Home भदोही झूठा कौन? विधायक या चेयरमैन

झूठा कौन? विधायक या चेयरमैन

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भदोही नगरपालिका के चेयरमैन पर भ्रष्टाचार का आरोप भदोही विधायक द्वारा लगाने के बाद मामला और भी गरम हो गया है। विधायक के प्रेस कांफ्रेस के बाद अब चेयरमैन अशोक जायसवाल ने पत्रकारों के सामने विधायक रविन्द्रनाथ त्रिपाठी को झूठा करार ही नहीं दिया बल्कि सपा बसपा का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थक भी बता डाला।

बता दें कि दो दिन पूर्व विधायक नपा की बैठक में आये तो बैठक समाप्त हो चुकी थी जिस पर झल्लाये विधायक ने नगरपालिका को भ्रष्टाचार का अड्डा और चेयरमैन को भ्रष्टाचार का मुखिया बना दिया। नगरपालिका पर करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया।
इसके बाद चेयरमैन अशोक जायसवाल ने विधायक के बयान को पूरी तरह झूठा करार देते हुये खुद को इमानदार बताया और विधायक के सारे आरोपों को गलत बता दिया।

भाजपा के इन द्वय नेताओं की बयानबाजी को लेकर विपक्ष भी मजे से चटकारे ले रहा है। नगर में चर्चा है कि सब कमीशन के बंदरबाट का खेल चल रहा है। चेयरमैन द्वारा विधायक की अनदेशी ही विवाद का कारण बन रही है। लोगों में चर्चा है कि नगरपालिका की नई बोर्ड का गठन हुये अभी 8 माह ही हुये हैं। उसके पहले इसी नगरपालिका के सभाषद पूर्व चेयरमैन के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ रहे थे। तब भी श्री त्रिपाठी विधायक थे फिर चुप्पी क्यों साधे हुये थे। उस समय नगरपालिका का भंष्टाचार उन्हें दिखायी क्यो नहीं दे रहा था।

वहीं विधायक के बयानों से चेयरमैन के विरोधियों में खुशी की लहरें ठिठोली खेल रही हैं। जो कभी विधायक का विरोध करने में लगे हुये थे उन्हें अब बोलने का मौका मिल गया है। ऐसे लोग विधायक की तारीफ करते हुये बोल रहे हैं कि चाहे कुछ भी विरोध हो लेकिन इस मामले में विधायक का समर्थन होना चाहिये। लोगों का कहना है कि नगरपालिका भ्रष्टाचार का अड्डा है, लेकिन विधायक नियत सही करके जांच की बात कर रहे हैं या फिर जांच के नाम पर अंदर ही अंदर कुछ और गणित खेली जा रही है कहा नहीं जा सकता।

चेयरमैन ने अपने बयान में कहा कि जब विधायक प्रेस वालों से बात कर रहे थे तो उनके साथ सपा बसपा के सभाषद बैठे थे और उन्हीं के कहने पर उन्होंने आरोप लगाये। जबकि चेयरमैन प्रेस वार्ता के समय अपने अगल बगल निगाह डालते तो विपक्ष के सभाषद उनके पास भी मौजूद थे।

वैसे चर्चाओं की मानें तो विधायक द्वारा चेयरमैन के खिलाफ बयान देने के बाद जो आरोप चेयरमैन ने विधायक के उपर लगाये हैं और खुद को पाक साफ बना दिया है उसमें सबसे अधिक मुसीबत विधायक की ही बढत्रनी तय है। क्योंकि दोनों जनप्रतिनिधि भाजपा के ही हैं। संगठन के उच्चस्थ पदाधिकारी कभी नहीं चाहेंगे कि दोनों नेता आपसी विवाद करके पार्टी की छवि को धूमिल करें। इसके लिये दोनों में सामंजस्य स्थापित करने के लिये पार्टी के लोग प्रयास भी करेंगे। यदि पार्टी के हस्तक्षेप से विधायक चुप्पी साध लेते हैं और चेयरमैन की कोई जांच नहीं होती है तो चेयरमैन के खिलाफ जो भी आरोप लगे हैं वे झूठे साबित हो जायेेगे। इससे किसी का भला हो किन्तु नुकसान आम जनता ही होगा जो ऐसे बयानों में फंसकर उम्मीद पाल लेती है।

वैसे भी नेता द्वय के विवादों को लेकर विपक्षियों के चेहरे खुशी से दमक रहे हैं। आरोप प्रत्यारोप के इस खेल में हार—जीत विधायक या चेयरमैन की हो किन्तु विपक्ष की जीत ही होगी। यदि चेयरमैन पर लगे आरोपों को विधायक साबित नहीं कर पाये और जांच नहीं हुई तो लोग यहीं कहेंगे कि विधायक और चेयरमैन के बीच कमीशन की सेंटिंग न होने से विवाद हो गया था और सेटिंग होते ही विधायक ने चुप्पी साध ली, जैसा कि नगर में चर्चा चल रही है। विधायक के चुप्पी साधते ही चेयरमैन के समर्थक अपने हाथों अपनी पठी थपथपा कर विधायक समर्थकों की खिल्ली उड़ाते रहेंगे जिसका असर 2019 पर पड़ना तय है।

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