व विश्व हिन्दू परिषद के जिलाध्यक्ष हैं। माखन ने अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुये बताया कि पुलिस उन्हें पकड़ के गोपीगंज थाने लायी और अजय शुक्ला के बारे में पूछने लगी। लेकिन उन्हें जब कुछ मालुम ही नहीं था तो बताते क्या। माखन ने बताया कि पुलिस ने पहले उन्हें लाठी से पीटना शुरू किया। उन्हें जमीन पर गिराकर पांच दर्जन से अधिक लाठियां मारी गयी।
पुलिस की बेरहमी यहीं पर खत्म नहीं हुई बल्कि प्लास मंगाकर उनके पैरों के नाखून एक एक करके सब उखाड़ लिये। थाने में वह रोता रहा, गिड़गिड़ाता रहा, चिल्लाता रहा, रहम की भीेख मांगता रहा किन्तु पुलिस को दया नहीं आयी। विजय मिश्रा के कहने पर उसे दो दिन तक भूखा प्यासा रखा गया और लगातार प्रताड़ित किया गया। माखन का कहना है कि इसी सदमें में उसके माता पिता की जान चली गयी।
हालांकि विजय मिश्रा आगरा जेल में हैं और उनके उपर हो रहे मुकदमों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। वहीं उनके द्वारा प्रताड़ित हुये लोग भी अब खुलकर सामने आने लगे हैं।
नोट : यह खबर माखन जायसवाल के बयान पर आधारित है़, हमार पूर्वांचल खबर क़ी पुष्टि नहीं करता!