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अपने वोटबैंक को साधने में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही कांग्रेस

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देश की सत्ता पर सबसे अधिक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस अब सत्ता को पाने के लिये देश की सुरक्षा का भी ध्यान नहीं रख रही है। कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र अपने उस वोट बैंक को साधने की कवायद है जो उसे छोड़कर क्षेत्रीय पार्टियों का दामन थाम चुका है। श्हम निभायेंगेश् के नाम से जारी कांग्रेस का घोषणा पत्र सिर्फ अपने उन वोटरों को साधने का साधन है जिनके बूते पर कांग्रेस कई दशकों तक भारत पर शासन किया।

गौरतलब हो कि कभी कांग्रेस का मूल वोटबैंक सवर्ण, मुस्लिम और दलित वर्ग होता रहा है, लेकिन निरंतर बदल रहे राजनीतिक हालात में अब सवर्ण भाजपा के साथ तो दलित बसपा के साथ जा चुका है। वहीं मुस्लिम के अधिकतर मतदाताओं में उहापोह की स्थिति आज भी कायम है। उसका सिर्फ एक ही मकसद होता है कि किसी भी तरह सिर्फ भाजपा को रोकना है।

देखा जाय तो पिछले पांच साल के कार्यकाल में नरेन्द्र मोदी सरकार जो भी योजनायें लायी वह किसी विशेष वर्ग के लिये नहीं रही बल्कि सभी योजनायें श्सबका साथ, सबका विकासश् की नीति पर ही कायम रही। आवास, शौचालय, मुफ्त रसोई गैस जैसी योजनाओं का लाभ सबसे अधिक दलित और मुस्लिम वर्ग ने उठाया। दलितों को खुश करने के लिये मोदी सरकार एससीएसटी एक्ट जैसे कानून को लाकर सवर्णों को नाराज किया। अभी तक यहीं देखा गया कि राजनीतिक दल अपने वोटबैंक को मजबूत करने के लिये हमेशा उनका खास खयाल रखा, लेकिन मोदी सरकार द्वारा नोटबदली और जीएसटी जैसे कानून से भाजपा के वोटबैंक को ही सबसे अधिक चोट पहुंची। इसके बावजूद भी लोगों में यह चर्चा होती रही कि मोदी सरकार ने जो कुछ भी किया वह वोट के लिये नहीं बल्कि भ्रष्टाचार को रोकने और राष्ट्रहित के लिये किया। लोगों में इतना विश्वास बना कि चाहे कुछ हो लेकिन मोदी देश के सम्मान और सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे।

इसके बावजूद भी देश का एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसे देश की सुरक्षा और सम्मान से कोई लेना देना नहीं होता है। उन्हीं को साधने के लिये कांग्रेस ने जो दांव खेला है उसका मकसद वहीं है कि अपने मूल वोटबैंक को अपने पाले में कर सके। कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर मुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग अलगाववादियों का समर्थन करता रहा है। उसे लगता है कि सेना कश्मीरियों पर जुल्म करती है। मुसलमानों को प्रताड़ित करती है। ऐसे मुसलमानों को सिर्फ अपने हित की चिंता होती है। यहीं वजह है कि लाखों कश्मीरी पंडितों का बेघर करने की बात उठाने वाले साम्प्रदायिक बोले जाते हैं। बिल्कुल उसी 2002 की तरह जब गुजरात दंगे की बात को लेकर मोदी को घेरा जाता है किन्तु गोधरा का जिक्र करने वाले साम्प्रदायिक हो जाते हैं। अजीब विडम्बना है कि भारत जैसे देश में एक कानून की बात करने वाले, हिन्दू हित की बात करने वाले साम्प्रदायिक और मुस्लिम विरोधी बोल दिये जाते हैं।

उसी तरह देश में एक बड़ा तबका ऐसा भी है जो संचार माध्यमों और जागरूकता से दूर है। उसे यहीं नहीं पता कि देश की सुरक्षा, सम्मान, देशद्रोह, देशप्रेम, कश्मीर, धारा 370, 35ए आदि क्या है। इन्हीं दो वोटरों को अपने वश में करने के लिये कांग्रेस ने चाल चली है। गरीबी, अशिक्षा के दायरे में कैद लोगों को लुभाने के लिये कांग्रेस ने गरीबी हटाओ नामक झुनझुना थमाया है तो मुस्लिमों को खुश करने के लिये धारा 370, 35ए, कश्मीर से सेना में कटौती, देशद्रोह कानून हटाने जैसी घोषणायें की है।

इसके बावजूद भी हिन्दू मुस्लिम हर वर्ग में काफी हद तक जागरूकता आयी है लोग शिक्षित हो रहे हैं। उन्हें पता है कि राष्ट्रवाद और देशप्रेम क्या है। कांग्रेस का घोषणा पत्र आने के बाद राहुल गांधी चैतरफा घिरे हुये हैं किन्तु उन्हें शायद इसकी फिक्र नहीं होगी, क्योंकि जिस वोट बैंक को हासिल करने के लिये उन्होने शतरंजी चाल चली है। वह खुश दिखायी दे रहा है। देश के सम्मान से समझौता नहीं करने वाला वोटर यह भी देख रहा है कि कांग्रेस के सहयोगी दल कश्मीर में अलग झंडा, अलग प्रधानमंत्री, अलग राष्ट्रपति की मांग करने लगे हैं। जिसका साफ अर्थ है कि वे लोग कश्मीर को भारत का अंग नहीं बल्कि अलग देश मान रहे हैं, जो कांग्रेस राज में ही संभव है, भाजपा में नहीं।

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