Home भदोही जागरूकता के अभाव में संविधान के पहुंच से दूर है वनवासी समाज

जागरूकता के अभाव में संविधान के पहुंच से दूर है वनवासी समाज

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संविधान दिवस पर समाजसेवियों समझा वनवासी समाज का दर्द
जिला मुख्यालय के पास बसे इस बस्ती में एक भी शौचालय नहीं

भदोही। 26 नवंबर 1949 को हमारा संविधान तैयार हुआ था। इस दिन को संविधान दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया गया किन्तु संविधान निर्माता बाबा डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जो सपना देखा था वह सपना आजतक पूरा नहीं हो पाया है। जिस समाज को बराबर का हक दिलाने के लिये संविधान की रूपरेखा तैयार हुई थी। उस समाज की ही एक कड़ी वनवासी समाज आज भी अपने हक से बहुत दूर नजर आती है। शुक्रवार को ज्ञानपुर स्थित चकटोडर गांव स्थित वनवासी बस्ती में सामाजिक संस्था साहस साथी द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर एक चौपाल का आयोजन किया गया जिसमें वनवासी समाज के लोगों के साथ उनके दुख दर्द को साझा किया गया।
बताते चलें कि इस बस्ती में सैकड़ों वर्षों से वनवासी समाज के लोग बसे हुये हैं। जो मौजूदा समय में 26 घर हैं। चौपाल में शामिल करीब 200 पुरूष महिलाओं ने अपनी व्यथा व्यक्त की। उन्होने बताया कि कुछ लोगों को आवास मिला था किन्तु दीवारें खड़ी करके छोड़ दी गयी। अधिकतर लोग अभी भी घास फूस की बनी झोपड़ियों में रहने को विवश हैं। बस्ती में एक भी शौचालय नहीं बना है। लिहाजा लोगों को खेतों में शौच के लिये जाना पड़ता है। जिसका खामियाजा उन्हें बेगारी करके सहना पड़ता हैं। बस्ती के लोगों ने बताया कि आसपास के दबंग लोग उन्हें जमीन खाली करने की धमकी देते रहते हैं। उनसे जबरदस्ती काम कराया जाता है और मजदूरी मांगने पर मारा पीटा जाता है। लोगों का कहना है कि असपास के कुछ लोग बस्ती छोड़ने का दबाव बना रहे हैं।
इस मौके पर चौपाल को संबोधित करते हुये हरीश सिंह ने वनवासी बस्ती के लोगों को जागरूक करते हुये कहा कि यदि अपने हक को पाना है तो बच्चों को शिक्षित करना और सभी को एकजुट होने की जरूरत है। संविधान सभी को सम्मान से जीने का हक देता है। यदि कोई भी अन्याय करे तो एकजुट होकर अपनी बात अधिकारियों तक अवश्य पहुंचाये। इस मौके पर समाजसेवी अनिल कुमार, वाराणसी से बेगम शबनम व रमाकांत यादव सहित काफी लोग मौजूद रहे।

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