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भारत यात्रा का मकसद देश को नशामुक्त कर विश्वगुरु बनाना – सुमित सिंह ,काशियाना फाउंडेशन

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हिंदुस्तान के 17 राज्यों के लगभग पांच करोड़ लोगों को जागरूक करने के लिए काशियाना फाउंडेशन की तरफ से नशा मुक्त भारत यात्रा का आगाज बुद्ध के पंचशील सिद्धांत से प्रेरित है। जहां भगवान बुद्ध ने मानव जाति को नशा से मुक्त करने की लिए न केवल संदेश दिया था बल्कि उसके उपायों को भी सुझाया था।

काशी से लेकर कश्मीर तक की यह यात्रा कई मामलों में बेहद महत्वपूर्ण और अनोखी है। काशियाना भारत के हर नागरिक से मानवता के इस महायज्ञ में थोड़ी-थोड़ी आहुति की भी आशा रखता है।
सर्वे भवंतु नशामुक्त : के ध्येय वाक्य को अपना आदर्श सूत्र मानकर काम कर रहे काशियाना फाउंडेशन की झोली में तमाम सी उपलब्धिया है जिन पर कोई भी भारतीय नागरिक गौरव से झूम सकता है।
काशियाना फाउंडेशन को महज एक संगठन अथवा संस्था के रूप में समझना इसके पालकों के साथ न केवल अन्याय होगा बल्कि मानवता हेतु समर्पण का आकलन भी कमतर होगा। काशियाना एक संगठन अथवा एक ब्रांड से अधिक समर्पित लोगों की एक इमोशन (भावना)है।

महादेव की नगरी काशी से एक अद्भुत विचार निकला जो आज पूरे देश के प्रत्येक कोने पर न केवल लोगों के कल्याण हेतु कार्य कर रहा है बल्कि एक नए समाज का निर्माण करने में अपनी महती भूमिका भी अदा कर रहा है।
जिस प्रकार दुनिया पर संकट छा जाने के पश्चात काशीवासी देवों के देव महादेव ने दुनिया को बचाने का बीड़ा उठाया उसी प्रकार काशी निवासी युवा सुमित ने नशे की धुंध में उड़ते देश के भविष्य को फिर से संवारने का बीड़ा उठाया है।

26 साल का यह युवा उम्र से भले ही युवा है मगर सोच विचार और सामाजिक अनुभवों के मामले में अपनी उम्र के दोगुना आयु वाले लोगों को विचलित कर देता है। सुमित समाज के उस वर्ग से आते हैं , जिन्हें खुद कुआं खोदकर पानी पीना पड़ता है। देश के हिंदी भाषी क्षेत्र पूर्वांचल के एक नवसृजित जिले भदोही में जन्मे सुमित के कुछ कर गुजरने का यह जुनून ही था कि अपने करियर को एक तरफ रख समाज की चिंतन में खुद को समर्पित कर लिया।

सुमित बताते हैं कि हमें रामायण और महाभारत में तमाम ऐसी घटनाएं देखने को मिलेगी जहां कई वंशों का नाश केवल मदिरा और नशे के कारण हुआ। के साथी प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत तक नशे के दुष्परिणाम को हम देखते ही आए हैं।

अल्पायु में ही मां के सुख से वंचित हो चुके सुमित ने न केवल भारत माता को अपनी माता मान लिया बल्कि भारत माता की सभी संतानों से सहोदरों की भांति व्यवहार भी करने लगे।

अध्यात्म और संस्कृति का झंडा बुलंद करने वाली बनारस की गलियों में सुमित से तमाम ऐसे युवा टकराने लगे जिनकी हालत दिन-ब-दिन नशे के कारण गंभीर होती जा रही थी। शराबी बाप और पति से पिटने वाली महिलाओं और बच्चों की चित्कार अब सुमित की नींद उड़ाने लगी थी। यह उम्र सुमित के कैरियर बनाने की थी, अगर सुमित ने अपने सहपाठियों की परवाह किए बिना अपने लक्ष्य के प्रति तेजी से बढ़ने लगे। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अभी तक बुद्ध की राह पर कदम बढ़ा चुके सुमित के पास अपना कोई गुरु नहीं था। मगर सुमित का सहज और सौम्य व्यवहार हर किसी को उनका मुरीद बना लेता था। खाते ,पीते सोते जागते पढ़ते ,लिखते हमेशा राष्ट्र सेवा की भावना से ओतप्रोत रहने वाले सुमित ने बहुत कम दिन में काशियाना फाउंडेशन को काशी से निकालकर देश के प्रत्येक कोने पर पहुंचा दिया।

कहा जाता है कि समाज में जब कोई अच्छा कार्य करता हैं तो तमाम लोग प्रेरित होकर उससे जुड़ते भी हैं ।ठीक ऐसा ही सुमित के पास साथ भी हुआ, सुमित मंजिल की तरफ अकेले बड़ी थी मगर अब सुमित के पास हजारों सदस्यों का अपना कारवां है।

हम अकेले ही चले थे जानिबे मंजिल मगर
लोग आते गए और कारवां बढ़ता गया

पढ़ने लिखने में बेहद होनहार सुमित ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद भदोही से बनारस का रुख किया। बनारस की फक्कड़ आबोहवा ,सुमित का सामाजिक मिजाज जब काशी विद्यापीठ की मैदानों से टकराया तो एक विभूति गढ़ देने वाला विचार सुमित के मन में बिजली की तरफ कौंधा।

इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए जब सुमित ने समाज में कदम रखा तो कई प्रकार के जोखिमों से उनकी रूबरू मुलाकात हुई, मगर सुमित के हौसलों के सामने इन समस्याओं की कोई भी साथ नजर नहीं आई।

आज काशियान फाउंडेशन को उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बखूबी जानते हैं कई बार मंचों से उन्होंने सुमित और सुमित के संस्था को सराहा भी है।

वेश्यावृत्ति के धंधे से बजबजाती मंडुआडीह की गलियों में सुमित ने एक नया प्रकाश जलाया है। अपने अथक प्रयासों और कभी ना हार मानने वाली जिद के बलबूते सुमित ने मंडुआडीह की करीब 100 परिवारों को गोद लेकर उन्हें न केवल वेश्यावृत्ति के कीचड़ से निकाला बल्कि उनके बच्चों को पढ़ाई लिखाई की तरफ भेजने का काम भी किया। आज वहां की बच्चे लगभग नशे से मुक्त होकर अपना उज्जवल भविष्य तलाशने के लिए शहर के नामी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।

काशियाना फाउंडेशन की बदौलत आज न केवल बनारस बदल रहा है बल्कि हिंदुस्तान की क्षितिज पर एक नए विचारों का उत्तोलन भी हो रहा है, हम यह बात कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं समझते कि काशियाना एक दिन पूरे देश से नशे को समूल नष्ट कर देगी।

अपनी साप्ताहिक मासिक और वार्षिक बैठकों की गुणवत्ता और परिणाम पर एक गोष्ठियों के पश्चात आशियाना नहीं नशा मुक्त भारत की पक्ष में युवाओं की नई पौध तैयार कर दी है। यह युवा न केवल खुद नशे से दूर है बल्कि समाज में विभिन्न माध्यमों से जागरूकता फैलाकर लोगों को नशे से बचने की सलाह दे रहे हैं।

बुद्ध की तरह भारतवर्ष में अपनी ख्याति बटोर रहे सुमित कहते हैं कि भारत विश्व गुरु तभी बन सकता है जब भारत में नशे का समूल विनाश हो जाए। इसके लिए न केवल युवाओं को आगे आना पड़ेगा बल्कि सुबह जब तक यह नहीं समझेगा कि पूरा भारत हमारा घर है तब तक हम भारत को नशा मुक्त नहीं कर सकते।

हालांकि सुमित का यह अभियान बेहद कम समय में न केवल अत्यंत प्रभावशाली लक्ष्य तक पहुंच चुका है बल्कि समाज में एक मूल्य और आदर्श की स्थापना भी कर रहा है।

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