Home मुंबई सम्मान समारोह के साथ “काव्य-गुलदस्ता” के तत्वावधान में कवियों की सजी महफ़िल

सम्मान समारोह के साथ “काव्य-गुलदस्ता” के तत्वावधान में कवियों की सजी महफ़िल

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मुंबई। काव्य-गुलदस्ता” साहित्यिक संस्था वाशी – नवी मुंबई की ओर से, ९५ वर्ष के वयोवृद्ध पत्रकार-लेखक श्री पूर्णेंदु मालचंदका जी को “सरस्वती सम्मान”,प्रशस्ति पत्र,श्रीफल, शाल,सुच्चे मोतियों की माला व सांस्कृतिक रस्म,पगड़ी पहनाकर विभूषित किया गया । श्री कैलाश कुमार साबू जी ने अपने वक्तव्य में बाबूजी के बारे में विस्तार में अफने विचार रखे। “सम्मन-मूर्ती” पूर्णेंदु जी,जनसत्ता…सबरंग…संझा जनसत्ता…नवभारत टाइम्स…निर्भय पथिक…तथा विभिन्न प्रांतों से निकलने वाली पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहे हैं।

आज भी बिना ऐनक के अखबार पढ़ने में दिलचस्पी रखते हैं…उनके निवास स्थल खारघर में ही उनको सम्मानित कर…दरअसल ”काव्य-गुलदस्ता” खुद भी सम्मनित हुआ है।… दसरे सत्र में काव्य गुलदस्ता के संस्थापक श्री जगदीश गंभीर जी की अध्यक्षता और सरदार त्रिलोचन सिंह जी के सुथरे संचालन में एक घंटे तक “काव्य-पाठ” का दौर चला। प्रख्यात कवि कैलाश साबू ने देश्भक्ति रचना “वंदेमातरम्” सूनाकर तमाम शहीदों के जज़्बे को सलाम किया।…कुलदीप सिंह ‘दीप’ जी ने “कन्या भ्रूण हत्या” कविता पर सटीक अपितु जटिल स्थितियों के सच को उजागर किय। पत्रकार-कवि श्री रवि यादव जी ने अपनी “माँं’ की कविता में खुलासा किया…”ईश्वर से पहले कर लो तुम मां की भक्ति”…तालियों की गडगडाहट के बीच खूब सराही गई।…संस्था अध्यक्ष श्रीमान जगदीश ने कविता के माध्यम से अपनी पुरानी यादें ताजा़ कीं।…वो छत पे सोना…मिट्टी की सुगंध वाले मटके का पानी पीना…झाड़ू से घर की कच्ची दीवारों को चूने से पोतना।…आंगन में ही जामून के पेड़ पर चढ़ना और गिरना…कविता मंत्रमुग्ध कर गई। संचलक त्रिलोचन सिंह जी ने… अपनी कविता में “नसीहत” देते हुए कहा…”शिकायतें कितनीं, और किस किस से करोगे, कोई सब्र से सुनने वाला तो ह…बेहतर हे सामना शिख्वों का कर सको तो निकलो।”

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