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जब पसीने की कलम से वक्त खुद गीता लिखे

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हमार पूर्वांचल
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शव्द सुमन संस्था के कवि सम्मेलन में जुटे नेपाल तक के कवि

डा. राकेश ऋषभ के साहित्यिक आयाम पर विमर्श

प्रोफेसर डा. बाल कृष्णा श्रीवास्तव कृत जिन्दगी का आईना कहानी संग्रह का विमोचन

बस्ती । शव्द सुमन संस्था द्वारा प्रेस क्लब में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में वरिष्ठ साहित्यकार डा. राकेश ऋषभ के साहित्यिक आयाम पर विमर्श के साथ ही प्रसिद्ध गणितज्ञ प्रोफेसर डा. बाल कृष्णा श्रीवास्तव कृत जिन्दगी का आईना कहानी संग्रह का विमोचन किया गया।
मुख्य अतिथि दिल्ली से आये वरिष्ठ साहित्यकार डा. राधेश्याम बंधु ने कहा कि साहित्यकार ही संकट के समय समाज को दिशा देेते आये हंै। आज जब चैतरफा सामाजिक भटकाव की स्थितियां हैं कवियों, रचनाकारों को अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा जिससे हमारी जड़ोें के संस्कार पुष्वित, पल्लिवत हो सकें। वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के संयोजन में आयोजित कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार लखनऊ से पधारे डा. सुरेश उजाला ने डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के साहित्य के प्रति समर्पण की सराहना करते हुये कहा कि देश और पड़ोसी देश नेपाल के कवियों, साहित्यकारों का एक मंच पर आकर विमर्श करना बड़ी उपलब्धि है। ऐसे आयोजनों से रचनात्मक दृष्टि का विकास होता है। डा. राधेश्याम बंधु ने भारतीय सेवा संस्थान दिल्ली की ओर से त्रिभुवन प्रसाद मिश्र को समाजसेवा, शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत गौरव सम्मान से सम्मानित किया।

समाजसेवी राना दिनेश प्रताप सिंह ने कार्यक्रम की सराहना करते हुये कहा कि व्यक्ति जब-जब उदास, हताश होता है तो किसी रचनाकार की पंक्तियां उसमें हौसला भर देती हैं।

डा. राकेश ऋषभ के नाट्य कृति ‘यशोधरा’ और व्यक्तित्व, कृतित्व पर वरिष्ठ समालोचक डा. रघुवंशमणि त्रिपाठी, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, डा. सत्यव्रत ने विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि उनकी साहित्यिक कृतियां समय- काल के सन्दर्भो से सीधा संवाद करती हैं।

वरिष्ठ साहित्यकार डा. राकेश ऋषभ ने कहा कि उनकी नाट्य कृति ‘यशोधरा’ पर समीक्षकों ने जिस प्रकार से अपनी अभिव्यक्ति दिया है इससे और बेहतर सृजन का संकल्प दृढ हुआ है।

डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन मंे डा. राधेश्याम बंधु की रचना ‘ जब पसीने की कलम से वक्त खुद गीता लिखे, एक ग्वाला भी बनता स्वयं भगवान है’ को विशेष सराहना मिली। डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी के शेर ‘ ऐ अब्र हमें तू बार-बार सैलाब की धमकी देता है, हम तो दरिया की छाती पर तरबूज की खेती करते हैं’ सतीश आर्य के छंद ‘ बैठी हुई झोपडी में एक अपराधिनी सी, बाल्मिक की कुटी में जैसे कोई सीता हो’ सराहे गये। इसी क्रम में नेपाल की कवियत्री श्रीमती हीरा शर्मा, कवि ओम प्रकाश पोडैल, आलोक सीतापुरी, अम्बिका अम्बुज लखीमपुर खीरी, वेद प्रकाश द्विवेदी, आशीष सोनी ‘बाराबंकी’ कुमारी ज्योतिमा शुक्ल ‘ दिल्ली’ डा. सागर सूद पटियाला पंजाब, आतिश सुल्तानपुरी, सागर गोरखपुरी, ताजीर वस्तवी, डा. वी.के. वर्मा, अजय श्रीवास्तव ‘अश्क’ विनोद उपाध्याय, भद्रसेन सिंह ‘बंधु’ पुष्पलता पाण्डेय, पंकज सोनी, अफजल हुसेन ‘अफजल’ अनवार पारसा, जगदम्बा प्रसाद भावुक, लालमणि प्रसाद, कलीम बस्तवी, रामचन्द्र राजा, डा. सत्यदेव त्रिपाठी, सत्येन्द्रनाथ मतवाला, रहमान अली ‘रहमान’ डा. अजीत श्रीवास्तव ‘राज’ डा. शैलजा सतीश, डा. राजेन्द्र सिंह, डा. राममूर्ति चैधरी आदि की रचनायें सराही गई।

शव्द सुमन संस्था द्वारा वरिष्ठ साहित्यकारों, कवियों के साथ ही राना दिनेश प्रताप सिंह, आलोक मणि त्रिपाठी, पन्नालाल यादव, वृहस्पति पाण्डेय, विनय श्रीवास्तव, अविनाश श्रीवास्तव, डा. बालकृष्ण लाल श्रीवास्तव, शोभावती देवी शर्मा, राधेश्याम शुक्ल, राजेश मिश्र, वशिष्ठ पाण्डेय, श्याम प्रकाश शर्मा, आशुतोष नारायण मिश्र, मो. वसीम अंसारी आदि को विभिन्न अलंकरणों से सम्मानित किया गया। देर तक चले कवि सम्मेलन में प्रेम शंकर द्विवेदी, राम मूर्ति मिश्र, पेशकार मिश्र, जय प्रकाश स्वतंत्र, जय प्रकाश गोस्वामी, सन्तोष भट्ट, रोहित यादव, धु्रपनाथ मौर्य, रामनयन पाण्डेय, सुनील रानी श्रीवास्तव, अजय कुमार सिंह, के.एस.एन. सिंह, दीपक प्रसाद के साथ ही बड़ी संख्या में श्रोताओं ने कविता के विभिन्न रसों का आनन्द लिया।

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