तिरछी नज़र …
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या राजनीति के कुटिल कुत्सित कूटनैतिक दुष्चक्र से जूझती नज़र आ रही है। पल – पल बदलते चुनावी समीकरण से कहीं नेता तो कहीं जनता भी चिन्तित होने लगी है। एक ओर जहां बेदाग छवि के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता निर्मल खत्री कान्ग्रेस के बैनर तले ( ध्यान रहे ये वही कांग्रेस है जिसकी रैलियों में कई बार पाकिस्तान ज़िन्दाबाद के नारे लगे व पाकिस्तान के परचम लहराये जा चुके हैं ) संसद के स्वप्न देख रहे हैं, तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी से आनन्द सेन यादव अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
बताते चले कि ये वही समाजवादी पार्टी है जिसके कद्दावर नेता आज़म खान कभी भारत माता को डायन कहते हैं कभी देश द्रोही बयान देते हैं तो कभी ( अभी हाल में ही ) भारतीय नारियों के प्रति घोर निन्दनीय भाषा का प्रयोग करते नज़र आते हैं। भारतीय जनता पार्टी से वर्तमान सांसद लल्लू सिंह पुनः मात्र नरेन्द्र मोदी के नाम/काम के सहारे एवं राम भरोसे ( हालांकि सांसद जी पिछले पांच वर्ष कभी क्षेत्र में नज़र नहीं आये और श्री राम जी स्वयं भाजपा एवं न्यायालय के भरोसे हैं ) अतिआत्मविश्वास से लबरेज नज़र आ रहे हैं एवं अपनी विजय को सुनिश्चित मान कर निश्चित हैं।
तो दूसरी तरफ पूर्व आईएएस अधिकारी ( फैज़ाबाद के जिलाधिकारी रह चुके ) विजय शंकर पाण्डेय अपने विगत कार्यकाल को अपना आधार मानकर संसद भवन में अपनी सीट पाने का मंसूबा पाले हैं तो कई अन्य उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं। इन सबके बीच अपनी निस्वार्थ समाजसेवा के लिए जाने जानेवाले निर्दलीय प्रत्याशी राजन पाण्डेय जो सदैव आम जनता का दुख दर्द बांटते रहते हैं अब सांसद बन कर क्षेत्र के लोगों की सेवा करना चाहते हैं, एवं धीरे-धीरे आम लोगों की पसन्द बनते जा रहे हैं।
अयोध्या ( फैज़ाबाद ) के इस लोकसभा चुनाव में जातिगत समीकरण तथा शहर – शहर, गांव – गांव कुकुरमुत्तों की तरह फैले वोटों के स्वयंभू तथाकथित ठेकेदारों/चाटुकारों के दम पर चुनाव जीतने का ख्वाब पाले नेताओं को जनता इस बार करारा सबक सिखाने के मूड में है। फिलहाल कौन जीतेगा और कौन हारेगा यह तो भविष्य तय करेगा, पर देश की जनता चाहती है कि लोकतन्त्र के इस महापर्व पर देश न हारे, हिन्दुस्थान विजयी हो।
सभी को शुभकामनाएं, आगे राम जी की नगरी में राम जी की इच्छा …