Home भदोही भदोही लोकसभा: दलगत राजनीति पर भारी पडती जातिगत राजनीति

भदोही लोकसभा: दलगत राजनीति पर भारी पडती जातिगत राजनीति

भदोही लोकसभा क्षेत्र में इस बार का चुनाव काफी ‘रहस्यमयी’ दिख रहा है। कहने को तो सभी प्रत्याशी अपनी जीत का दंभ भर रहे है लेकिन इसका सही आकलन चुनाव परिणाम आने के बाद ही हो पायेगा। भदोही लोकसभा सीट हमेशा से ही ‘चर्चा’ में रही है तो इस बार भी चर्चा में रहना लाजमी है। अभी यह सीट भाजपा के खाते में थी लेकिन चुनाव के बाद रमेश बिन्द इसे भाजपा बरकरार रख पाते है कि नही। वैसे भाजपा ने बडे जातीय समीकरण के गुणा गणित के बाद रमेश बिन्द पर विश्वास किया। अब यह देखना है कि भदोही सीट को बचाने के लिए मतदाताओं को कितना रिझा पाते है रमेश बिन्द? वैसे जिले में ‘बाहरी’ की हवा इस बार काफी चर्चा में है। यदि यह हवा सच में चली तो ‘बाहरी’ प्रत्याशियों के लिए और कठिनाई होगी।

इसे भी क्लिक कीजिये — भदोही लोकसभा: भाजपा प्रत्याशी के साथ कहीं हो न जाये भितरघात

कांग्रेस के प्रत्याशी रमाकान्त यादव ने भदोही में अपने पहले बयान से जहां पिछडी, दलित और अल्पसंख्यकों को अपना समर्थक बताकर बाकी लोगो को परोक्ष रूप से विरोधी बताने का प्रयास किया। और यह स्ट्रोक रमाकान्त यादव के लिए काफी सफल दिखा और जिले के सपा के तथाकथित कुछ समर्थको ने सपा-बसपा प्रत्याशी रंगनाथ मिश्रा के साथ न होकर केवल ‘जातिवादी राजनीति’ के चक्कर में कांग्रेस के प्रत्याशी के साथ दिख रहे है। जो कल अपने को समाजवादी कहकर अपनी राजनीति चमकाते थे आज वे जातिवादी होकर सब कुछ भूल गये है। इसके पीछे एक बहुत बडा कारण है।

इसे भी क्लिक कीजिये — भदोही लोकसभा: स्थानीय बनाम बाहरी और विकास बनाम माफिया बन रहा चुनावी मुद्दा

भदोही की राजनीति में ज्यादातर ‘सवर्णो’ का ही दबदबा रहा। और इस चुनाव में रमाकांत यादव के रूप में एक पिछडी ‘जाति’ का नेता मिला जिसे पिछडी जाति के लोग पार्टी लाइन से हटकर इसलिए अपना नेता मान रहे है कि रमाकान्त यादव कई बार चुनाव जीतकर दिल्ली व लखनऊ गये है। यदि भदोही से भी जीताकर पहुंचा दिया जायेगा तो जिले में ‘सवर्ण’ नेताओं का प्रभाव धीरे धीरे कम हो जायेगा। भदोही में दलगत राजनीति पर भारी पड रहा है जातिगत राजनीति। कुछ लोग केवल दिखावटी रूप से किसी नेता के साथ है जबकि वास्तविकता और है। हालांकि यह बात तो सभी प्रत्याशियों के साथ है। वैसे पिछले चुनाव में सपा और कांग्रेस दुसरे नंबर से नीचे थे तो दोनो के समर्थक जब संयुक्त रूप से मिलकर मेहनत करे तभी अपने स्थान को ऊपर ले जा सकते है।

इसे भी क्लिक कीजिये — भदोही लोकसभा: उपेक्षा से आहत भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहा वैश्य समाज

बसपा-सपा के संयुक्त प्रत्याशी रंगनाथ मिश्र भी अपने चुनाव को लेकर उत्साहित है। और भदोही जिले के मूल निवासी होने से उनपर बाहरी होने के आरोप नही लगेगा। लेकिन सपा के कुछ तथाकथित मतदाता यदि कांग्रेस के प्रत्याशी समर्थन करते है तो रंगनाथ को चुनाव जीतने के लिए और मेहनत करनी पडेगी। यदि भदोही में सवर्ण भी जातिवाद की लहर चली तो रंगनाथ मिश्रा इसका फायदा हो सकता है लेकिन सवर्णों की वोट को भाजपा का वोट माना जाता है लेकिन जातिवाद की लहर से रमेश बिन्द को नुकसान हो सकता है। भदोही लोकसभा में बिन्द की भी संख्या कम नही है।

इसे भी क्लिक कीजिये — जब भाजपा के मंच पर अपमानित हुये नगरपालिकाध्यक्ष

वैसे भदोही लोकसभा के सभी प्रत्याशी अपना अपना हर दांव लगाकर मतदाताओं को अपने तरफ रिझाने का प्रयास कर रहे है। राजनीति में लोग जीत के लिए हर हथकंडा अपनाते है। जो भी नेता चुनाव जीतकर दिल्ली जाए वह लोकसभा क्षेत्र का विकास करने का भरसक प्रयास करे और लोकसभा क्षेत्र के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाये। जो भी जीतेगा वह ही पुरे लोकसभा क्षेत्र का नेता होगा। सभी विरोध भुलाकर केवल क्षेत्र का समुचित ‘विकास’ ही परम लक्ष्य हो।

इसे भी क्लिक कीजिये — जब रंगनाथ मिश्रा के राजनीतिक वार से घायल हुये रमेश बिंद

1 COMMENT

  1. […] यादव के बिगड़े बोल, कहा हाथ काट लूंगा भदोही लोकसभा: दलगत राजनीति पर भारी पडत… भदोही लोकसभा: भाजपा के मंच पर अपमानित […]

Leave a Reply