मनहरण छंद
बढती हैवानियत शर्मसार कर रही,
ऐसे हैवानों को अब सबक सिखाइये ।
देश में दरिंदे ऐसे घूमते क्यों फिर रहे,
शासन के हाथ कमज़ोर तो बताइये।
बालिक नाबालिक असहाय अबलाओं संग,
अत्याचार करे उसे फांसी पे चढ़ाइये ।
भेड़िये जो फिरते हैं हवस की भूख लिए,
अंग-अंग काट दीप शेर को खिलाइये ।।