भदोही में दलित किशोरी की हत्या के मामले में पुलिस पर उठे सवालिया निशान
भदोही। हाथरस की तर्ज पर भदोही में राजनीति करने का मौका गवां चुका विपक्ष मायूस दिखायी दे रहा है। वहीं दूसरी तरफ बैठे बिठाये पुलिस के हाथ अलादीन का चिराग तब लग गया जब परिजनों ने किशोरी की हत्या का आरोप अपने पड़ोसियों पर ही जड़ दिया। भदोही पुलिस ने जिस तरह आरोपियों को गिरफ्तार किया उससे यहीं जाहिर होता है कि भदोही पुलिस के हाथ परोसी हुई थाली लग गयी थी।
बता दें कि दो दिन पूर्व जिले के गोपीगंज थाना क्षेत्र के ग्राम सभा बजरीकला के चकराजाराम तिवारीपुर गांव निवासी मुकेश की पुत्री आंचल 14 वर्ष की गांव से करीब 200 मीटर दूर बाजरे के खेत में एक अक्तूबर गुरूवार को दिनदहाड़े तब हत्या कर दी गयी जब वह शौच के लिये खेत में गयी थी। मामला दलित का था इसलिये विपक्षी राजनीति करने वालों की आंख के सामने हाथरस काण्ड घूम गया और मुद्दा गरमाने के लिये मंथन होने लगा। लेकिन विपक्षियों की सोच तब पानी फिर गया जब मृतका के घर वालों ने अपने तीन पड़ोसियों पर हत्या का आरोप लगा दिया। पुलिस के लिये यह सोने पर सोहागा जैसी स्थिति हो गयी और घर पर आराम कर रहे प्रिंस कुन्दन और कलेक्टर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस के अनुसार तीनों ने मिलकर आंचल की हत्या की।
पुलिस के अनुसार बदला लेने के लिए नाबालिग किशोरी की हत्या की गयी है। पहले रेप की आंशंका व्यक्त की गयी थी किन्तु पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई। पुलिस के बयानों में ही विरोधाभास है। पुलिस के अनुसार पड़ोसियों ने आपसी विवाद के कारण आंचल को मार डाला। जिन पड़ोसियों पर हत्या का आरोप लगा है। उनसे पुराना विवाद होने की बात कही जा रही है, किन्तु ऐसा विवाद भी नहीं था कि हत्या जैसी घटना को अंजाम दिया जाय। मृतका आंचल के चाचा राकेश का कहना है कि “महिलाओं के बीच थोड़ी कहासुनी हुई थी। हम लोगों ने तो कुछ बोला भी नहीं था। इतना बड़ा विवाद नहीं हुआ था कि किसी हत्या कर दो। आखिर उस मासूम का क्या दोष था। अभी उसकी उम्र ही कितनी थी। हमें कभी पता नहीं था कि हमारे पड़ोसी ऐसा भी कर सकते हैं।”
गोपीगंज बाजार से करीब 5 किलोमीटर दूर चकराजाराम तिवारीपुर गांव में अभी भी चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है। हर मोड़ पर सिपाही हैं। प्रदेश के हाथरस, बलरामपुर और आजमगढ़ जिलों में नाबालिगों की निर्मम हत्या के बाद भदोही के इस मामले को भी रेप के बाद हत्या से जोड़कर देखा जा रहा था, लेकिन शुक्रवार दो अक्टूबर को आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाने के बाद ईंट-पत्थर से सिर कुचलकर हत्या करने की बात सामने आई है। हत्या के आरोप में पुलिस ने तीन पड़ोसियों कुंदन, प्रिंस और कलेक्टर को घटना वाले दिन (गुरुवार 1 अक्टूबर) ही गिरफ्तार कर लिया था।
राकेश कुमार का कहना है कि घटना वाले दिन आंचल दोपहर में शौच के लिए गई थी। जब वह बहुत देर तक नहीं आई तब घर से दूसरी लड़की को देखने के लिए भेजा। उसने वापस आकर घटना के बारे में बताया। फिर हम लोग भागकर गये। देखा तो बाजरे के खेत में आंचल खून में सनी थी। उसे तुरंत गोपीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गये लेकिन तब तक वह मर चुकी थी। उसका पूरा चेहरा कुचल दिया था। मासूम को उन लोगों ने बहुत बेरहमी से मारा।”
आखिरी पड़ोसियों पर ही शक क्यों हुआ, इस बारे राकेश का कहना है “28 सितंबर को जब झगड़ा हुआ था तब उन लोगों ने कहा था कि दो चार दिन के अंदर मैं बता दूंगा कि हम लोग कौन हैं और क्या कर सकते हैं। जब पुलिस इनके घर गई तो ये तीनों लोग घर पर ही थे। पुलिस को देखते ही ये लोग कांपने लगे।”
घटना के तीन दिन बाद भी मृतक किशोरी के घर के बाहर आसपास की महिलाएं जुट रही हैं। मां का रो-रोकर बुरा हाल है। घर पर रिश्तेदारों का आना-जाना लगा था। आंचल की मां बेसुध जमीन पर लेटी थी। तीनों आरोपियों के घर आंचल के घर के ठीक सामने 10 कदम की दूरी पर हैं। जब हम वहां पहुंचे तो घर की तीन महिलाएं गेहूं साफ कर रही थीं। पूछने पर पता चला कि उनमें से एक आरोपी प्रिंस की मां और कुंदन की पत्नी हैं। जिनका नाम शीला है। प्रिंस और कुंदन पिता-पुत्र हैं। आपके बेटे और पति ने ऐसा क्यों किया, इसके जवाब में वह कहती हैं, “आप ही बताइये कि हत्या करने के बाद कोई घर में आकर बैठता है? अगर उन लोगों ने मारा होता तो वे घर से भाग जाते ना। जब पुलिस आई तो वे सभी लोग घर में ही थे।”
आरोपी की मां शीला ने बताया कि उनके बेटे प्रिंस की उम्र तो मात्र 10 साल है, वह भला कैसे हत्या करेगा”? बगल में ही घूंघट ओढ़े, गोदी में एक हाथ से बच्ची को पकड़े और दूसरे हाथ से खाट पर बैठे दूसरे बच्चे को खाना खिलाते हुई महिला ने इस पर टोकते हुए कहा, “प्रिंस 10 साल का नहीं 16 साल का है। वह इसी साल अच्छे नंबरों से 10वीं पास हुआ था। पढ़ने में तेज था।” जब हमने उनसे पूछा कि 28 सितंबर को विवाद किसलिए हुआ था, इस पर उन्होंने बताया, “आंचल के चाचा के साले बच्चन की वजह से हुआ था। वह मिर्जापुर से यहां काम सीखने आया था। हमारे घर की बेटी को देखते ही गाना बजाने लगता था। इसी बात को लेकर सभी ने उस दिन उसे रोका था तब उन लोगों ने झगड़ा कर लिया। उसकी नजर ठीक नहीं थी।” “आखिरी बहन बेटी तो सबकी एक समान होती हैं ना।” वे आगे कहती हैं। गांव के कुछ लोगों ने बताया कि बच्चन जो अभी तो यहां नहीं है, उससे बदला लेने के लिए आंचल को मारा गया है। दोनों लोग एक ही समुदाय के हैं लेकिन उनमें पटती नहीं थी।
भदोही के पुलिस अधीक्षक रामबदन सिंह ने शुक्रवार दो अक्टूबर को पोस्टमार्ट रिपोर्ट आने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, “पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार किशोरी की हत्या गला दबाने के बाद ईंट-पत्थर से सिर कुचलकर हुई है। आरोपी अपना गुनाह पहले कबूल चुके हैं। हत्या आपसी विवाद के कारण हुई है।” पुलिस ने एरिया को घेर दिया है। आपसी विवाद क्या था, इसके जवाब में उन्होंने बताया, “मृतक के भाई का साला बच्चन यहीं रहकर गाड़ी बनाने का काम सीख रहा था। आरोपियों के घर की लड़की को देखकर वह गाना बजाता था। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। आरोपियों को लगता था कि बच्चन उनके घर की लड़की के साथ कुछ गलत करता है।” लड़की को ही क्यों मारा, इसके जवाब में भदोही एसपी ने बताया, “आरोपियों ने आंचल को ही इसलिए मारा क्योंकि वे लोग अपने घर की बेटी के साथ हुए दुर्व्यवहार का बदला लेने चाहते थे। आरोपियों ने उस दिन अपने घर से देखा कि वह शौच के लिए जा रही है, वे उसके पीछे-पीछे गये और उसे वहां मार डाला।”
भले ही पुलिस ने मामले को 24 घंटे के अंदर सुलझा दिया हो, लेकिन कुछ सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब अभी तक नहीं मिले हैं। आरोपी प्रिंस की मां शीला ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा, “पुलिस मेरे घर के लोगों को फंसा रही है। पुलिस तो किसी से भी मारकर कुछ भी कबूलवा सकती है। पुलिस आयी और मेरे घर से तीन लोगों को उठा ले गई। उनसे कुछ पूछा भी नहीं। उन लोगों ने इनका नाम बताया और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।” भदोही पुलिस अधीक्षक रामबदन सिंह ने मामले का खुलासा करते हुए पहले बताया कि आरोपियों ने उनसे कहा कि उस दिन उनके घर का जो भी मिलता, वे उसे मार देते। फिर कुछ देर बाद एसपी ने कहा कि अपने घर की बेटी का बदला लेने के लिए उन लोगों ने लड़की को मार डाला।
भदोही पुलिस अधीक्षक के दोनों बयान अलग हैं। पुलिस अधीक्षक ने बच्चन को मृतक के भाई का साला बताया, जबकि मृतक आंचल अभी 14 साल की ही थी और वह अपने तीन भाइयों, दो बहनों में सबसे बड़ी थी। हालांकि पुलिस अधीक्षक ने अपने बयान में सुधार कर लिया था किन्तु बयानों में असमानता होने के कारण यह अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि मामले को खुलाशा करने में पुलिस हड़बड़ाई हुई है। प्रदेश में जिस तरह रेप और हत्या के मामले को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाये जा रहे हैं। उससे यह भी कयास लगाया जा सकता है कि पुलिस बवाल बढ़ने से पहले मामले को रफा दफा करने में लग गयी थी।
ग्रामीणों ने बताया कि मृतक लड़की के पिता मुकेश हरिजन पांच भाई हैं। बच्चन उसके चाचा जुगेश का साला है जो अब यहां से चला गया है। इससे यह भी अंदाजा लगा सकते हैं कि मामले को खत्म करने में पुलिस ने कितनी जल्दबाजी की। गिरफ्तारी के बाद भदोही पुलिस ने पत्रकारों के वाट्सएप ग्रुप में बताया कि तीनों आरोपियों को रामघाट से गिरफ्तार किया। जबकि ग्रामीण, आरोपियों के परिजन और पीड़ित पक्ष के लोग भी कह रहे हैं कि आरोपियों को उनके घर से गिरफ्तार किया था। जब पुलिस ने उन्हें घर से गिरफ्तार किया तो दूसरी जगह से गिरफ्तारी दिखाने का क्या मतलब है? घटना जहांगीराबाद रोड के बगल खेत की है। घटना के बाद पुलिस वहां डॉग स्क्वॉड भी लेकर गयी थी। ग्रामीणों के अनुसार डॉग स्क्वॉड उस दिन घटनास्थल से पूरब की ओर भवानीपुर रोड की तरफ गया था जो कि आरोपियों के घर से दूसरी तरफ है। और क्या हत्या के बाद आरोपी घर में बैठकर पुलिस का इंतजार करेंगे?
पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी कर मामले का पटाक्षेप कर दिया है। पुलिस के लिये सबसे बड़ी सहूलियत यह रही कि मृतका के परिवार वालों ने हत्या का आरोपी अपने पड़ोसियों को ठहरा दिया। आरोपी भी आराम से घर बैठकर अपनी गिरफ्तारी का इंतजार करते रहे। उन्होंने कहीं भागने की कोशिस नहीं की। शायद घटनास्थल से आरोपी उड़कर घर आ गये थे इसीलिये डाग स्क्वायड भी भटककर दूसरी तरफ चला गया। इतनी आसानी से मामले को पटाक्षेप कर देने से भले ही पीड़िता के घरवाले संतुष्ट नजर आ रहे हों, लेकिन जब उनसे सवाल पूछा गया तो पूर्ण रूप से वे भी संतुष्ट दिखायी नहीं दिये। दूसरी तरफ आसपास के ग्रामीण भी संशय में थे। हालांकि किसी ने खुलकर तो नहीं बोला किन्तु उनकी बातों से यहीं लग रहा था कि इतने मामुली विवाद में कोई हत्या जैसी घटना को अंजाम नहीं दे सकता।
फिलहाल एसपी भदोही के अनुसार आरोपियों ने गुनाह कबूल कर लिये हैं और मामले का पटाक्षेप भी हो चुका है, लेकिन लोगों में चर्चा यहीं है कि हाथरस की घटना से घबराई पुलिस ने जल्दबाजी में मामले का खुलाशा इसलिये कर दिया कि कहीं भदोही भी राजनीतिक अखाड़े का केन्द्र न बन जाये।