Home भदोही चिंताजनक है सत्ता के लिए गिरता राजनैतिक स्तर।

चिंताजनक है सत्ता के लिए गिरता राजनैतिक स्तर।

आजादी के पहले भारत में फिरंगियों को देश से हटाने के लिए भारत के तत्कालीन नेताओं और देशभक्तों ने कई संगठन और दल बनाये। जिसका केवल एकमात्र उद्देश्य अंग्रेजों के शासन से मुक्ति पाना था। काफी संघर्ष और बलिदान के बाद 15 अगस्त 1947 की सुबह आजादी की पहली किरण पूरे भारतवर्ष में फैली और देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्ति मिली। आजादी के पहले देश के लोगों में एकता व देशभक्ति की भावना न रही होती तो शायद भारत मां के पैरों में परतन्त्रता की बेडी न छूटती और आज हम 70 साल बाद अंग्रेजो के अधीन होते। आज देश के नेताओं को देश की एकता देशभक्ति व राष्ट्रवाद के लिए नही अपितु सत्ता के लिए अपने को हर स्तर तक गिराने को तैयार देखा जा रहा है। जो भारत के लिए एक चिंताजनक संदेश है। यदि देश के नेताओं में केवल सत्ता पाने के लिए राष्ट्रवाद व विकास को छोडकर ऐसे ही जंग होती रहेगी तो देश की स्थिति और भी खराब हो जायेगी। जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान गरीब, कमजोर, बेरोजगार लोगो को होगा। क्योकि देश के नेता आम जनता को मोहरा बनाकर अपनी राजनीति की रोटी सेंकते है और जनता भी है कि जाति-धर्म के चक्कर में इन नेताओं के जाल में फंस कर आपसी विवाद व मनमुटाव करते है।

देश के नेताओं का राजनैतिक स्तर इतना गिर गया है कि इनके नीति व नियम का कोई अता पता नही है। जब चाहेगे तब पता नही किसको क्या कह देंगे। कहने को तो सभी दल देश के गरीब व कमजोर की बात करते है लेकिन सच यह है कि यह केवल नेताओं की चाल है। यदि इसपर कुछ नेता काम करना भी चाहेंगे तो विरोधी इसलिए नही करने देते है कि यदि इसका प्रभाव जनता में चला जायेगा तो कुर्सी खतरे में पड जायेगी।
भारत के राजनीति में इतनी गंदगी भर गई है कि देश में शासन करने की चाह रखने वाले नेताओं व दलों के शह पर कार्यक्रम व अन्य जगहों पर भारत विरोधी ताकत पाकिस्तान का झंडा लहराते है और पाकिस्तान के पक्ष में नारा लगाते है। कुछ नेता जम्मू कश्मीर में 370 के नाम पर ऐसी ऐसी बयानबाजी करते है कि पुरे देश को एक बार सोचने पर मजबूर कर देता है। यदि कोई इनकी बातों का विरोध करे या कार्यवाही की बात करे तो तथाकथित भाडे के लोगो को भारत में डर लगने लगता है। और जब देश में देश के गद्दारों द्वारा किसी कृत्य की बात सामने आती है तो तथाकथित डरने वाले मौन बनकर तमाशबीन बने रहते है। और समाजवादी, वामपंथी और धर्म के ठेकदारी करने वाले नेताओं को सांप सूंघ जाता है।

देश में नेताओं की संख्या में भ्रष्ट नेता ज्यादा है, नही तो चाहिए कि देशविरोधी गतिविधियों में थोडी सी संलिप्तता सामने आने पर तुरंत ही सजा का प्रावधान हो। देश के गद्दार नेताओं की विचारधारा इतनी गंदी हो गई है कि अपने सत्ता के लिए सर्वोच्च सदन संसद, सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग की बात पर भी अपने दोगले होने का परिचय देते है। अब यहां एक बडा ही जटिल प्रश्न बनता है कि जब कुछ तथाकथित नेता सर्वोच्च न्यायालय व चुनाव आयोग पर सवाल उठा सकते है तो नेताओ पर सवाल उठाना कौन सी बडी बात है? ऐसे लोगो की मानसिकता केवल देश को जाति-धर्म के मुद्दों पर बांटकर देश को लूटना है। कुछ नेता अभिव्यक्ति की आजादी तो कुछ विशेष जाति या धर्म के नाम पर जनता को बरगलाकर अपनी राजनीति चमकाना चाहते है। नेता राजनीति के स्तर को इतना नीचे गिरा दिये है कि शिक्षित लोग राजनीति में आने से संकोच करते है और इसी वजह से नेताओं की संख्या में भ्रष्टाचारी, अपराधी नेता अधिक पहुंच जाते है। जो देश को अन्दर से खोखला करके झूठी देशभक्ति का चोला ओढकर समाज को मूर्ख बनाते है।

भारत में युवाओं की संख्या अधिक है यदि देश के युवा जाति धर्म से ऊपर उठकर ऐसे नेता को चुने जो बेदाग व स्वच्छ छवि का हो और देश की एकता अखण्डता व राष्ट्रवाद पर देश के साथ हो। यदि देश के लोग इन ढोगी नेताओं के जाल में फंसकर जाति धर्म पर नेता चुनेंगे तो देश की दशा और भी खराब होगी जिसकी जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की होगी। भारत के हित और विकास के लिए समर्पित नेताओं को ही अपना नेता बनाकर देश की प्रगति में सहयोग करना देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। यदि भारत का हर नागरिक केवल देश की वर्तमान दशा पर दूसरों को ही जिम्मेदार मानता है तो यह सही नही है। हम सब भारत की दशा पर सार्वजनिक रूप से जिम्मेदार है। क्योकि हम खुद तो नही सुधरते है और लोगों से सुधरने की आशा रखते है।

देश का हर नागरिक सच्चा सिपाही है जो जहां है वहीं अपने कार्यों को ईमानदारी व राष्ट्रीय भावना के साथ करें तभी भारत को एक अच्छे दशा में देखने की कल्पना साकार होगी। देश को भ्रट और अपराधियों से बचाने आम नागरिक का सहयोग ही महत्वपूर्ण है। आजादी के समय जो देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान को बलिदान कर दिये उनकी आत्मा को और सुकून मिलेगा जब भारत मां देश के भ्रष्ट व अपराधी नेताओं की चंगुल से मुक्त होकर एक स्वच्छ व देशभक्तिपूर्ण माहौल होगा। इस पुनीत कार्य में देश के सभी नागरिकों का सहयोग बेहद जरूरी है। क्योकि देश में राजनीति का स्तर इतना नीचे गिरना बहुत ही चिंता का विषय है। जिसको सुधारने के लिए देश के हर नागरिक को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर आगे आना होगा।

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