भदोही जिले में एक बार फिर स्कूल वैन में लगी आग के दर्दनाक हादसे में 13 बच्चे जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। जिसमें तीन बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। ईश्वर न करे कि किसी के घर का चिराग बुझ जाये किन्तु जो बच्चे इस हादसे की चपेट में आये हैं वे जिंदगी भर इस हादसे को भसूल नहीं पायेंगे। सामान्य ढंग से जीवन जी रहे इन बच्चों के जीवन पर अब दिव्यांग होने का ठप्पा लग जायेगा। आग में झुलसने को जो दाग इनके शरीर पर बना रह जायेगा। वह उन्हें जीवन भर इस हादसे को भूलने नहीं देगा। हालात यह होंगे कि इसकी कसक इन्हें हमेशा दुख देती रहेगी। समय के साथ भले ही इनके घाव भर जायें किन्तु इनके लिये जीवन जीना कठिन ही साबित होगा। जिले में स्कूली बच्चों के साथ घटने वाली यह तीसरी घटना है। सवाल यह उठता है कि इन मासूमों को मौत के मुंह में ढकेलने वाले गुनहगार कौन हैं।
गौरतलब हो कि इस हादसे ने जुलाई 2016 में भदोही जिले में हुए ऐसे ही एक ऐक्सिडेंट की याद दिला दी जिसमें 8 बच्चों समेत 9 लोगों की मौत हो गई थी। यहां वैन का ड्राइवर ईयरफोन लगाए था। इससे उसे ट्रेन और गेट मित्र की आवाज सुनाई नहीं दी। हादसा कैयरमऊ मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर हुआ था जिसमें स्कूल वैन वाराणसी से इलाहाबाद जा रही पैसेंजर ट्रेन की चपेट में आ गई।
इसके बाद 31 जुलाई 2018 को मटियारी गांव में एक बड़ी घटना होते होते बची थी। स्कूली बच्चों से भरी वैन खेत में पलट गयी थी। जिसमें आधा दर्जन बच्चे घायल हो गये थे। बता दें कि बलदेव शिक्षा निकेतन मटियारी का टाटा मैजिक वाहन बच्चों को लेकर जा रहा था और असंतुलित होकर खेत में जा गिरी।
देखा जाता है कि हर घटनाओं के बाद सोते हुये प्रशासन की नींद खुल जाती है। परिवहन विभाग भी कुम्भकर्णी नींद से जाग जाता है और डग्गामार वाहनों की जांच शुरू कर देता है। जांच के नाम पर कुछ वाहनों पर कार्रवाई करने की खानापूर्ति की जाती है। कुछ वाहने संचालकों से कथित वसूली की जाती है। फिर लोग घटनाओं को भूल जाते हैं और सबकुछ वैसे ही चलने लगता है। ऐसा ही इस मामले में भी होगा फिर सबकुछ सामान्य हो जायेगा और फिर अगले हादसे का इंतजार शुरू होगा।
परिवहन विभाग डग्गामार वाहनों पर क्यों नहीं लगाता अंकुश
भदोही जिले में डग्गामार वाहनों की भरमार है जो सड़क पर फर्राटे भरते रहते हैं। ऐसे वाहन जिले में कई स्थानों पर देखे जा सकते हैं जो बच्चों को लेकर चलते हैं। ज्ञानपुर में हुये इस हादसे में देखा गया कि वैन में रसोई गैस सिलेण्डर लगा हुआ था जिससे वैन को चलाया जाता था। पेट्रोल या डीजल बचाने के लिये ऐसे तमाम वाहन जिले में चल रहे हैं जिसकी जांच करने की जहमत कभी परिवहन विभाग नहीं उठाता है।
इसके अलावा यात्रियों को ढोने के लिये भी जिले में डग्गामार वाहनों की भरमार है। जिसमें क्षमता से अधिक सवारी लादकर ढोया जा रहा है। बताया जाता है कि ऐसे डग्गामार वाहनों से पुलिस और परिवहन विभाग बकायदा हप्ता वसूली करता है। ऐसे डग्गामर वाहनों पर लगाम लगाने की कोशिस इसलिये नहीं की जाती कि उनकी उपरी कमाई का जरिया बंद हो जायेगा।
शिक्षा विभाग की अनदेखी से पनप रहे अवैध विद्यालय
शनिवार को स्कूल वैन में आग लगने वाली घटना के बाद यह मामला संज्ञान में आया कि वैन द्वारा जिस विद्यालय में बच्चों को लेकर जाया जा रहा था। उस विद्यालय की कोई मान्यता नहीं थी। कोचिंग के नाम पर विद्यालय को चलाया जा रहा था। जिले में कुकुरमुत्तों की तरह खुले ऐसे विद्यालयों की संख्या अनेक है। गांव गिरांव के साथ गली कूचों में ऐसे अवैध विद्यालयों को देखा जा सकता है। सोचने वाली बात है कि शिक्षा विभाग इस घटना के बाद स्कूल संचालक के उपर मुकदमा दर्ज करा देगा, लेकिन उन विद्यालयों के बारे में क्या कभी सोचने की जहमत उठायेगा जो बिना मान्यता के धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं।
अभिभावकों को भी होना होगा जिम्मेदार
जनपद में घटी यह तीसरी घटना है जिसमें बच्चे हादसे का शिकार हुये हैं। हर घटनाओं में यहीं देखा गया है कि जिन वाहनों से बच्चों को लेकर जाया जा रहा था वे सभी डग्गामार थे। सोचने वाली बात है कि जो मां बाप बड़े प्यार से अपने बच्चों को पालते हैं। उन्हें अच्छी शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारना चाहते हैं। आखिर उन्हीं बच्चों को ऐसे वाहनों से स्कूल क्यों भेज देते हैं जो उन्हें मौत के मुंह में लेकर चला जाता है।
फिर सो जायेगा प्रशासन या होगी कार्रवाई
ज्ञानपुर में घटी घटना के बाद जिलाधिकारी राजेन्द्र प्रसाद ने कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। अक्सर देखा जाता है कि ऐसे हादसों के बाद अधिकारी कड़ी कार्रवाई करने की बात तो करते हैं किन्तु समय के साथ अपने बयानों को ही भूल जाते हैं। केयरमउ की घटना के बाद भी डग्गामार वाहनों पर पाबंदी और अवैध स्कूलों को बंद करने का बयान अधिकारियों द्वारा दिया गया था किन्तु समय बीतने के साथ अधिकारियों को अपना बयान याद नहीं रहा। जिसका परिणाम है कि इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लग पायी। जिले में अवैध रूप से चल रहे डग्गामार वाहनों की जहां भरमार है वहीं अवैध रूप से स्कूलों का संचालन भी धड़ल्ले से हो रहा है। एक बार फिर ऐसी ही कार्रवाई करने का बयान आ गया है।
सोचने वाली बात है कि क्या इस बार भी ऐसे बयान खोखले ही साबित होंगे या फिर अवैध स्कूलों और डग्गामार वाहनों पर पाबंदी लगाकर मासूम बच्चों को मौत के मुंह में जाने से रोका जायेगा।
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