Home अयोध्या इक शख़्श सारे शहर को वीरान कर गया

इक शख़्श सारे शहर को वीरान कर गया

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अयोध्या : विश्व हिन्दू परिषद से जुड़कर राम मन्दिर आन्दोलन से निकल कर पत्रकारिता में कदम रखने वाले लोकेश प्रताप सिंह का अल्पायु में गोलोक गमन करना हर किसी को रुला गया। दैनिक जागरण में उनका सफर कानपुर, बरेली, पीलीभीत व बदायूं तक पहुंचा। जनपद अयोध्या अन्तर्गत सोहावल तहसील के रामनगर धौरहरा निवासी लोकेश प्रताप सिंह ( वरिष्ठ उप मुख्य संपादक, दैनिक जागरण ) को केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मन्त्री मेनका संजय गांधी ने राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास संस्थान (निपसिड) का वाइस चेयरमैन नियुक्त किया था।

वह १९९० से ही राम मन्दिर आन्दोलन से जुड़ गये तथा विश्व हिन्दू परिषद की मीडिया का दायित्व देखने लगे। इस दौरान मन्दिर आन्दोलन में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करने के साथ ही उन्हें विश्व संवाद केन्द्र दिल्ली का निदेशक बना दिया गया।  इसी दौरान मन्दिर आन्दोलन के शलाका पुरुष महंत रामचंद्र दास परमहंस जी, अशोक सिंघल जी, गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्य नाथ व उनके शिष्य तथा उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमन्त्री योगी आदित्य नाथ, भाजपा व संघ के बड़े नेताओं के संपर्क में आ गये।

केन्द्र की अटल जी की सरकार के दौरान लोकेश को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में राजभाषा समिति का सलाहकार नियुक्त किया गया। इसके पश्चात दैनिक जागरण में उप संपादक के रूप में जन सरोकारों पर उल्लेखनीय कार्य भी लगातार करते रहे। गंगा – गोमती सहित विभिन्न नदियों के पुनरुद्धार पर कार्य करने के लिए उन्हें आधुनिक भागीरथ के रूप में विभिन्न पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।

१२ नवम्बर २०१६ को उनके मार्ग दर्शन में आयोजित श्रीमदभागवत कथा का उद्घाटन योगी आदित्य नाथ ने किया था। इसमें विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महामन्त्री चम्पतराय जी समेत संगठन के कई बड़े लोगों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान योगी जी उनके घर पर लगभग तीन घंटे रहे थे। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है, विवादों ने पीछा नहीं छोड़ा फिर भी उनके चेहरे पर लगातार मुस्कान ही नजर आती रही। नवोदित पत्रकारों को वह बड़े स्नेह से पत्रकारिता के गुर सिखाया करते थे। दो वर्ष तक कैंसर जैसी विकराल बीमारी से भी वह लड़ते रहे। उनका जज्बा, काम के प्रति समर्पण, हर किसी के साथ घुल मिल जाना ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी रही।

पत्रकारिता में अमिट छाप छोड़कर वह अनन्त यात्रा पर भले निकल गए हैं लेकिन नदियों व वन्य जीवों पर लिखी गयी उनकी स्टोरी युगों – युगों तक उनको जीवित रखेगी। दैनिक जागरण के कई एडिशनों में काम कर चुके और सरोकारों की पत्रकारिता के पक्षधर लोकेश ने पीलीभीत के गोमती उद्गम-स्थल के पुनरुद्धार पर काफी संघर्ष किया। पानी सा निश्छल और नदी जैसे निरंतर बहाव के व्यक्तित्व वाले लोकेश का सामना कैंसर जैसे जानलेवा रोग से हो गया था। उनका जाना गोमती नदी के आन्दोलन को अपूर्णीय छति पहुँचायेगा। खालिद के इस शेर के साथ लोकेश जी को विनम्र श्रद्धान्जलि


“बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई,”
“इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया…”

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