Home ज्योतिष आखिर क्यों महत्वपूर्ण है इस बार का सूर्यग्रहण

आखिर क्यों महत्वपूर्ण है इस बार का सूर्यग्रहण

684
0
surygrahan

11 अगस्त को पड़ रहा है साल 2018 का आखिरी सूर्यग्रहण

जानें ग्रहण का समय और सूतक काल

Pt. Atul Shashtri
Pt. Atul Shashtri

सूर्यग्रहण साल 2018 का अंतिम सूर्यग्रहण होगा जो अगस्त माह में लगेगा। यह आखिरी सूर्यग्रहण 11 अगस्त शनिवार को पड़ रहा है। जो कि आंशिक होगा। जो कि भारत में नहीं दिखाई देगा। इस बार सूर्य आंशिक रूप से ढका हुआ दिखाई देगा और आंशिक रूप से ग्रहण को खण्डग्रास ग्रहण कहते हैं। इसीलिये आज खण्डग्रास सूर्यग्रहण है। ग्रहण के समय चन्द्रमा कर्क राशि और आश्लेषा नक्षत्र में रहेगा।

अतुल शास्त्री बता रहे हैं कब से कब तक रहेगा सूतक

11 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 32 मिनट से शुरू होगा और शाम 05 बजे खत्म होगा। वहीं इस ग्रहण का मध्य काल दोपहर 03:16 पर होगा।
जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है और पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से ढक जाता है, तब सूर्यग्रहण लगता है। सूतक एक दिन पहले ही 10 अगस्त की रात 01.32 पर ही लग चुका है।

सूतक के समय न करें ये काम

सूतक के समय घर में पानी के बर्तनों में, दूध में और दही में कुश या तुलसी की पत्ती या दूब धोकर डालनी चाहिए। अगर आपने अभी तक ये कार्य नहीं किया है, तो कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अतुल जी बता रहे है कि इस बार सूर्यग्रहण बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दिन सावन, शनिवार और अमावस्या भी पड़ रही है। हरियाली अमावस्या या चितलगी अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़ जाये तो, यानि चितलगी और शनिश्चरी अमावस्या एक ही दिन हो, तो उस दिन कुक्कुट, यानी मुर्गे के दर्शन करने चाहिए और किन्नरों को वस्त्र दान करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसे संयोग में कुक्कुट के दर्शन करने और किन्नरों को वस्त्र दान करने से खोया हुआ साम्राज्य भी पुनः पाया जा सकता है

इन देशों में दिखेगा सूर्यग्रहण

कनाडा के उत्तरी भाग, ग्रीनलैण्ड, आइसलैण्ड, ब्रिटिश द्विप समूह, उत्तर पूर्वी यूरोप, नार्वे, स्कैण्डेनेविया के अधिकांश भाग, कजाकिस्तान के अधिकांश भाग, कीर्गीस्तान, मंगोलिया, चीन के अधिकांश भाग और रूस में दिखाई देगा। अन्य जगहों की अपेक्षा रूस में सूर्य सर्वाधिक ग्रहण ग्रस्त होगा। यहां सूर्य बिम्ब लगभग 68 प्रतिशत ग्रहण ग्रस्त होगा, जबकि कनाडा में यह 60 प्रतिशत ग्रहण ग्रस्त होगा। हालांकि भारत में यह सूर्यग्रहण अदृश्य रहेगा अतुल जी बतते है कि

हरियाली अमावस्या के दिन पुरखों के निमित दान-पुण्य और तर्पण आदि कार्य किये जाने का विधान है। इससे पितरों को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण बात आपको अतुल जी बता रहें है कि हरियाली अमावस्या का यह पर्व पर्यावरण संरक्षण के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन हर व्यक्ति को कोई न कोई पेड़ अवश्य लगाएगा।

क्या होता है सूर्यग्रहण

भौतिक विज्ञान की दृष्‍टि से यदि देखा जाए तो जब सूरज व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य की परछाईं कुछ समय के लिए ढक जाती है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

ज्योतिष सेवा केंद्र मुंबई संस्थापक पंडित अतुल शास्त्री सम्पर्क क्रमांक 09594318403/9820819501

Leave a Reply