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लॉक डाउन के दौरान अब जनपद वासियों को मिल सकेंगी आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं 

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जनपद में अब तक एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं पाया गया 

अयोध्या, उत्तर प्रदेश। जनपद में अब तक एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं मिलने के फलस्वरूप लॉक डाउन के दौरान जनपद वासियों को इमरजेंसी चिकित्सा सेवाएं प्राप्त हो सकेंगी। जिला प्रशासन ने अच्छी चिकित्सा सेवाएं देने वाली विशेषज्ञ डॉक्टरों के १९ नर्सिंग होम व प्राइवेट अस्पतालों को अनुमति प्रदान की है। जिला प्रशासन की इस सार्थक मानवीय पहल की सराहना हो रही है। हालांकि लॉक डाउन के दौरान ओपीडी पूरी तरह बंद रहेगी। जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ घनशयाम सिंह द्वारा चिन्हित १९ निजी चिकित्सालयों को लॉक डाउन के दौरान कुछ शर्तों के साथ केवल आकस्मिक सेवाएं शुरू करने की अनुमति प्रदान की है। गंभीर प्रकृति के रोगी अपनी इच्छा अनुसार इन निजी चिकित्सालय में विशेषज्ञ डॉक्टरों से अपना इलाज करवा सकते हैं। जिला प्रशासन द्वारा जन सामान्य की चिकित्सा संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी गतिविधियों को सुचारू बनाने की नीति के तहत अनुमति जारी की गई है।

लॉक डाउन के दौरान केवल और केवल इमरजेंसी सेवाएं ही चालू रहेंगी जबकि अग्रिम आदेश तक ओपीडी पूर्ण रूप से बंद रहेगी। जिला मजिस्ट्रेट ने आगे बताया कि इन निजी चिकित्सालयों को चिकित्सालय में मरीज के प्रवेश के पूर्व हैंडवाश, साबुन, लिक्विड सोप व सैनेटाइजर से हाथों को सेनीटाइज कराना अनिवार्य होगा। यदि मरीज ने मास्क नहीं पहना है तो चिकित्सालय प्रबंधन मरीज को तुरंत मास्क उपलब्ध कराएगा। प्रवेश के समय मरीज और उसके साथ आने वाले परिवार के सदस्य की प्रथम दृष्टया थर्मल स्क्रीनिंग कराना अनिवार्य होगा। यदि कोई मरीज अथवा उसके साथ आया व्यक्ति कोरोना वायरस का संदिग्ध प्रतीत होता है और उसमें कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं तो संदिग्ध मरीज को पृथक कक्ष में रखना अनिवार्य होगा और इसकी सूचना तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देनी होगी। समस्त ऐसे मरीज जिनको चिकित्सालय में एडमिट किया गया है अथवा किया जाएगा उन सभी की अनिवार्य रूप से कोरोना सैंपलिंग करानी होगी। साथ ही सभी निजी चिकित्सालयों को एन ९५ मास्क व पीपीई किट एवं संक्रमण से सुरक्षा के सभी उपकरण पर्याप्त मात्रा में रखने के साथ सभी चिकित्सकों तथा पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा प्रयोग करना अनिवार्य होगा।

सामाजिक दूरी का मानक सुनिश्चित करते हुए कर्मिकों की उपस्थिति ३३% रखनी होगी। चिकित्सीय परामर्श व टेली कंसल्टेंसी, टेली मेडिसिन के माध्यम से दिए जाएंगे। इंफेक्शन प्रिवेशन प्रोटोकॉल का शत प्रतिशत पालन करना होगा ।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ घनश्याम सिंह ने बताया जगत हॉस्पिटल के आर्थो के डॉक्टर सूर्यमणि द्विवेदी, चिरंजीव हॉस्पिटल के डॉक्टर उमेश कुमार चौधरी (सर्जरी), दिव्या हॉस्पिटल के डॉक्टर विजय प्रताप सिंह(सर्जरी), राज राजेश्वरी हॉस्पिटल डॉ अरविंद कुमार मिश्रा (न्यूरो सर्जरी), डॉक्टर देवा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ अतुल वर्मा (अर्थो), देवा मेमोरियल हॉस्पिटल डॉ रजनीश वर्मा (सर्जरी), डॉ सुमिता वर्मा(स्त्री रोग), संजाफी हॉस्पिटल एवं सर्जिकल सेंटर के डॉक्टर मुकेश कुमार गौतम (आईसीयू), केयर हॉस्पिटल डॉक्टर अफरोज खान (मेडिसिन), रेनू मेमोरियल ऑर्थो सेंटर के डॉक्टर अनिल कुमार, कौशल चाइल्ड केयर एंड मेडिकल सेंटर के डॉक्टर केएन कौशल (बालरोग), टीएलएम हॉस्पिटल के डॉक्टर बीनू बेरी(चर्म रोग व कुष्ठ), सीताराम मेडिकल सेंटर के डॉक्टर अभिषेक शरण( मेडिसिन), लाइफ लाइन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर विपिन कुमार(सर्जरी) हर्षण हृदय संस्थान के डॉक्टर अरुण कुमार जायसवाल (ह्रदय रोग), आनंद मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर आनंद गुप्ता (मेडिसिन), अयोध्या आई हॉस्पिटल के डॉक्टर पवन कुमार(नेत्र रोग), यशलोक हॉस्पिटल के डॉक्टर चितरंजन वर्मा(बाल रोग) एवं डॉक्टर मृदुला वर्मा ( स्त्री रोग), अवध न्यूरो साइकेट्री डॉक्टर शिशिर वर्मा( मनोरोग) व निर्मला हॉस्पिटल के डॉक्टर आरके बनोधा ( मेडिसिन एवं आइसीयू) को अपने से सम्बंधित मरीजो के इलाज की अनुमति जिला प्रशासन द्वारा जारी की गई है।

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