भारतीय संविधान के सभी कानून देश के सभी नागरिको पर समान रूप से लागू होने चाहिए लेकिन कुछ मामलों में ऐसा देखने को नही मिलता। जैसे लगता है कि देश का कानून अलग लोगो के लिए अलग-अलग है। देश की बड़ी-बड़ी हस्तियों पर जब आरोप लगता है तब तथाकथित बुद्धिजीवियों के एक बहुत बड़े वर्ग से सुनने को मिलता है कि कानून अपना काम कर रहा है क़ानून सबके लिए समान है, लेकिन वास्तव में क्या कानून सबके लिए एक है कि नहीं? या क़ानून के रखवाले केवल समान बोलते ही हैं कि उसका पालन करते हैं या नहीं ?ये आपको जानना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई पर उनकी पूर्व जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। कुछ वेबसाइट्स में प्रकाशित इस ख़बर के बाद सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को तीन जजों की बेंच बैठी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की तीन जजों की बेंच ने अवकाश के दिन मामले पर गौर किया। आरोप लगाने वाली महिला ने एक चिट्ठी सुप्रीम कोर्ट के सभी 22 जजों को भेजी है जिसमें जस्टिस गोगोई पर यौन उत्पीड़न करने, इसके लिए राज़ी न होने पर नौकरी से हटाने और बाद में उन्हें और उनके परिवार को तरह-तरह से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं।
यौन उत्पीड़न के आरोप पर चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई का कहना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता बहुत गंभीर ख़तरे में है और यह न्यायपालिका को अस्थिर करने की एक ‘बड़ी साजिश’ है। चीफ़ जस्टिस का कहना है कि यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला के पीछे कुछ बड़ी ताक़तें हैं। वो कहते हैं कि अगर न्यायाधीशों को इस तरह की स्थिति में काम करना पड़ेगा तो अच्छे लोग कभी इस ऑफ़िस में नहीं आएंगे। जब सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज गांगुली पर एक स्नातक छात्रा की ओर से यौन शोषण के आरोप लगे थे, लेकिन साथ ही कोर्ट ने इस बारे में कोई कार्यवाही न करने में असमर्थता जताई थी।
बता दें कि जब किसी नेता, अभिनेता या जज या पत्रकार या मुस्लिम और इसाई धर्मगुरु आदि पर आरोप लगते हैं तब सभी बुद्धजीवी बोलते हैं कि जांच चल रही है, कानून अपना काम कर रहा है दोषी पाने पर सजा मिलेगी, कानून सबके लिए समान है आदि-आदि नारे बोलने लग जाते हैं, लेकिन जैसे किसी हिंदुनिष्ठ या हिंदू साधु-संत पर आरोप लगते हैं तो सभी बोलने लग जाते हैं कि आरोपी पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं, फिर भी गिरफ्तारी नहीं हो रही है, ये शर्मनाक बात है आदि-आदि, कुछ इस तरह के नारे लगते हैं और उनको आधी रात में गिरफ्तार कर लिया जाता है और सालों तक जमानत भी नहीं दी जाती है। जैसे कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी पर हत्या का आरोप लगा और उनको आधी रात में गिरफ्तार कर लिया फिर वे निर्दोष बरी हुए। वैसे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, स्वामी असीमानंद, स्वामी नित्यानंद, डीजी वंजारा जी आदि को भी सालों तक जेल में प्रताड़ित किया गया और आखिर में निर्दोष बरी हुए। अभी वर्तमान में हिंदू संत आसाराम बापू का केस तो आप देख ही रहे हैं, आरोप लगते ही आधी रात में गिरफ्तार कर लिया, 5 साल तक ट्रायल चला, लेकिन एक दिन भी उनको जमानत नहीं दी, जबकि उनकी उम्र 80 साल से ऊपर है, उनकी पत्नी बीमार है, उनका सगे भांजे की मृत्यु भी हो गई फिर भी जमानत नहीं मिल पाई।
दूसरी ओर सलमान खान को सजा होने के बाद भी 1 घण्टे में ही जमानत मिल जाती है, संजय दत्त को बार-बार पेरोल मिल जाती है, लालू को सजा होने के बाद बेटे की शादी में जाने के लिए जमानत मिल जाती है, पत्रकार तरुण तेजपाल पर आरोप सिद्ध होने के बाद भी जमानत मिल जाती है, इससे साफ सिद्ध होता है कि कानून केवल समान बोला जा रहा है पर कानून व्यवस्था देखने वाले समानता का व्यवहार नहीं कर रहे हैं। देश में कई ऐसे कैदी हैं जिनके पास वकील रखने व जमानत लेने के पैसे नहीं हैं इसलिए जेल में सड़ रहे हैं, वे बाहर नहीं आ पा रहे हैं। किसी आम आदमी पर आरोप लगते ही गिरफ्तार कर लिया जाता है पर बड़े नेता-अभिनेता, पत्रकार, जज आदि की गिरफ्तारी से पहले ही जमानत हासिल हो जाती है।
इन सब बातों से साफ पता चलता है कि कानून समान बोला जा रहा है पर उसका पालन नहीं हो रहा है इससे हिंदुनिष्ठ और आम जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है, यह जनता के लिए दुःखद बात है इसपर सरकार और न्यायलय को ठोस कदम उठाना चाहिए नहीं तो एक के बाद एक निर्दोष पीड़ित होते रहेंगे । इस मुद्दे पर मीडिया को भी आवाज उठाना चाहिए लेकिन मीडिया पर ‘कुछ’ मुद्दों को ही उठाती है ‘बाकी’ मुद्दों को बडी ताकतों के दबाव में नही उठाती है। जिस जज के ऊपर आरोप लगा वह खुद उस मामले की सुनवाई करके कैसे अपने को दोषी साबित करेगा? ऐसा तो कभी हो नही सकता। न्यायधीश दीपक मिश्रा के मामले में रंजन गोगोई समेत कई न्यायधीश खुब हो हल्ला मचाये थे लेकिन अब सब मौन क्यों?
भारतीय संविधान की सुचिता व पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब सभी के साथ न्याय के मामले में न्याय हो न कि पक्षपात। यदि इसी तरह अलग लोगो के लिए अलग अलग व्यवस्था होगी तो देश के लोगो का सच में न्यायपालिका से भी विश्वास उठ जायेगा। रंजन गोगोई मामले में उनको शामिल न करके अन्य जजों की पीठ को सुनवाई दी जाए जिससे सच में न्याय हो। क्योकि इस समय ऐसा कोई नही है जो अपने को ‘दोषी’ साबित करें। देश का कानून सब के लिए समान होना चाहिए।