Home भदोही लोकसभा चुनाव 2019 : भदोही में डूब सकती है भाजपा की नाव

लोकसभा चुनाव 2019 : भदोही में डूब सकती है भाजपा की नाव

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Election 2019
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केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की सभा के बाद भाजपा की आयी नौंवी लिस्ट में भदोही सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त का टिकट भदोही से काटकर बलिया से दिये जाने की घोषणा के बाद राजनीतिक समीकरण बिगड़ता दिखायी दे रहा है। अभी तक भदोही से भाजपा ने किसी का नाम घोषित नहीं किया है, किन्तु बसपा से निष्कासित रमेश बिन्द के नाम की चर्चा जोरों पर हो रही है। बाहरी प्रत्याशी के नाम पर हो रहा मस्त का विरोध अब रमेश बिंद के नाम से और बढ़ गया है। इसे लेकर भाजपा खेमें में काफी हलचल देखी जा रही है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि यदि भदोही से रमेश बिंद को भाजपा उतारती है तो भदोही में उसकी नईया डूब सकती है। उधर, गठबंधन खेमें से आयी अंदरखाने की खबर से प्रतीत हो रहा है कि विरेन्द्र सिंह का टिकट कटने से विपक्षी खेमा खुश है।

बता दें कि मूलत: बलिया निवासी विरेन्द्र सिंह मस्त पिछले 30 सालों में भदोही में रहकर भाजपा की राजनीति कर रहे हैं। वे भाजपा युवा मोर्चा और भाजपा के जिलाध्यक्ष रहने के साथ तीन बार यहीं से सांसद चुने गये हैं। सूत्रों की मानें तो श्री सिंह भदोही से टिकट के प्रति आश्वस्त थे। उन्हें अंदेशा भी नहीं था कि उन्हें भदोही से टिकट नहीं मिलेगा। इसीलिये लोकसभा क्षेत्र में 2018 से ही चुनाव की तैयारी में जुट गये थे। कहा जाता है कि भदोही लोकसभा में भाजपा की बूथ स्तर तक युवाओं की मजबूत टीम लगी हुई थी, जो ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार में लग गये थे। इन्हीं तैयारियों को लेकर काफी दिनों से बैठकों का दौर जारी था। सूत्रों की मानें तो तमाम प्रचार सामग्री भी छपने के लिये तैयार थी जो टिकट घोषित होते ही बूथों तक पहुंच जानी थी।

किन्तु टिकट की घोषणा के साथ हजारों की संख्या में बनी टीम की तैयारियों पर पानी फिर गया है। कहा जा रहा है कि यदि भाजपा चयन समिति लोकसभा के ही किसी पुराने भाजपा या संघ के कार्यकर्ता को टिकट देती तो सामंजस्य बैठाया जा सकता था किन्तु जिस नये चेहरे रमेश बिंद की चर्चा हो रही है। उसका कभी भदोही की राजनीति से लेना-देना नहीं रहा है। इसलिये पुराने कार्यकर्ता दिल से भाजपा प्रत्याशी के साथ नहीं जुड़ सकते हैं। जिसका असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा।

दूसरी तरफ गठबंधन के प्रत्याशी रंगनाथ मिश्रा के खेमें में विरेन्द्र सिंह का टिकट कटने से खुशी का माहौल देखा जा रहा है। श्री मिश्रा पहले भाजपा से जुड़े रहे हैं और भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर यूपी में मंत्री रहे हैं। भले ही वे इस समय बसपा में जा चुके हैं किन्तु पुराने भाजपाईयों में उनकी पकड़ आज भी है। श्री मिश्रा भले ही पार्टी बदलते रहे किन्तु स्थानीय होने के नाते भाजपा कार्यकर्ताओं से उनका लगाव भी बना रहा। जिसका उदाहरण यह भी है कि पार्टी से हटकर वे सभी के कार्यक्रम में उपस्थिति भी दर्ज कराते रहे हैं।

सूत्रों का यह भी कहना है कि पिछले कई महीनों से भाजपा की जीत की तैयारी में लगे कार्यकताओं की हताशा इस तरह बढ़ गयी है कि वे गठबंधन के प्रत्याशी से संपर्क साधने में लग चुके हैं। लोगों में यह भी चर्चा है कि यदि बसपा से आये किसी व्यक्ति को ही वोट देना है तो बसपा को ही वोट क्यों न दिया जाये। खैर अभी भदोही से किसी को टिकट नहीं दिया गया है किन्तु कयासों के दौर जारी हैं।

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