Home भदोही इस ब्राह्मण पुत्री को न्याय क्यों नहीं दिलाते समाज के ठेकेदार

इस ब्राह्मण पुत्री को न्याय क्यों नहीं दिलाते समाज के ठेकेदार

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anchal mishra

मुम्बई। एक मासूम सी गुड़िया, जब उसे अपने पिता, बाबा, दादी का प्यार दुलार चाहिये था। जब उसे अच्छी शिक्षा, परवरिश चाहिये थी, तो वह अपनी मां के साथ दर—दर की ठोंकरे खा रही थी। तमाशा देखने वाली भीड़ इकठ्ठा होती और तमाशा देखकर चल देती, लेकिन उसे न्याय दिलाने के लिये समाज का कोई ठेकेदार सामने नहीं आये।

जी हां! डेढ़ साल की उम्र से ब्राह्मण पुत्री आंचल मुम्बई से भदोही तक कोर्ट का चक्कर काट रही है। यह उम्र तो उसकी खेलने की थी, अच्छी शिक्षा ग्रहण करने की थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। क्योंकि वह एक गरीब मां की बेटी है।
देश में ब्राह्मणों के नाम पर तमाम ऐसे संगठन बने हैं जो अपने जाति की लड़ाई लड़ने की बड़ी बड़ी बातें करते हैं। संगठन बनाकर लोगों से धनादोहन कर अपनी रोजी रोटी चलाते हैं, लेकिन जब किसी पीड़ित को न्याय दिलाने की बात आती है तो मुंह चुराने लगते हैं। तब उनका मान सम्मान पता नहीं कहा गायब हो जाता है।

आखिर इस मासूम का कसूर क्या है

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भदोही जिले के मूलापुर निवासी नागेन्द्रनाथ मिश्रा के बेटे विपिन मिश्रा ने वैदिक रीति रिवाज से डिम्पल मिश्रा से शादी कर ली, लेकिन नागेन्द्रनाथ मिश्रा को यह रिश्ता इसलिये पसंद नहीं आया कि डिम्पल गरीब थी और उसके पिता के पास देने के लिये दहेज नहीं था। लिहाजा उसने अपने बेटे की दूसरी शादी कर दी। जब डिम्पल न्याय मांगने भदोही गयी तो तमाशाई भीड़ जमा हुई और बाद में किसी ने यह नहीं पूछा कि उसका हाल क्या है।

आंचल के गुनहगार

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आंचल का धोखेबाज बाप डिम्पल के साथ

यह सब वाकया जानने के बाद विपिन मिश्रा की दूसरी पत्नी ने तलाक दे दिया। दूसर पत्नी तो ऐसे समाजद्रोहियों से छुटकारा पा गयी लेकिन डिम्पल अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिये दर—दर भटक रही है। मासूम आंचल का बचपन बर्बाद करने वाले नागेन्द्रनाथ मिश्रा और उसका परिवार आज भी समाज में सिर उठाकर घूम रहा है। आखिर समाज के लोग एकजुट होकर ब्राह्मणों को बदनाम करने वाले ऐसे लोगों को सजा दिलाने का काम नहीं कर सकते तो समाज के नाम पर संगठन बनाकर धंधा करना बंद कर दें।

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