पुलिस का काम सिर्फ लोगों की सुरक्षा का जिममेदारी लेना ही नहीं है, बल्कि पुलिस को कभी कभी शिक्षक भी बन जाना चाहिये। शुक्रवार को भदोही पुलिस ने शिक्षक बनकर जो पहल स्कूलों में शुरू की उससे समाज के युवा वर्ग को दो शिक्षा मिलनी तय है। भदोही पुलिस ने जनपद के विभिन्न स्कूलों में यातायात के नियमों को बताने के साथ उन्हें जागरूक भी किया और सुरक्षित जीवन जीने की कला सिखायी।
गौरतलब हो कि पुलिस शब्द कान में गूंजते ही अधिकतर लोगों के दिलों में डर सा बैठ जाता है लोगों को लगता है कि पुलिस बेवजह ही लोगों को मारती या परेशान करती है। जबकि कुछ बातों को छोड़ दिया जाये तो पुलिस हमारी रक्षा करने के लिये ही है। शुक्रवार को भदोही पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में अपर पुलिस अधीक्षक डॉ संजय कुमार व क्षेत्राधिकारी औराई श्री राम करन महोदय के पर्यवेक्षण में जनपद भदोही में चलाये जा रहे अभियान सड़क सुरक्षा – जीवन रक्षा के तहत प्रभारी निरीक्षक कोतवाली औराई सुनील दत्त दुबे ने सेंट जोंस स्कूल में आयोजित कार्यशाला में बच्चों को यातायात के नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी देकर जागरूक किया। स्कूल के वाहनों के चालकों व हेल्परों को बच्चों की सुरक्षा के सम्बन्ध में बरती जाने वाली सावधानियों को बताया।
कोतवाल श्री दूबे द्वारा छात्रों से तेज गति से वाहन चलाने से होने वाले खतरों से भी आगाह किया गया। साथ ही नियम विपरीत वाहन चलाने पर शासन से निर्धारित फाइन से भी अवगत कराया गया। श्री दूबे ने छात्रों को संबोधित करते कहा कि शासन के निर्देश पर पुलिस यातायात नियमों का कडाई से पालन कराने को प्रतिबद्ध है। तेज रफ्तार बाइक चलाने के खिलाफ सख्त कार्यवाही व जुर्माना का प्रवधान है। छात्र बाइक चलाते अनुशासन का ख्याल रखे। बाइक की गति धीमी रखे। इस दौरान तेज गति व खतरनाक ढंग से बाइक चलाने पर लगने वाले जुर्माना से भी अवगत कराया। छात्र सुरक्षित रहे बाइक चलाते हेलमेट का इस्तेमाल करे।
श्री दूबे ने छात्रों को जागरूक करते हुये कहा कि आपकी जिम्मेदारी सुन लेने भर से पूरी नहीं हो जाती है, बल्कि इन बातों को अपने घर परिवार में भी जाकर शेयर करें और अपने पिता व भाईयों तथा पड़ोसियों को बतायें कि यातायात नियम क्या है और उसका पालन न करना कानूनन अपराध ही नहीं जान के लिये खतरा भी है।
भदोही पुलिस द्वारा सिर्फ एक सप्ताह के लिये की जा रही यह पहल हर वर्ष भले ही खानापूर्ति के रूप में देखी जाती है, किन्तु लोग जागरूक बनें तो इका दूरगामी परिणाम सामने आयेगा। हालांकि प्रशासनिक स्तर पर यह व्यवस्था होनी चाहिये कि प्रत्येक सप्ताह किसी न किसी स्कूल या ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता शिविर का आयोजन करके पुलिस और आम जनता के बीच सामंजस्य स्थापित करने की पहल हो। ताकि दोनों एक दूसरे के नजदीक आयें। इससे जहां प्रलिस और पब्लिक के बीच सहयोगात्मक जुड़ाव बनेगा, वहीं यह संबंध कानून व्यवस्था के लिये लाभप्रद होगा।