Home भदोही जमीनी हकीकत (०३) – विधायक-सांसद धार्मिक तो स्वार्थी-अधर्मी कौन.?

जमीनी हकीकत (०३) – विधायक-सांसद धार्मिक तो स्वार्थी-अधर्मी कौन.?

भदोही – काशी-प्रयाग मध्य की धरा पर धार्मिक गंगा तो बहती ही है लेकिन सार्वजनिक धार्मिक स्थलों हेतु योजनायें भी सर्वाधिक यहीं मिलती हैं। अब मतदाताओं के मन में सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार जब विधायक-सांसद यहां धार्मिक तो स्वार्थी-अधर्मी कौन है।

गौरतलब है कि काशी-प्रयाग मध्य धर्म ध्वजवाहकों की नगरी के रूप में जाना जाता है और यहां एक ओर विधायक विजय मिश्रा वार्षिक क्षेत्र कल्याण हेतु महायज्ञ हवन करवाकर सभी धार्मिक लोगों से मिलते हैं तो वहीं सैकड़ों मंदिरों में सुर्यदेव की रौशनी सयंत्रित्र ‘सोलर लाइट’ यंत्र देवी-देवताओं को समर्पित कर दिये हैं। आज मुख्य मुद्दा सिर्फ सार्वजनिक ‘सोलर लाइट’ पर किया जाय तो अपनी धार्मिकता सिद्ध करते हुये कहीं से भदोही विकास हेतु सांसद (मस्तजी) भी दान मांग वगैरह कर लाये और सार्वजनिक स्थलों सहित देवी-देवताओं के लिये भेज दिये लेकिन जब वो कार्यकर्ताओं/पदाधिकारियों के पास पहुंचा तो वो नीजी स्वार्थ की भेंट चढ़ना भी लाजमीं था तो कुछ सार्वजनिक स्थलों पर और अधिकांश और पदाधिकारियों से कार्यकर्ताओं को और कार्यकर्ताओं से करीबियों को…शायद यही कारण है कि भले गांव-समाज के अधिकांश सार्वजनिक मंदिर एवम् देवी-देवताओं तक यहां नहीं पहुंचे लेकिन ‘राजनीतिक पंडा’ लोगों का लाभ होना चाहिए क्योंकि यदि उक्त धाम का ‘राजनीतिक पंडा’ खुश है तो मंदिर तक तो पहुंच ही जाऊंगे आप और फिर मन्नौती घोषणा भी कर दोगे लेकिन देवी-देवता तब तक अंधेरे में ही रहेगें तो धार्मिक पथमय ऊँजाला कैसे होगा। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं लेकिन यह अधिकांश गैर राजनीतिक धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारियों में से चर्चा का निचोड़ दिया।

चौरामाई माई को ठगा, ऐ किसका सगा..?

सार्वजनिक ‘सोलर लाइट’ धार्मिक पथमय ‘मातृभूमि संकल्प’ की मुहिम में एक से बढ़कर एक रोचक तथ्य सामने आ रहे हैं और ऐसे तथ्यों में उक्त गांव-समाज का नाम लिखकर ठेस पहुंचाना उचित नहीं है क्योंकि उक्त गांव-समाज में खूदही ‘खूसर-फूसर’ चल रहा है। एक गांव के संदर्भ में ऐसी भी खबर आई कि भले हम और आप यकीन नहीं मानें लेकिन ‘चौरामाई धाम’ के नाम पर एक विधायक से और एक सांसद ‘राजनीतिक पंडा’ सोलर लाइट लिया और उठा ले गया अपने नीजी स्वार्थ के महलों में और हवा में उड़ गई सार्वजनिकता। ऐसे में उक्त गांव-समाज के लोग इशारा करते हुये विधायक-सांसद से ही जैसे पूछ रहे हैं कि ‘चौरामाई’ को ठगा, ऐ ‘किसका’ सगा..?

जमीनी हकीकत (४)- पढ़िये सांसदजी ने बजा दी हमारी घंटी.?

Leave a Reply