ज्ञानपुर। जेल में बंद ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक विजय मिश्र के लिये लगातार पांचवी बार सूबे के सदन में पहुंचने के दोहरे रास्ते दिखने लगे हैं। निषाद पार्टी से विधायक रहे श्री मिश्र के लिये सपा से भी वाक ओवर मिलने की संभावना दिखने लगी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बीच हुये चुनावी गठबंधन ने विजय मिश्र की राह और आसान कर दी है। माना जा रहा है कि शिवपाल यादव ज्ञानपुर की जिताउ सीट प्रसपा के लिये लेंगे ओर यहां से पुराने प्रिय साथी विजय मिश्र को प्रत्याशी बनायेंगे। हालांकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ओर विजय मिश्र बीच की तनातनी आड़े आ सकती है। किन्तु कहा यह जा रहा है कि तब से अब तक गंगा में बहुत पानी बह चुका है। दोनों के बीच जमी अहं की धूल भी समय के साथ उड़ गयी है। अखिलेश को सत्ता ओर शिवपाल को अपना विधायक नजर आ रहा है। ऐसे में विजय मिश्र दोनों के लिये अपना जिताउ प्रतयाशी दिख रहे हैंं। विगत माह विजय मिश्र से जेल मिलने पहुचे शिवपाल यादव ने यह संकेत दे दिया था दुर्दिन में फंसे पुराने साथी को भुलाया नहीं जा सकता है। अब जक शिवपाल की प्रसपा का अखिलेश की सपा से गठबंधन हुआ तो यह तय लगने लगा कि विजय मिश्र द्वारा द्वारिकाधीश कहे जाते रहे शिवपाल यादव चक्रव्यूह में फंसे अपने करीबी की सुधि अवश्य लेंगे। इसके लिये यदि वे ज्ञानपुर सीट विजय मिश्र को दिलाने की हठ कर बैठे तो आश्चर्य नहीं।
उधर निषाद पार्टी के इकलौते विधायक रहे विजय मिश्र को निषाद पार्टी भी छोड़ना नहीं चाह रही है। गत माह भदोही आये निषाद पार्टी प्रमुख डॉ.संजय निषाद ने सार्वजनिक मंच से विजय मिश्र के साथ हुयी नाइंसाफी की बात उठायी थी। ओर श्री मिश्र के लिये संघर्ष का वादा किया था। चूंकि निषाद पार्टी का भाजपा से गठबंधन है। ऐसे में यदि निषाद पार्टी अपने इकलौते विधायक मिश्र के लिये ज्ञानपरु सीट लेने पर अड़ जाये तो आश्चर्य नहीं। हालांकि खुद विजय मिश्र अभी अपना पत्ता नहीं खोले हैं। वे अपने पुराने संरक्षक शिवपाल यादव छांव में जायेंगे अथवा भंवर में फंसी नाव के खेवनहार निषाद पार्टी को ही अपनाएं रहेंगे। यह उनके निर्णय पर निर्भर है। बहरहाल यह तय है कि विजय मिश्र को लगातार पांचवी बार सूबे के सदन में पहुंचाने के लिये दो—दो रास्ते पलक विछाये हैं।