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मुम्बईकरों के लिये चाय का जुगाड़ करने में पुलिस के छूटे पसीने

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पुलिस के पहरे में दूध

ओह चौंक गये ना आप! आखिर चौंकेगे क्या नहीं। खबर ही ऐसी है। भाई चाय तो मुम्बई की हर जगहों पर उपलब्ध है। जहां चाहे वहां चाय पी लिजिये किन्तु ऐसा क्या हो गया कि मुम्बई करों के लिये चाय का जुगाड़ करने के लिये पुलिस के ही पसीने छूट गये। तो आईये हम बताते हैं कि मामला क्या है।

दरअसल महाराष्ट्र में दूध उत्पादक किसानों द्वारा सोमवार से शुरू किए गए आंदोलन के कारण मंगलवार को मुंबई समेत कई शहरों में दूध की कमी होने की संभावना बढ़ गयी। आंदोलन कारी नहीं चाहते थे कि मुम्बई में दूध उपलब्ध हो। इसलिये उन्होंने दूध की सप्लाई पूरी तरह ठप करने का प्लान बना लिया था। अब यह तो गंभीर मामला है ना। यदि दूध ही नहीं मिलेगा तो मुम्बईकर चाय कैसे पियेंगे।

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सड़क पर दूध गिराते आंदोलनकारी। फोटो: साभार गूगल

अब मुम्बई पुलिस की जिम्मेदारी थी कि मुम्बईकरों को दूध उपलब्ध करायें ताकि वे चाय पी सके। वैसे राज्य सरकार का दावा हे कि मुम्बई में 15 दिनों के लिसे दूध का भंडार मौजूद है, लेकिन अब भंडार के सहारे पुलिस कैसे चुप रहती। खबर है कि पुलिस की कड़ी सुरक्षा में दूध की सप्लाई की जा रही है। वहीं दूसरी ओर दुग्ध उत्पादक किसानों के तेवर बता रहे हैं कि आने वाले दिनों में दूध की किल्लत बढ़ने के आसार हैं।

बता दें कि सोमवार को आंदोलनकारियों ने मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक और अन्य प्रमुख शहरों को जा रहे दूध के टैंकरों को राज्य के विभिन्न हिस्सों में रोककर विरोध प्रदर्शन किया। इससे शहरों की दुग्ध आपूर्ति प्रभावित हुई है। वहीं नासिक और कोल्हापुर से मुंबई के लिए करीब एक दर्जन दूध टैंकर सशस्त्र पुलिस के पहरे में भेजे गए।

जानकारी के मुताबिक आंदोलनकारियों ने लाखों लीटर दूध से लदे टैंकरों को पुणे, नासिक, कोल्हापुर, सांगली, बीड, पालघर, बुलढाणा, औरंगाबाद और सोलापुर में रोककर सड़कों पर खाली कर दिया गया। वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमरावती के नजदीक दूध के एक टैंकर में आग लगा दी गई।

आंदोलनकारी गोवा, कर्नाटक और केरल की तरह किसानों के लिए पांच रुपये की प्रत्यक्ष सब्सिडी की मांग कर रहे हैं।

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