Home सम्पादकीय मोदी के मास्टर स्ट्रोक से विरोधी चारों खाने चित्त।

    मोदी के मास्टर स्ट्रोक से विरोधी चारों खाने चित्त।

    हमार पूर्वांचल

    विरोधी भले ही मोदी को तरह-तरह की उपमा से सम्बोधित करे लेकिन मोदी की हर चाल विरोधियों की बोलती बंद करने में कारगार साबित हो रही है। लोकसभा में 142वां संविधान संशोधन विधेयक पास हो गया। नरसिंहा राव के समय में भी इस तरह की बातें आई लेकिन उसे संसद के पटल तक न लाया जा सका जबकि मोदीकाल में केवल 3 मत इस संशोधन के विरोध में पडे।

    इस संशोधन में सवर्ण जाति के लोगो को सरकारी नौकरी व शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिलेगा। भाजपा का यह मास्टर स्ट्रोक कितना कारगर सिद्ध हो सकता है। यह तो आम चुनाव में स्पष्ट हो जायेगा। क्योकि जनता सब जानती है। इस विधेयक से भाजपा को ही दोनो पक्ष से लाभ हो रहा है। क्योकि इस मुद्दे पर यदि विधेयक पास हो जाए तो लोग भाजपा को ही इसका श्रेय देंगे और विरोधी विरोध कर नही सकते है क्योकि उनको भी सवर्णों को नाराज नही करना है।

    हालांकि लोग इसे सवर्णों को मिलाने का एक माध्यम बता रहे है। क्योकि भाजपा ने जहां एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करके तीन राज्यों में सवर्णों के क्रोध का भाजन बनना पडा वही सवर्ण आरक्षण के माध्यम से सवर्ण को लुभाने के पक्ष में चाल चली है। इस संशोधित विधेयक में मायावती व रामविलास पासवान जैसे नेताओं ने खूब समर्थन दिया। क्योकि मोदी के इस मास्टर स्ट्रोक से सभी विपक्षी धराशायी होकर समर्थक बनने पर विवश हो गये। भाजपा माने या न माने लेकिन चुनावों में ज्यादातर सवर्ण भाजपा को वोट दिए है। इसी को ध्यान को रखते हुए शायद मोदी सरकार ने सवर्ण को लुभाने के लिए यह चाल चली है।

    पिछले चुनाव पर यदि नजर दौडाई जाए तो पता चलता है कि 47% से ज्यादा सवर्णो ने भाजपा को वोट किया जबकि कांग्रेस को 14% के आस-पास वोट मिले। इस आंकडे से यह समझ में आता है कि पिछले चुनावों में भाजपा को कांग्रेस की अपेक्षा 33% सवर्णों ने अधिक वोट दिया। यदि पिछडो के वोट के प्रतिशत को देखा जाए तो भाजपा को 34% के पास जबकि 15% कांग्रेस को मिला।। दलित ने भी कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा पर भरोसा करके 6%अधिक वोट भाजपा को दिया। और मुस्लिम वोट में कांग्रेस भाजपा से आगे रही। चुनाव में जहां 36% वोट कांग्रेस को पडा वही 8% वोट मुसलमानों ने भाजपा को दिया। कुल मिलाकर भाजपा को सभी जातियों ने खुलकर वोट दिया।

    भाजपा भी वैसे ही सबका साथ सबका विभाग का नारा देकर सभी जातियों के लिए कुछ न कुछ विशेष करने का प्रयास किया। सरकार का यह फैसला कितना कारगार होगा आगामी चुनावो मे यह तो चुनाव का परिणाम ही बताएगा लेकिन सवर्ण आरक्षण से भाजपा के प्रति सवर्णों का आक्रोश कुछ कम दिखता नजर आ रहा है। क्योकि इस विधेयक के बाद ही भाजपा का विरोध करने वाले कई लोग यू टर्न लेकर भाजपा को ही सही हितैषी बताया। लेकिन इस संशोधन में जो बारिकियां है उससे तो लोगों को दो चार होना पडेगा।

    कुछ लोगो का तर्क है कि सामान्य में तो वैसे ही 50% मे सब थे और अब 40%में सब होंगे 10% में केवल सवर्ण। इसी मुद्दे पर एक बात और आ रही है कि हर धर्म के सवर्ण इसमें शामिल होंगे चाहे वे हिन्दू, मुस्लिम या अन्य धर्म के हो। अल्पसंख्यक तो वैसे ही विशेष होने का फायदा ले रहे है और सवर्ण अल्पसंख्यकों को भी इसका लाभ मिलेगा। कुछ भी हो मोदी के फैसले वास्तव में मील के पत्थर ही साबित हो रहे है। बेशक इनके परिणाम भविष्य में अच्छे हो सकते है।

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