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साहित्य की गरिमा बढ़ाकर माता-पिता के स्वप्नों को साकार करती लेखिका आर जे आरती साइया हिरांशी- वि.डी.शर्मा

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“संघर्षों से जूझती बेटी पर गर्व करे स्वयं माँ भारती,।
वह है कवयित्री एवं आकाशवाणी की उद्घोषिका आर.जे.आरती”।।

आकाशवाणी मुंबई की 100.1 एफ. एम. गोल्ड एवं विदेश प्रसारण वाहिनी पर प्रसारित गुजराती कार्यक्रमों में जिनकी मृदु सुस्पष्ट एवं आकर्षक आवाज सुन प्रशंसकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है वह है आर.जे.आरती सैेया “हीरांशी” ।
आरती जी कच्छी विसा ओसवाल जैन समाज की केवल पुत्री ही नहीं पर अनमोल पूंजी भी है ।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक हसती – खिलखिलाती लड़की जिंदा लाश बन गई? कागज कलम लेकर बैठी और कवयित्री बन गई !

वर्ष 2004 में पिता के देहावसान के उपरांत उन्हें इतना आघात लगा कि पिता की मृत्यु पर वो रोयी ही नहीं स्तब्ध जो हो गई थी. चिकित्सकों ने आरती के परिजनों को सलाह दी कि आरती को रुलाया जाए सारे प्रयास असफल रहे पिता के देहावसान के चौथे दिन वह निरुद्देश्य ही एक कागज का टुकड़ा और कलम लेकर कुछ लिखने लगी उसकी आंखों ने बरसना शुरू कर दिया स्तब्धता धूलती गई और कलम से कागज पर जो भी उसने अकेला था वह एक प्रभावी भावनात्मक काव्य बन गया था ।

माँ के पूछने पर भी वह बता नहीं पाई थी कि उसका लेखन शुरू हो गया है क्योंकि वह खुद भी कहाँ, समझ नहीं पाई थी कि उसका लेखन शुरू हो गया है वह स्वयं नहीं समझ पा रही थी कि उसने क्या लिखा है। दुखों, अभावों एवं पीड़ाओं से संघर्ष करती जूझती आरती की अभिव्यक्ति उनकी कविताओं एवं लेखन में स्पष्ट परिलक्षित होने लगी।

“इस तरह पिता के मृत्यु की वजह से आरती की कलम का जन्म हुआ”।

पिता के निधन के 6 महीने बीत चुके थे घर में अभावों का साम्राज्य पसरा हुआ था पिता की मृत्यु के कई वर्षों पहले भाई को भी खोया था। दो बहनों और मां के साथ स्त्री थंबो पर टिके घर में आरती रहती थी। जिसका सर दर्द करे वही चाय पीये’ इस शर्त के साथ आरती के घर में 1 लीटर दूध 4 दिन चलाया जाता था ।

दिसंबर 2004 में समाचार पत्र में काव्य गोष्ठी की खबर पढ़कर आरती वहां चली गई एक श्रोता की तरह काव्य सुनती रही काव्य गोष्ठी से देर रात घर वापस आई उस ही रात उसने 17 कविताएं रच डाली गोष्टी की प्रेरणा उसे प्रोत्साहन दे रही थी मुंबई में आयोजित होने वाले कवि सम्मेलनों में जाने का सिलसिला शुरू हो चुका था। कवि सम्मेलन में आने जाने के लिए अर्थाभाव भी बाधा बना था, किंतु आरती रेलवे व पैदल चलकर कार्यक्रमों में जाने लगी पीतल के बर्तन बेचकर रेलवे टिकट के पैसे माँ मुझे देती थी यह कहते वक्त आरती की आंखें भर आई।

घर से निकलते वक्त आरती माता सरस्वती से यह विनती करके निकलती थी कि हे मां मेरी इतनी लाज रखना कि कवि सम्मेलन के बाहर लगे बुक स्टॉल पर कोई मुझसे बुक खरीदने का आग्रह न करे, पर पैसे ना होने की वजह से साहित्यिक कार्यक्रमों में जाने से आरती को न तो आरती की माँ ने रोका न तो उनकी बहनों ने। पिता की प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरुप आरती की स्वरचित पुस्तिका “सत्यमेव जयते” का प्रकाशन हुआ ।

आरती ने अपने संघर्षो की दास्तान सुनाते हुए यह भी कहा कि उसकी रचनाओं की सारगर्भिता एवं उत्कृष्टता देखकर कई कवियों ने उसकी उपलब्धियों को नकारने का प्रयास किया राह में बाधायें खड़ी करने का प्रयास किया कलम को कुचलने के हद पार प्रयास करते रहे किंतु माँ सरस्वती की कृपा से आरती आगे बढ़ती ही गई।

2012 में आरती के साहित्य जीवन में स्वर्णिम अवसर आया आकाशवाणी पर आरती को काव्य पाठ का अवसर प्राप्त हुआ। उसके बाद आकाशवाणी के युववाणी में आरती के कार्यक्रम प्रसारित होने लगे। आरती ने आकाशवाणी में उद्घोषिका के पद हेतु आवेदन किया और आज आरती जी आकाशवाणी की जानी-मानी उद्घोषिका बन गई है न केवल भारत में बल्कि मलेशिया तथा अफ्रिका में भी आरती के लाइव शो प्रसारित होते हैं ।

आरती अब परिचय की मोहताज नहीं थी 2014 में आरती का काव्य संग्रह “पुष्पदीप” प्रकाशित हुआ जिसे गिरा गुर्जरी सम्मान से सम्मानित किया गया आरती के निबंध संग्रह “पारिजात” को भी गिरा गुर्जरी सम्मान मिला। 2016 में श्री कच्छी विसा ओसवाल स्थानकवासी जैन महाजन नारी उत्कर्ष समिति द्वारा आरती को वूमन्स अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया।

इसी वर्ष से हिंदुस्तानी प्रचार सभा में आरती ने उर्दू सिखना शुरू किया डोंबिवली से चर्नी रोड तक उर्दू सीखने के लिए आवागमन करने वाली आरती को कोई अपेक्षा ही नहीं थी कि वह एक दिन जानी-मानी शायरा बन जाएगी लेकिन मशहूर उर्दू शायरा डॉ. कमर सुरूर के साथ ने आरती के साहित्यिक उड़ान को पंख लगा दिए ऑल इंडिया उर्दू मुशायरा के बैनर तले आरती ने परभणी, श्रीवर्धन, कर्नाटक, अहमदनगर, मुरुड जंजीरा, मीरज, संगमनेर, वडोदरा सहित भारत के अनेक स्थलों में काव्य पाठ किया। जैन होने के बावजूद उर्दू सीखकर उर्दू मुशायरों में छा जाने वाली आरती को मुस्लिम समाज ने भी बहुत प्यार और सम्मान दिया।

2017 में जी.टी.पी.एल. गुजराती चैनल पर आरती ने काव्य पाठ भी किया है, अब तक आरती को ढेर सारे सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। जिनमें आनंदोत्सव सरस्वती सम्मान 2014, वडलो सम्मान 2015, कच्छ शक्ति पारितोषिक 2016, नवी मुंबई केवल फाउंडेशन द्वारा महिला गौरव अवॉर्ड 2017, राइ्टर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन महाराष्ट्र इकाई वाजा इंडिया द्वारा काव्य सम्मान 2017, श्री भाणबाई नेणशी महिला विद्यालय द्वारा बी.एन.एम.वी. महक लिटरेरी अवॉर्ड 2016-17 तथा 2017-18, सहारा एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन परभणी का राज्य स्तरीय महिला गौरव सम्मान 2018, काव्य सृजन द्वारा साहित्य रत्न सम्मान 2018, कच्छ युवक संघ डोंबिवली द्वारा साहित्य सम्मान 2018, शब्दवेल साहित्य प्रतिष्ठान वसई द्वारा बहुभाषी कवि सम्मेलन अंतर्गत काव्य सम्मान 2018, शिवसेना डोंबिवली पश्चिम शाखा क्रमांक 49 द्वारा साहित्य सम्मान 2015, अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा अग्निशिखा गौरव रत्न पुरस्कार 2018, कच्छी जैन फाउंडेशन नवनीत नगर यूथ फोरम द्वारा रिकॉर्ड होल्डर 2019 सम्मान, माध्यम फाउंडेशन एवं शब्द सारथी साहित्य मंच द्वारा काव्य सम्मान 2019 जैसे अनेक सम्मानों के साथ महफिल- ए -ग़ज़ल साहित्य समागम द्वारा आरती को महादेवी वर्मा सम्मान प्राप्त होने वाला है।

आरती सैया “हीरांशी” के पिता का नाम “हीरा” था।
संयोग से आरती की माता का नाम भी “हीरा” ही है पापा के दुख से लिखना शुरू हुआ और माता की रोक-टोक बिना की, विचारधारा ने आरती को आगे बढ़ने दिया इसीलिए आरती ने अपना तखल्लुस रख दिया। “हीरांशी” ‘माता हीरा – पिता हीरा और हीरा की अंश याने हीरांशी’।

यह गर्व की बात है कि जिन काव्य स्पर्धाओं में आरती स्पर्धक के रूप में भाग लिया करती थी उनमें अब आरती जी को अनेक बार निर्णायिका की भूमिका निभाने बुलाया जाता है।
आरती जी के अब तक के साहित्यिक सफर की सबसे बड़ी सिद्धि यह है कि आरती जी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तथा लिम्का बुक में शामिल हुआ है।

28 अक्टूबर से 1 नवंबर तक दिल्ली के दादरी में लगातार 101 घंटे तक चलने वाले मेरेथोन मुशायरे का आयोजन हुआ था। इस मुशायरे में भारत भर के हजारों शायरों में से चुनिंदा 603 शायरों में से एक मात्र कच्छी जैन शायरा थी आरती सैया “हीरांशी”

आरती जी के पठन के सेशन दरमियान ही घोषित किया गया कि अब तक हमने पाकिस्तान का विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया है ।
इस घोषणा ने पूरे मुशायरे के माहौल को जश्न में बदल दिया
मैं जैन हूं,जैन समाज से हूं’ यह कह कर आरती जी ने इस मुशायरे में पठन की शुरुआत राहत इंदौरी, डॉ. कमर सुरूर, डॉ. विष्णु सक्सेना जैसे अनेक नामांकित शायरों के साथ आरती जी को भी विश्व रिकॉर्ड की ट्रॉफी, प्रमाण पत्र व धनराशि से सम्मानित किया गया था।

पापा के अवसान से लेकर आज तक आरती जी के परिवार को जय प्रकाश मोदी जी के मारवाड़ी परिवार ने जो साथ दिया है वह बताते हुए आरती ने कहा कि कोई अगर मुझे पूछे कि खुदा कैसा होता होगा तो मैं कहूंगी कि खुदा यकीनन जय प्रकाश मोदी जी के परिवार जैसा होता होगा समस्त जयप्रकाश मोदी परिवार का ऋण हम कभी अदा नहीं कर पाएंगे और अदा करना चाहते भी नहीं क्योंकि ऋण अदा करके हम उन्हें पराया नहीं करना चाहते हैं ।

आरती जी ने कहा आवास लाभ के लिए कच्छी जैन फाउंडेशन, कच्छी जैन महाजन मुंबई की भी कायम ऋणी रहूंगी। जय प्रकाश मोदी परिवार, डॉ. कमर सुरूर एवं एडवोकेट राजीव मिश्रा की आरती तहे दिल से शुक्रगुजार है जिनके बिना उनका इस मुकाम तक पहुंचना मुश्किल था।

वर्तमान में आरती चर्चगेट, एस.एन.डी.टी. महिला यूनिवर्सिटी के गुजराती विभाग से गुजराती लिटरेचर में एम. ए. कर रही है। वह डॉक्टरेट पी.एचडी करना चाहती है आरती जी को उज्जवल भविष्य एवं नित्य नवीन उपलब्धियों हेतु सभी साहित्यकारों एवं पत्रकारों ने शुभकामनायें दी हैं।

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