Home खास खबर विविधता में एकता, भारत की विशेषता’ पर किसकी नियत खराब है?

विविधता में एकता, भारत की विशेषता’ पर किसकी नियत खराब है?

देश में नागरिकता संशोधन कानून का जिस तरह विरोध प्रदर्शन दिख रहा है उसे देखकर यह तो कत्तई नही लगता कि भारत की विविधता में एकता की यह पहचान आने वाले दिनों तक कायम रह पायेगी। क्योकि भारत की विविधता में एकता ही है जो विश्व के अन्य देशो से भारत को विशेष बनाता है। लेकिन भारत के कुछ स्वार्थी नेताओं व लोगों के वजह से इस विशेषता को बनाये रखना बडी बात है। क्योकि कुछ नेता ऐसे है जो लोगो को गुमराह करके भारत की एकता और अखण्डता को केवल तार तार करने पर लगे है। उनके पीछे किसी विशेष समुदाय का पक्ष लेना केवल एक ढोंग व राजनीति का एक अंग है। जो अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए हर हद तक जाने को तैयार है।

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों में अधिकतर लोग है जिन्हें यह पता ही नही कि विरोध क्यों कर रहे है? इन्ही विरोधियों में कुछ ऐसे भी है जिन्हें इसकी असलियत की जानकारी है लेकिन आका के ‘डर’ वश विरोध कर रहे है। जिस तरह इस कानून को मुस्लिम विरोधी बताकर नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे है और इसी पर कुछ विद्वान मुसलमान या मुस्लिम नेता इस कानून को ‘सही’ बता रहे है। विरोध करने वाले खासकर मुस्लिमों को यह सोचना चाहिए कि बिना जानकारी लिये किसी के बहकावे में आकर विरोध प्रदर्शन करना कितना सही है? यह विदित भी होना चाहिए कि भारत की आजादी से लेकर आज भी बहुत मुस्लिम है जो केवल और केवल भारत के लिए जीते है कुछ है जो किसी के बहकावे में आकर देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाये जाते है।

देश के लोगों को अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा और संस्कार देने की जरूरत है। भारत की एकता अखण्डता तभी स्थिर रह सकती है। जब देश का हर नागरिक वह चाहे किसी भी धर्म व जाति का हो उसका परम उद्देश्य भारत की एकता बनाये रखना और भारत की चतुर्दिक विकास होगा तभी देश और मजबूत होगा। राजनीति के चक्कर में कुछ दल और नेता लोगों को गुमराह करके देश का माहौल बिगाड़ना चाहते है। लेकिन जब देश का हर नागरिक ‘इण्डिया फर्स्ट’ की मानसिकता से सोच समझ कर निर्णय लेगा तो देश की एकता व शान्ति हमेशा कायम रहेगी। देश को बेचकर आपस में जांति व धर्म के नाम पर लोगों को लडाकर अपना उल्लू सीधा करने वालों से देश के हर नागरिक को सचेत रहने की जरूरत है।

विश्व का एकमात्र देश भारत है जहां की बोली-भाषा, खान-पान, पहनावा, त्यौहार इत्यादि में काफी अन्तर है लेकिन लोग एक दुसरे के साथ ऐसे जुडे है जैसे अलग करना असंभव है। जो भारत की विविधता के बावजूद भी एकता का सटीक उदाहरण है। भारत की विविधता को खंडित करने वालों को यह ध्यान होना चाहिए कि भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर सभी धर्म और सम्प्रदाय का सम्मान करना परम कर्तव्य है। जहां पर दुसरे के त्यौहारों पर भी अपनापन होता है। जहां पर हिन्दू ईद तो मुसलमान होली व दीवाली मनाने से कुरेज नही करते है। यहां ऐसे भी उदाहरण देखने को मिले है जो विश्व के किसी देश में कल्पना नही की जा सकती है। भारत की एकता और अखंडता पर आज बेशक कुछ लोग ‘कुर्सी’ के चक्कर में लोगों को बांटने में जी जान से जुटे है लेकिन उनकी मंशा कभी कामयाब नही हो सकती जब तक देश का हर नागरिक सोच समझकर हर कार्य करता है न कि किसी के बहकावे में आकर।

देश के सभी लोगों खासकर युवाओं से आग्रह है कि देश की एकता, अखण्डता, भाईचारा और विविधता पर अपने स्तर से आंच न आने दें। क्योकि देश की बागडोर युवाओं के हाथों में ही है। जरा कल्पना करें कि यदि हम ऐसे ही विरोध, दंगा, आगजनी समेत कार्यों का अंजाम देते रहेंगे तो देश के किसी भी दल के नेता का तो कुछ नही लेकिन आम जनता का काफी नुकसान होगा साथ में देश में महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी समेत काफी समस्याएं और बढेंगी। जो यह नही देखेंगी कि हम हिन्दू है या मुस्लिम या सिक्ख या ईसाई। सभी समस्याओं से एक आम नागरिक को दो चार होना पडेगा। और यह समस्या केवल एक पीढी तक न रहेगी यह कई पीढियों के लिए जहर साबित होगा।

एक बडी बात यह भी कि यदि हम धर्म या सम्प्रदाय की कट्टरता को लेकर आपस में टकराव करते रहेंगे तो हमारे बाद की पीढियों को भी यही करना पड सकता है। क्योकि जब टकराव का माहौल बना रहता है तो शिक्षा का सही अर्जन नही हो पाता जो भविष्य की एक बडी समस्या हो सकती है। हम सभी को चाहिए कि भारत की एकता और अखण्डता को कायम रखने में अपना योगदान देकर भारत को शिक्षा और विकास के क्षेत्र में और मजबूत करने का संकल्प के साथ आगे बढे। भारत की यह विविधता पूर्ण माहौल हमेशा कायम रहे और जो देश की एकता और अखण्डता को नकार करके अपनी राजनीतिक रोटी सेकने का प्रयास करे उसे देश की जनता भी नकार दे। लेकिन यह सब तभी संभव है जब हम किसी भी ‘वाद’ से निर्विवाद रूप से बाहर होकर केवल भारत की एकता, विविधता और सर्वांगीण विकास के बारे में कार्य करे। तब ही भारत की विविधता में एकता की विशेषता कायम रहेगी।

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