अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या के थाना कोतवाली इनायत नगर अन्तर्गत आनेवाले गांव हल्ले द्वारिकापुर में कुछ तथाकथित माननीय यशस्वी नेताओं का छद्म समाजवाद ध्वस्त होता नज़र आ रहा है । एक ओर जहां सूबे की सरकार सुशासन का नारा दे रही है वहीं दूसरी ओर सूबे में गुण्डई थमने का नाम नहीं ले रही ।
बताते चलें कि जनपद अयोध्या थाना कोतवाली इनायत नगर अन्तर्गत एक गांव हल्ले द्वारिकापुर में जमीनी रंजिश के चलते प्रधान देवशरण यादव की हत्या हो जाती है । निःसन्देह प्रधान देवशरण यादव की हत्या अत्यन्त दुःखद है और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी ही चाहिये । उक्त दुःखद हत्याकाण्ड के बाद प्रधान यादव के अति उत्साही समर्थकों द्वारा हत्यारोपियों के गांव में जमकर ताण्डव किया जाता है, हत्यारोपी ब्राह्मण के परिवार के सात घरों में तोड़फोड़ व लूटपाट की जाती है, ट्रैक्टर ट्राली, कई मोटरसाइकिलें, साइकिलें व अन्य गृहस्थी के सामान जला दिए जाते हैं । सभी सात घरों पर पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया जाता है, और तो और पालतू पशुओं तक को नहीं बख्शा जाता, गौमातायें जला दी जाती हैं ।
सात घरों के सभी भयग्रस्त सदस्य गांव छोड़कर पलायन कर जाते हैं, समाचार संकलन करने गए पत्रकारों पर भी हमले होते हैं । पत्रकार की पिटाई की जाती है, उसका चश्मा तोड़ दिया जाता है, उसके पैसे तथा मोबाइल छीन लिए जाते हैं । जब पीड़ित पत्रकार सम्बंधित थाने पर एफआईआर लिखाने जाता है तो उसकी एफआईआर तक नहीं लिखी जाती । मज़बूर होकर जनपद की पत्रकार बिरादरी को धरना प्रदर्शन करना पड़ता है तब कहीं जाकर एफआईआर लिखी जाती है । और उक्त उपद्रव पुलिस के सामने होता है, आश्चर्यजनकरूप से प्रशासन मूकदर्शक बना रहता है । आखिर हम किस युग में जी रहे हैं ? हत्या का आरोपी कोई एक या दो हो सकते हैं परन्तु हत्यारोपियों का पूरा परिवार तो कदापि दोषी नहीं हो सकता । प्रधान समर्थकों का उक्त बीभत्स ताण्डव देखकर तो यही लगता है कि उपद्रवियों का वश चले तो वे पूरी धरती ही ब्राह्मण विहीन कर दें । जो भी हुआ अत्यन्त निन्दनीय है और स्वस्थ समाज तथा लोकतन्त्र के लिए घातक भी है ।
अब शुरू होता है कुछ तथाकथित यशस्वी नेताओं द्वारा मामले को जातिवाद की हवा देकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने का कुत्सित प्रयास, यह संयोगमात्र नहीं है कि एक हत्या के बदले पूरा गांव जला दिया जाय । हल्ले द्वारिकापुर काण्ड में कई नेताओं के छद्म समाजवादी चोले ध्वस्त होते नज़र आ रहे हैं, जाति देखकर राजनीति की जा रही है, जो अत्यन्त निन्दनीय है ।
हालांकि कुछ समाजसेवी संगठनों, पत्रकारों व भले नेताओं के प्रयास से उपद्रवियों पर गम्भीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हो गए हैं । अब देखना यह है कि प्रशासन दोषियों के खिलाफ क्या कार्यवाही करता है ? उक्त हत्याकाण्ड में प्रशासन का रवैया, नेताओं की जातिवादी राजनीति, स्वार्थी समाजसेवा से कई सवाल खड़े हो रहे हैं जिनका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है । जो भी हुआ और जो हो रहा है अत्यन्त दुःखद है, दोषी चाहे जो भी हों उन्हें कठोर सजा तथा निर्दोष को न्याय मिलना ही चाहिए ।