Home सम्पादकीय एससी एसटी एक्ट: पानी के बुलबुले की तरह दम तोड़ता छद्म हिन्दुत्व

    एससी एसटी एक्ट: पानी के बुलबुले की तरह दम तोड़ता छद्म हिन्दुत्व

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    केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा एससी एसटी एक्ट बिल में संशोधन किये जाने के बाद देखा जा रहा है कि सवर्णों में काफी आक्रोश है। सोशल मीडिया पर जमकर मोदी का विरोध किया जा रहा है। ऐसे विचार लादे जा रहे हैं जैसे मोदी सरकार ने सवर्णों पर वज्रपात कर दिया है और सभी सवर्णों की जगह अब जेल होन वाली है। विरोध करने वाले और कोई नहीं बल्कि वहीं युवा वर्ग है जो मोदी के लिये लड़ने मरने के लिये तैयार दिखायी देते थे। यह वहीं युवा हैं जो मोदी सरकार के विरोध में बोलने वालों पर मधुमक्खी की तरह टूट पड़ते थे और अंलकारिक शब्दों का प्रयोग करके लोगों की बोलती बंद कर देते थे। ऐसे युवाओं का हिन्दुत्व ठोस नहीं था बल्कि उस पानी के बुलबुले की तरह था जो कब दम तोड़ दे कहा नहीं जा सकता है। वहीं छद्म हिन्दुत्व एक बार फिर दम तोड़ने लगा है।

    गौर करना होगा कि सरकार वहीं होती है जो बिना किसी भेदभाव के सभी धर्म और जातियों के अधिकार की रक्षा करे और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करे। देखा जा रहा है कि पिछले कई वर्षों से जाति और धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति के पोषण ने समाज को बांटने का काम किया है। केन्द्र या प्रदेश में बनने वाली सरकारों ने हमेशा उन्हीं का ध्यान रखा जिनके वोट उन्हें सत्ता तक पहुंचाने का काम करते थे। सिर्फ अपने परम्परागत वोटों के प्रति राजनीतिक दलों के लगाव ने समाज को हमेशा विभाजित ही किया है। देखा यह भी गया है कि पहले की सरकारों द्वारा अपने सिर्फ अपने वोटबैंक को पोषित करने के कारण बड़ा तबका हमेशा नाराज रहा जिसकी नाराजगी को भावनात्मक रूप से भुलाकर कई राजनीतिक दुकानें खड़ी हो गयी। यह दुकानें कुछ जातियों का ब्राण्ड बन गयी और अपने शो—रूम खोलकर धंधा जमा लिया।

    केन्द्र के मोदी सरकार आने के बाद जब कई परम्परायें टूटने लगी तो उन दुकानदारों के पेट में बल पड़ने लगे जिनके शो—रूम जाति और धर्म के नाम पर चलती थी। गौर करें तो भाजपा के मूल वोटर सवर्ण और बनिया ही कहे जाते रहे हैं। इसके अलावा हिन्दुत्व के नाम पर अन्य पिछड़ी और अनूसूचित जातियों के युवाओं का भी तेजी ये रूझान हुआ है जो शिक्षित हैं और शहरों में बिना किसी भेदभाव के रहते हैं। शायद भाजपा के मूल वोटरों को भी यहीं भ्रम होगा कि सत्ता में आने के बाद भाजपा भी दूसरे पार्टियों के नक्शे कदम पर चलेगी और अपने वोटबैंक को सुरक्षित रखने के लिये दूसरे वर्गों की उपेक्षा भी करेगी, किन्तु सत्ता में आते ही सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी कि वह दूसरे राजनीतिक दलों की तरह भेदभाव की राजनीति नहीं करेगी, बल्कि देश के सभी नागरिकों की रक्षा और सम्मान की सुरक्षा के लिये जो भी उचित होगा वहीं करेगी।

    यदि मोदी सरकार के कार्यकाल पर नजर डाली जाये उसके कई कदम से भाजपा का मूल वोटर प्रभावित हुआ है। नोटबंदी और जीएसटी के कदम ने व्यापारी वर्ग को सबसे अधिक प्रभावित किया। मुसलमानों के हित में सरकार ने कई कदम उठाये। समाज के पिछड़े वर्गो के लिये काम किया। अनुसूचित जातियों जनजातियों की सुरक्षा के लिये भी प्रभावी कदम उठाया। एससी एसटी विधेयक पारित करके उन राजनीति दलों की मंशा पर पानी फेर दिया जो इसे मुद्दा बनाकर देशव्यापी आन्दोलन करने का ख्वाब देख रही थी। लबोलुआब यह कि बिना वोटबैंक की परवाह किये सरकार ने ऐसे हर कदम को उठाया जो देश और समाज के हित में था और जिसका दूरगामी परिणाम देखने को मिलेगा।

    एससी एसटी बिल मोदी सरकार ने लागू नहीं किया है, बल्कि जो कानून पहले बना था उसी को फिर से प्रभावित कर दिया है। इससे सबसे अधिक बेचैनी सवर्णों में देखी जा रही है। जबकि यहीं कानून अनूचित जाति/जनजाति के अलावा सभी जातियों/धर्मों पर भी लागू होता है, लेकिन इसका विरोध न कोई पिछड़ी जाति का व्यक्ति कर रहा है और न ही कोई मुस्लिम कर रहा है। आखिर सवर्णों में ही इस कानून को लेकर इतनी बेचैनी क्यों दिखायी दे रही है इस पर भी मंथन करना होगा।

    आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी देश के कई क्षेत्रों में इन गरीब जातियों के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है। ​इस कानून के दायरे में वहीं आयेगा जो वास्तव में इन पर अत्याचार करेगा। सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार इन गरीब जातियों के शोषण करने का अधिकार दे दे तभी सवर्ण खुश होंगे। सिर्फ सवर्ण ही इस कानून का विरोध करके क्या दिखाना चाहते हैं। यह शायद उनके भी समझ से परे है। देखा जाय तो जब भी मुस्लिम और दलितों के अधिकारों की बात आती है या फिर उनके लिये सरकार कोई प्रस्ताव लेकर आती है तो सवर्ण युवाओं का हिन्दुत्व प्रभावित होने लगता है। हिन्दुत्व के लिये मोदी का समर्थन करने वाले ही मोदी को अनुचित शब्दों से अलंकृत करने लगते हैं।

    देखा जाय तो एससी एसटी कानून का दुरूपयोग कभी इन जातियों ने नहीं किया। यदि किया भी है तो उनकी संख्या नगण्य ही है। इस कानून का सबसे अधिक दुरूपयोग सवर्णों ने ही किया है। मायावती सरकार में अधिकतर मामलों में देखा गया कि सवर्ण अपनी दुश्मनी साधने और अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिये अनुसूचित जातियों को मोहरा बनाया है। चंद पैसे की लालच देकर अपनी जाति के लोगों पर अनूसूचित जाति के लोगों को खड़ा करके फंसाने का काम किया गया है। इस हकीकत से उन्हें भी इनकार नहीं होगा जो आज इस कानून का विरोध कर रहे हैं।

    हिन्दुत्व तभी मजबूत होगा जब सभी तबके का हिन्दू एकजुट हो। आज हिन्दुत्व अगड़े पिछड़े निचले तबकों में बंटा हुआ है, लेकिन छद्म हिन्दुत्व की भावना कभी हिन्दुओं को एकजुट नहीं होने देती है। इसी का लाभ वे राजनीतिक पार्टियां उठा रही हैं जो मोदी सरकार के सर्वव्यापी कदम से अपनी दुकानें बंद होती ​देख रही हैं। उन्हें लग रहा है कि यदि मोदी विभिन्न जातियों में बंटे हिन्दुओं को एक साथ जोड़ देगी तो उनकी रोजी रोटी बंद हो जायेगी। दृढ़ मनोबल के लोगों पर इन दुकानदारों का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है, लेकिन विचलित मनोवृत्ति वाले युवाओं को बरगलाने के लिये जाति के नाम पर राजनीति करने वाले दलों के आईटी सेल सवर्णों के नाम पर फर्जी आईडी बनाकर एक अभियान छेड़े हुये हैं और एससी एसटी कानून को ऐसे बता रहे हैं जैसे यह कानून सभी सवर्णों को जेल पहुंचाकर ही दम लेगा। इनके चंगुल में वहीं युवा फंस रहे हैं जिन्हें हिन्दुत्व से कोई लेना देना नहीं है। बल्कि इनके अंदर बसा छद्म हिन्दुत्व मनोबल को दृढ़ नहीं होने दे रहा है और विचलित मनोबल वाला व्यक्ति कभी हिन्दुत्व की परिभाषा को नहीं समझ सकता है।