बिल का विरोध करने वाले लोग ‘बाहरी मुस्लिमों’ को लेकर क्या कोर्ट में हलफनामा देगें कि यदि वे ‘मुस्लिम’ देशविरोधी गतिविधि में पाये जायेंगे तो जिम्मेदार विरोध करने वाले होंगे?
नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करना केवल राजनीतिक चाल का एक प्रमुख अंग है। जिसमें लखनऊ और संभल में आगजनी व प्रदर्शन इसका सटीक उदाहरण रहा। वैसे इसका विरोध तो राजनीतिक दल और कई संगठनों ने देश के कई हिस्सों में किया। इस विरोध प्रदर्शन से यह सिद्ध हो गया कि लोग अपने कुर्सी के चक्कर में देश को जलाने से गुरेज नहीं करेंगे। मुस्लिमों की झूठी सहानुभूति लेकर राजनीतिक दलों ने विरोध प्रदर्शन और आगजनी करके अपनी गंदी मानसिकता की सच्चाई दिखा दी।
इन विरोध प्रदर्शन करने वालों को जरा सा भी शर्म नही आई कि यह बिल लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति ने उचित समझकर पास कर दिया है। तो इसमें माथापच्ची क्यों? देश के गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में साफ साफ कह दिया है कि इस बिल से मुस्लिमों को कोई समस्या नहीं है और सभी की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। आतंकवादियों को देश में आने की पाबंदी वाले कानून से विरोधियों को पता नही क्यों नाराजगी है? विरोध करने वाले जरा यह बताए कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले कितने गैर मुस्लिमों को लेकर प्रदर्शन किया? एक भी नही। भारत में आखिर क्यों मुस्लिम देश के मुस्लिमों को नागरिकता दी जाए? विश्व के और 56 मुस्लिम देशों में क्या जगह नहीं है। जो भारत में बाहरी मुस्लिम आए और यहां आकर आतंकवादी गतिविधि करें और फिर यही विरोध करने वाले कोई घटना होने पर सरकार को घेरकर विरोध करें।
मै उन विरोध करने वाले राजनीतिक दलों नेताओं और संगठनों के लोगों से पूछता हूं कि उनमें यह हिम्मत है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुस्लिमों को लेकर कोर्ट में यह हलफनामा देंगे कि यदि वे मुस्लिम आतंकवादी गतिविधि या भारत विरोधी गतिविधि में लिप्त पाये जायेंगे तो उनकी जिम्मेदारी आज विरोध करने वाले लेंगे। सत्ता के चक्कर में राजनीति करने वाले जरा इस बात पर गौर करें कि बिल में क्या है? केवल किसी के बहकावे में आकर अफवाह के चक्कर में देश की छवि धूमिल न करें। जिनके बहकावे में आकर आप विरोध कर रहे हो वे वातानुकूलित कमरों में बैठकर तमाशा देख रहे है। वे सब कुछ जान रहे है इसीलिए वे खुद जमीन पर न आकर अपने चमचों और सेवकों को इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान कर दिये।
विरोध करने वालों का विरोध प्रदर्शन देखकर रूह कांप गई कि मीडिया की गाडी, बच्चों की बस, पुलिस वैन, एम्बुलेंस को भी नही छोडा। काश! विरोध में शामिल होने के पहले उस बिल को पढ लेते और देश के सम्मान में सही निर्णय लेते। विरोध और प्रदर्शन करने वालों में 99% लोग केवल इसलिए विरोध करने आए है कि यह बिल उनकी विरोधी पार्टी भाजपा लाई है। जिसमें लोग भाजपा को मुस्लिम विरोधी साबित करने के लिए केवल अफवाहों का सहारा लेकर अपनी राजनीति चमका रहे है। देश की सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान हो, विश्व पटल पर भारत की छवि धूमिल हो उनसे इससे क्या मतलब है? केवल कुछ मुस्लिमों के वोट के खातिर लोग भाजपा को मुस्लिम विरोधी सिद्ध करना चाहते है जो सरासर गलत है।
भाजपा के बीते छः वर्ष की कार्यकाल में कितने मुस्लिमों को सरकार ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पीडित किया? यदि किसी के पास कोई आंकडा हो तो सार्वजनिक करें। देश का शिक्षित व देशभक्त मुस्लिम सरकार के इस बिल से कत्तई नाखुश नहीं है। और नाखुश होने की कोई बात ही नही है। इस मामले को तो हवा वे लोग दे रहे है जो मुस्लिमों के नाम पर अपनी राजनीति चमकाना चाहते है। जो विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर भारत को तालिबान बनाने की कोशिश किये। सरकार और प्रशासन के तरफ से इस बिल को लेकर जब हर जगह लोगों को जागरूक किया गया लेकिन फिर भी लोग शासन और प्रशासन की बात को न मानकर कानून तोडना कहां का अधिकार है?
प्रशासन को इस विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगो के खिलाफ कडी कार्यवाही होनी चाहिए। जो बेहवजह देश की जनता को गुमराह करके सरकार के खिलाफ माहौल पैदा करने की कोशिश की। बहुत ही दुखद बात है कि भारत में आज अपनी राजनीति के चक्कर में देश को जलाने से बाज नही आ रहे है। यह सरकार के खिलाफ प्रायोजित साजिश को देश का हर नागरिक देख रहा है। और इस झुठे व बेवजह विरोध प्रदर्शन का एक एक हिसाब देश की जनता इन नेताओं को देगी जो भारत की शान्ति को अपने स्वार्थपरता के लिए अशान्ति में बदलने का भरसक प्रयास कर रहे है।