भारत में आज भी लाखों लोगों को भर पेट भोजन नही मिलता लेकिन इसी में कुछ ऐसे भी लोग है कि उन्हें भोजन मिले न मिले लेकिन शराब व मादक चीजें जरूर मिलेl नशाखोरी देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है और आज भी नुकसान पहुंचा रहा हैl बहुत जगह देखने को मिलता है कि कम उम्र के बच्चे भी बीड़ी सिगरेट या धुम्रपान करते है , जो देश व समाज के लिये काफी शर्मनाक हैl क्योंकि देश के भविष्य यदि अभी से इस बर्बादी के रास्ते पर चल रहे है तो इनसे आगे क्या आशा की जाये?
भारत एक गरीब देश है लेकिन यहां मजदूरी करने वाले भी अपने अधिकतम आय की हिस्सा शराब या नशा की चीजों में बर्बाद करते है और परिवार गरीबी, बेहाली, भूखमरी, बीमारी की जिन्दगी जीने पर विवश होता हैl भारत में नशाखोरी से लाखों घर बर्बाद हो गयेl कल्पना करें उन महिलाओं का जिनके पति शराब पीकर पत्नी व बच्चों के साथ क्रूरतापूर्वक बर्ताव करते है, उनके बच्चों को दुख होता है, समाज में बेईज्जत होतीे हैl
आजकल कुछ आधुनिक पढे लिखे लोग भी वाईन, व्हीस्की, ब्रांडी लेकर दारू की प्रशंसा करते है और मंहगे सिगरेट की कस लेकर अपने को बडा आदमी सिद्ध करते है लेकिन शायद वे यह भूल रहे है कि यह प्रभाव उनके खुद के बच्चों पर भी पडेगा और तब रोकना चाहेंगे तो देर हो चुकी होगीl दुर्भाग्य की बात यह है कि समाज का नेतृत्व करने वाले कुछ नेता, अधिकारी भी सिगरेट, गुटखा का प्रयोग खुलेआम करते हैl यह मान्यता है कि वही दारू अच्छी है जिसमें अल्कोहल ज्यादा हो क्योंकि अल्कोहल से ही नशा उत्पन्न होता है लेकिन यही अल्कोहल ही तो विष है जो क्षण मात्र की उत्तेजना के लिये हम अपना जीवन विषमय बना लेते है जो धीरे धीरे शरीर को नष्ट कर देता हैl विष कितना भी मीठा हो लेकिन वह दुखदायी ही होता हैl
सरकार द्वारा विभिन्न धुम्रपान की चीजों पर साफ तौर पर खुले व स्षष्ट रूप से चित्र छपा रहता है और वैधानिक चेतावनी लिखी होती है कि तम्बाकू खाने से कैंसर हो सकता हैl लेकिन फिर भी लोग जानबूझ कर अपनी जिंदगी नरक बनाने पर तुले है और बड़े शौक से गुटखा, तम्बाकू, सुर्ती, सिगरेट, गांजा, बीड़ी व शराब का सेवन करके अपने साथ साथ परिवार को भी दुख की आग में झोकते हैl
धुम्रपान से परिवार में अशांति का माहौल बनता रहता है, कभी कभी तो धुम्रपान या शराब का कारण मारपीट या अन्य अप्रिय घटना को भी अंजाम दिलाने में सहायक होता हैl लेकिन *फर्जी बडे आदमी* केवल अपने लत की वजह से समाज व परिवार का ध्यान न देते हुये खुद रोगों को आमंत्रित करते है और बाद में खुद तो भोगकर मर जाते है लेकिन बेचारे बच्चे बिना बाप के दर दर ठोकर खाने के लिये मजबूर हो जाते है और जिंदगी भर बाप के किये कृत्यों से शर्मसार होते रहते है लेकिन नशेडियों से इससे कोई मतलब नही? परिवार में लोगों को देखकर देश के युवा भी नशे की आग में कूद पडते है और अपनी जिंदगी को तबाह करते हैl
“एक सिगरेट पीने से छ: मिनट की आयु में कमी होती हैl* क्योंकि जब कोई व्यक्ति सिगरेट/बीड़ी पीता है तो उसके खून में टार व निकोटिन नामक विषैले तत्व मिल जाते है जो धीरे धीरे शरीर को रोगी बनाने में सहायक होते हैl धुम्रपान करने वाले के पास बैठने से भी धुंआ के माध्यम से पास में रहने वालों के शरीर में भी ये कातिल विष मिलने लगते हैl तम्बाकू से फेफडे का रोग, कैंसर, पुरानी खांसी, दमा,आयु में कमी,उग्रता इत्यादि का रोग होता हैl टीबी के रोगियों पर तम्बाकू का सेवन बहुत तेजी से दुष्परिणाम देता है l धुम्रपान से हुये कैंसर से तीन में केवल एक रोगी की शल्यक्रिया सफल होती है जबकि दो अकाल मृत्यु मरते है और कैंसर दूर हो जाने की स्थिति में लगभग 85% रोगी पांच साल के अन्दर काल के गाल में समा जाते हैl मालूम हो कि तम्बाकू, बीडी, सिगरेट से निकलने वाले धुंए में कई ऐसे रसायनिक पदार्थ रहते है जो कैंसर होने में सहायक होते हैl
विश्व प्रसिद्ध डाक्टरों ने फेफडों के कैंसर का प्रमुख कारण धुम्रपान को बताया हैl सरकार द्वारा धुम्रपान की चीजों पर बताने के बावजूद व्यसन में अंधे लोग चेतावनी को नजरअंदाज करते हुये अपने जीवन को बर्बाद करते हैl तम्बाकू से हृदय रोग, पेट रोग तथा कभी कभी आंख का भी रोग हो जाता हैl
कई लोग नशा करने के पक्ष में मुर्खतापुर्ण तर्क देते है कि बीड़ी या सिगरेट पीने से गैस नही होता, सुर्ती खाने से दांत की बीमारी नही है होती है, सुपाड़ी गुटखा खाने से दांत मजबूत होता है, गांजा पीने से आराम मिलता है, शराब पीने से टेंशन कम होता है इत्यादि बकबासl
कुछ लोग तो आदत की दुहाई देते है कि आदत नही छूटती, अब यहां विचार करने वाली बात है कि जो लोग अपने को नही सुधार सकते वे किसी दुसरे को कैसे सुधारने की बात करते है? मन में यदि दृढ संकल्प हो ही जाये तो किसी भी नशा की ऐसी की तैसी बस सच्चे मन से संकल्प हो कि अब आज से बिल्कुल धुम्रपान नही करूंगाl यह जानकर हैरानी होगी कि यदि किसी के रक्त में दारू से आया हुआ अल्कोहल है तो उसकी संतानों पर भी उसका दुष्प्रभाव पड़ता है क्योंकि बच्चे में रक्त तो बाप और मां का ही होता हैl आखिर बेकसूर बच्चों ने क्या बिगाडा है? भले नशा करने वाले अपने लिये न सही कम से कम बच्चों के लिये तो नशा करना बंद कर देंl
धुम्रपान करने वाले के फेफडों में धुंआ जमता है जिसके फलस्वरूप फेफडे में पर्याप्त हवा न भर पाने के कारण रत्त का शुद्धीकरण सही से नही हो पाता है जो कई रोगों का कारक होता हैl
यदि देश में, समाज में, परिवार में शांति व सुख की इच्छा है तो हम सब को नशामुक्ति को अपने से, अपने परिवार से शुरू करना पडेगा और मन से संकल्प लेना होगा कि सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू, गुटखा, सुपाड़ी, गांजा, भांग, शराब समेत अन्य मादक व नशीली चीजों का प्रयोग नही करेंगे और लोगों को भी इसके दुष्प्रभाव के बारे में बताकर उनको भी नशा मुक्ति के बारे में प्रेरित करेंगेl सभी धर्म-सम्प्रदाय में नशा को पाप बताया गया हैl हमारी आपकी सबकी जिम्मेदारी है कि भारत को नशामुक्त बनाने में यथाशक्ति अपना अमूल्य सहयोग देंl
जाम पर जाम पीने से क्या फायदा
रात बीती सुबह को उतर जायेगीl
तू नशामुक्ति का संकल्प ले ले
तेरी सारी जिंदगी सुधर जायेगी