मंगलवार को केन्द्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी की सभा में हुये बवाल को भाजपा के वर्तमान सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त के विरोध का नाम देकर मामले का रूख मोड़ दिया गया है किन्तु इस बवाल में सबसे बड़ी नाकामी यदि दिखायी दे रही है तो वह है प्रशासन की। आखिर इतनी बड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी वे लोग मंच के पास पहुंचकर विरोध में नारेबाजी करते हैं और पुलिस मूकदर्शक की भूमिका में खड़ी असहाय नजर आती है। यहीं नहीं पुलिस उनलोगों को भरपूर मौका भी देती है कि विरोध करने वाले को पीटा जाये।
बता दें कि जिस समय केन्द्रीय मंत्री भदोही जिले के गोपीगंज में सभास्थल पर थी । उसी दौरान ब्राह्मण युवजन सभा के कुछ लोग जिलाध्यक्ष अंबरीश तिवारी के नेतृत्व में मंच के पास पहुंच जाते हैं। वे सांसद के खिलाफ नारेबाजी करने लगते हैं और कुछ भाजपाई उसे पकड़कर सभास्थल से दूर ले जाते हैं और बकायदा उसकी पिटाई करते हैं। तत्पश्चात पुलिस उसे पकड़कर किसी अज्ञात स्थान पर लेकर चली जाती है।
सोचने वाली बात यह है कि अंबरीश तिवारी काफी दिनों से सांसद का विरोध कर रहा था। उसने बकायदा सोशल मीडिया पर घोषणा की थी कि सभास्थल पर पहुंचकर सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त का विरोध करें । यहीं सूचना कई व्हाट्सअप ग्रुप में भी भेजी गयी थी। इसके बाद भी जिले का प्रशासन और खुफिया विभाग इस बात को गंभीरता से क्यों नहीं लिया इस पर मंथन करने की जरूरत है। यदि पुलिस चाहती थी तो सभस्थल पर पहुंचने से पहले ही अंबरीश को हिरासत में लिया जा सकता था किन्तु प्रशासन ने ऐसा नहीं किया और विरोध करने का पूरा मौका दिया।