Home मुंबई क्यों सहे अपमान? जब हो वैध टिकट सामान

क्यों सहे अपमान? जब हो वैध टिकट सामान

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गर्मियों की छुट्टियों की शुरुआत हो चुकी हैं रेलवे प्रशासन ने यात्रियों की खातिर सुविधाओं और परेशानी के नियंत्रण पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत कई ट्रेनों के फेरे बढाए गए हैं। यात्रियों की भीड़ भी बढ गई है जिससे यात्रियों को कई तरह की तकलीफ उठानी पड़ रही है। रेलवे ने गाड़ियों के अतिरिक्त फेरों के अपने नियोजन को एक अप्रैल से लागू कर दिया है लेकिन सरकारी अधिकारियों और प्रशासन का लचर, निरंकुश कामों के कारण यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

यह भयावह परिस्थिती से दो चार हुए भांडुप के एक समाजसेवी पुरूषोत्तम यादव, उन्होने अपनी आपबीती बयां करते हुए बताया कि वे अपने परिवार को छोड़ने लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर पहुँचे थे, उन्होंने आगे बताया कि आरक्षण टिकट मिलने की जद्दोजहद करने के बाद परिवार को स्टेशन पर छोड़ना और उसके बाद प्रशासन और रेल विभाग के निरंकुश और अव्यवस्थित कारभार ने मुझे झकझोर कर रख दिया। उन्होंने दुखी मन से हाल बताते हुए कहा कि मेरा परिवार आज २४ अप्रैल की सुबह गोदान एक्सप्रेस से देवरिया के लिए लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर पहुँचा जहाँ आरक्षित डिब्बों में टिकट निरीक्षकों के द्वारा अनारक्षित टिकटधारी यात्रियों को अतिरिक्त दंड वसूल कर और कहीं भी बिठाया जा रहा था, डिब्बों में पहले से ही आरक्षित और वेटिंग टिकट लेकर यात्री लोग बैठे हुए थे फिर भी टिकट निरीक्षकों की मिलीभगत से लोग दरवाजों की पास की जगह, आने जाने वाले रास्ते और टॉयलेट रूम तक भर दिया गया था, आरक्षित डिब्बे अनारक्षित डिब्बों से कम नहीं लग रहे थे।

प्राप्त स्थिति की तस्वीरें लेते समय वहाँ उपस्थित एक टिकट निरीक्षक पाटील को बुरा लग गया जिसका परिणाम यह हुआ कि पुरूषोत्तम यादव के इर्दगिर्द छ और सहयोगी टिकट निरीक्षकों ने घेर लिया और जबरन कहासुनी करने लगे, अपमानास्पद शब्दों के अलावा आप मिडीया के हो जो तस्वीरें खींच रहे हो अपना परिचय पत्र दिखाओं कहकर अपमान किया, इसका विरोध करने पर मामला जीआरपी तक पहुँचा जहाँ टिकट निरीक्षकों की ली गई तस्वीरों को जबरन नष्ट किया गया।

जब रेल मंत्रालय और प्रशासनिक अधिकारियों को पता है गर्मियों में छुट्टियां होने से, लोकसभा का चुनाव पड़ने के कारण, शादी ब्याह के कारण, खेतीबाड़ी का समय होने के कारण भीड़ होना लाजमी है तो इन्हें नियोजन कर व्यवस्था करनी चाहिए, क्या सफर करने वाले रेल यात्री भेड़ बकरी है जो टिकट निरीक्षकों द्वारा पेनाल्टी लेकर डिब्बों में भर दिया जाता है? मंत्रालय प्रतिवर्ष अतिरिक्त ग्रीष्मकालीन गाडियों को चलाता है तब भी भीड़ कम नहीं होती, यात्रियों द्वारा विरोध जताने पर रेल प्रशासकीय अधिकारियों की लॉबी द्वारा प्रताड़ित किया जाता है।

ज्ञात हो कि सुविधाओं के लिए ही तो लोग चार महिने पहले अग्रीम टिकट आरक्षण कराते हैं परन्तु अधिकारियों के द्वारा पेनाल्टी लेकर डिब्बों में भर दिया जाता है तो चार महिने पहले टिकट आरक्षित करने का औचित्य नहीं रह जाता है। इस शिकायती लेख के माध्यम से रेल मंत्रालय को सुझाव है कि उत्तर प्रदेश के जिस रूट पर गाड़ी अंतिम स्टेशन तक जाती है वहाँ पर प्रतिदिन ज्यादा गाड़ियां चलाये साथ ही उस रूट पर पहले पड़ने वाले जिलों के प्रमुख स्टेशनों पर कम से कम एक गाड़ी विशेष रूप से चलाये तो भीड़ नियंत्रित करने में सफलता मिल सकती है क्योंकि लंबे रूट में बीच में पड़ने वाले स्टेशनों के भी यात्री भी उसी लंबी दूरी की ही ट्रेन में बैठते है।

रेल प्रशासन के कर्मचारियों को यह भी समझना चाहिए कि हर यात्री भारतीय नागरिक है और समान रूप से सुविधा और सम्मान का हकदार होता है जिसका किसी भी अधिकारियों को अपने स्वार्थ से अभिभूत अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है।

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