Home भदोही आखिर क्यों मनाया जाता है दशहरा का त्योहार

आखिर क्यों मनाया जाता है दशहरा का त्योहार

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हमार पूर्वांचल
साभार गूगल

जंगीगंज(भदोही): हम लोगो को ज्ञात होगा कि जब दशहरा का पर्व आता है। तब बच्चों के हर किसी के लिए खुशियों का दिन आ जाता है। दशहरा का त्योहार सभी बड़े बुजुर्ग और माता-पिता अपने-अपने घर मे छोटे बच्चों को दशहरा का मेला देखने के लिए पैसा देते है। और बच्चे काफी खुश नजर आते है। और घर मे अच्छे-अच्छे स्वादिष्ट पकवान खाने के लिए मिलता है। लेकिन आइये जानते है कि। आखिर कार दशहरा का पर्व मनाया क्यो जाता है।

जी हाँ हमारे देश मे दशहरा का पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस पर्व को विजय दशमी भी कहा जाता है। और ये पर्व नवरात्र के समय नव दिन माँ जगतजननी के पूजन करने के बाद दसवे दिन रावण का पुतला बनाकर दहन किया जाता है। इसका कारण त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। ये आदर्शवाद की प्रतिमूर्ति थे।

भगवान राम को अपने पिता के दिए हुए एक वचन के कारण चौदह वर्ष के वनवास पर जाना पड़ा था। जब राम वन के लिए जाने लगे तो उनके छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता भी उनके साथ गए। वन में श्रीराम को देखकर लंका के राजा रावण की बहन सूर्पनखा श्रीराम पर मोहित हो गई और उसने श्रीराम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा।

श्रीराम ने सूर्पनखा को आदरपूर्वक बताया कि वह उनसे विवाह नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी सीता को वचन दिया है कि वह उनके अतिरिक्त किसी और से विवाह नहीं करेंगे। यह कहकर श्रीराम ने सूर्पनखा को लक्ष्मण के पास भेज दिया। लक्ष्मण के पास जाकर सूर्पनखा विवाह करने की हठ करने लगीं तो लक्ष्मण ने उन्हें मना कर दिया। इस पर सूर्पनखा नहीं मानी तो लक्ष्मण ने क्रोधित होकर उसके नाक-कान काट दिए।

रोती हुई सूर्पनखा अपने भाई रावण के पास पहुंची और उसे राम और लक्ष्मण के बारे में बताया। तब रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया। फिर राम भक्त हनुमान ने माता सीता की खोज की। बहुत समझाने के बाद भी जब रावण माता सीता को ससम्मान श्रीराम के पास भेजने के लिए तैयार नहीं हुआ तो श्रीराम ने उसका वध कर दिया और माता सीता को लंका से वापस ले आए।

श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी। इसीलिए इस त्योहार को विजयदशमी भी कहते हैं। रावण के बुरे कर्म पर श्रीराम की अच्छाई की जीत हुई इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। विजयदशमी पर रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है।

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