नवी मुम्बई, नवी मुम्बई के कोपरखैरने के सेक्टर 3 स्थित चिकणेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रहे भागवत सप्ताह में महाराष्ट्र सरकार हिंदी साहित्य अकादमी सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित युवा उपन्यासकार, कहानीकार, कवि, पत्रकार,ग़ज़लकार, प्रखर वक्ता, मंच संचालक एवं विचारक श्री पवन तिवारी जी को श्रीमदभागवत कथा सत्संग समिति की ओर से जगतगुरु भागवताचार्य स्वामी विदेह महाराज के द्वारा “साहित्य दिवाकर” के अलंकरण से स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र, सम्मान पट एवं हार पहनाकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पंडाल श्रद्धालुओं से भरा हुआ था, सभी ने करतल ध्वनि से श्री पवन तिवारी जी का स्वागत किया। साथ ही आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों ने भी स्वागत किया। इस अवसर पर विदेह महाराज के आग्रह पर पवन तिवारी जी ने अपना प्रसिद्ध गीत जिसको आवाज़ दी वो सुना ही नहीं मेरी खामोशियों को सुनेगा वो क्या, को सुनाकर उपस्थित जन समूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
ज्ञात हो कि 12 वर्ष की उम्र से लेखन करने वाले 35 वर्षीय श्री पवन तिवारी जी अब तक अनेकों उपलब्धियाँ हासिल कर चुके हैं। अपनी पहली कहानी संग्रह चवन्नी का मेला से चर्चित हुए श्री पवन तिवारी अपने पहले ही उपन्यास “अठन्नी वाले बाबूजी” के लिए वर्ष 2016 का महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का जैनेंद्र कुमार पुरस्कार प्राप्त कर मात्र 34 वर्ष की आयु में अपनी साहित्यिक प्रतिभा का लोहा मनवाया । उन्होंने अखबार,आकाशवाणी, टीवी चैनल से लेकर, ऑनलाइन पत्रकारिता तक में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया,करीब एक दर्जन पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन रहे पवन जी, हिंदी भाषा के उत्थान के लिए सतत सक्रिय रहते हैं। हिंदी ग़ज़ल और शुद्ध हिंदी गीतों के लिए ख्याति प्राप्त पवन तिवारी बहुमुखी प्रतिभा के धनी बेहद सहज स्वभाव के हैं। आज जब आधुनिकता की अंधी दौड़ लगी है ऐसे में भारतीयता व देशीपन के समर्थक पवन जी अपनी धोती कुर्ते के राष्ट्रीय पहनावे के लिए भी जाने जाते हैं।