भदोही। गोपीगंज क्षेत्र के कौलापुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के संगीतमय प्रवचन कथा वाचक श्री रत्नेश जी महाराज ने कथा के दूसरे दिन कहा कि जीवन में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का परम लक्ष्य है। इसी के लिए जीव का प्राकट्य होता है। विप्र है तो संसार है क्योंकि इसके माध्यम से ही लोगो को मार्गदर्शन मिलता है। गौ की रक्षा ही सबसे बड़ा धर्म है। यदि गाय है तभी धरती रहेगी गौ माँ की उपेक्षा धरती की उपेक्षा है। बिना संत की कृपा से मोक्ष संभव नहीं है। भगवन का प्राकट्य का उद्देष्य संतो गाय पृथ्वी की रक्षा ही है। सुख केवल भगवन के शरण में है। भगवन सुख की खान है। जैसे मृग के नाभि में कस्तूरी का होता है लेकिन वह वन में ढूढती, ठीक वैसे ही मानव के अंदर ही ईश्वर का वास होता है। इस मौके पर काफी संख्या में श्रोता मौजूद थे