अयोध्या। दुर्गापूजा महोत्सव की जो तैयारियां दो से ढाई माह पूर्व ही दिखने लगती थी, इस बार नहीं दिख रही है। वजह, दुर्गापूजा समितियों को महोत्सव के आयोजन के लिए शासन की गाइडलाइन का इंतजार है। शासन से गाइडलाइन जारी होने के उपरांत ही महोत्सव के आयोजन की रूपरेखा तय की जाएगी। इससे पहले गणेश पूजन व जन्माष्टमी में भी सार्वजनिक कार्यक्रमों के आयोजनों पर रोक लगा दी गई थी।
इसके बाद पूजा समितियों से जुड़े लोगों ने घरों पर ही आयोजन किया। वहीं शारदीय नवरात्र पर होने वाला महोत्सव बेहद भव्य रूप में होता रहा है। इस बार शारदीय नवरात्र की शुरुआत 17 अक्टूबर से हो रही है। जिले भर में करीब 12 सौ स्थानों पर दुर्गापूजा महोत्सव का आयोजन किया जाता है।ग्रामीण क्षेत्रों में पहले दिन से ही महोत्सव की शुरुआत होती है, जबकि शहरों में करीब दो दर्जन स्थानों पर नवरात्र के पहले दिन व अन्य स्थानों पर अंतिम चार दिन महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसके लिए जून-जुलाई माह से ही मूर्तियां बनाने का काम आरंभ हो जाता है, लेकिन कोरोना काल में इस बार लंबी दूरी की ट्रेनें बंद होने से पश्चिम बंगाल से आने वाले मूर्ति कारीगर भी नहीं आ सके हैं।
शहर में देवकाली व नाका बाईपास पर महोत्सव के लिए प्रतिमाएं बनाई जाती रही हैं। नवरात्र के दिनों में ही जिले में करीब सौ स्थानों पर रामलीला का मंचन भी होता है। गाइड लाइन नहीं आने से अभी तक महोत्सव व रामलीला के मंचन को लेकर केंद्रीय दुर्गापूजा एवं रामलीला समन्वय समिति की बैठक भी नहीं हो सकी है। केंद्रीय समिति के अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने बताया कि शासन से गाइडलाइन जारी होने व प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता के उपरांत ही दुर्गा पूजा महोत्सव व रामलीला के मंचन आयोजन का स्वरूप तय किया जाएगा।