Home खास खबर अगर ट्विटर पर लिखा तो कई धाराए लगा देंगे : थानाध्यक्ष

अगर ट्विटर पर लिखा तो कई धाराए लगा देंगे : थानाध्यक्ष

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भदोही। चर्चा में बने रहना पुलिस का काम होता है। कभी अपने अच्छे कार्यों से तो कभी अपने कारनामों से। यहाँ हम बात कर रहे हैं भदोही जिले के गोपीगंज थाने की और भदोही पुलिस की। जी. टी रोड पर स्तिथ गोपीगंज थाना काफी मशहूर है और वहां आने वाले थानध्यक्ष भी चर्चा में रहते ही है। बता दें कि गोपीगंज थाना क्षेत्र वैसे भी दबंगों का क्षेत्र माना जाता है।

यहाँ हम बताना चाहते हैं की इसी माह के ६ जनवरी २०२१ को थानाध्यक्ष के पास पीड़ित रोहित शुक्ल एवं मोहित शुक्ल ने अर्जी दी थी और उनके ऊपर हो रहे अत्याचार के बारे में थानाध्यक्ष के.के. सिंग को विस्तार से बताया एवं मुक़दमा दर्ज करने के लिए अनुरोध किया। मामला सुनने के बात श्री सींग ने कहा की एक दिन का समय दीजिये विपक्षी से बात कर आगे की करवाई करेंगे। क्योंकि मामला ज्ञानपुर के बाहुबली विधयक के बहन से जुड़ा था।

दो दिन का समय बीत जाने पर भी थानाध्यक्ष ने दी हुई अर्जी पर संज्ञान नहीं लिया तो प्रार्थी ने शोशल मीडिआ प्लेटफार्म का सहारा लिया एवं ट्विटर पर ट्वीट करवाया। जिसमे प्रार्थी ने अपने जान का खतरा बताया एवं प्रशासन से मदत की गुहार लगाई। ट्विटर पर प्रार्थी के ट्वीट देख कर गोपीगंज थानाध्यक्ष तिलमिला गए और १५ जनवरी २०२१ को प्रार्थी रोहित शुक्ल एवं मोहित शुक्ल को सुबह ११ बजे फोन कर गोपीगंज थाना पर आने को कहा। जब पीड़ित थाना पर पहुंचे तो देखा की विपक्षी अशोक शुक्ल एवं उनके सहयोगी थानाध्यक्ष के साथ पहले से मौजूद थे। आपको यहाँ बताना चाहेंगे की तथाकथित शातिर अपराधी अशोक शुक्ला ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक के बहनोई है और उन्ही के नाम पर ये दबंगई करते है।

प्रार्थी रोहित एवं मोहित ने समझा की हो सकता है की थानाध्यक्ष उनके विवाद का निवारण कर देंगे किन्तु यहाँ ऐसा न होकर उलट थानाध्यक्ष पार्थी को डाटने फटकारने लगे एवं जोर जोर से चिल्ला कर बोले की “ट्विटर पर ट्वीट कर रहे हो और करवा रहे हो, होश में रहो नहीं तो इतनी धाराए लगाएंगे की दिमाग दुरुस्त हो जायेगा। लिखते हो की प्रशाशन सो रही है “।

Bhadohi, News, Twitter
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यहाँ बताना चाहते है की अगर प्रशाशन मामले का संज्ञान नहीं लेती तो उस मामले को सोशल मिडिया के द्वारा उठाया जाता है ताकि मामले की सुनवाई जल्द से जल्द हो। क्या ट्विटर पर ट्वीट करना गुनाह है ? यहाँ सवाल ये है की थानाध्यक्ष ने मामले का संज्ञान क्यों नहीं लिया। या हो सकता हो की थानाध्यक्ष दबंगो के दबाव में मामले को दबाने की कोशिश में हो? इस स्थिति में क्या अपने पक्ष को प्रशाशन तक पहुँचाने का हक़ प्रार्थी को नहीं है। हो सकता है की सरकार ट्विटर के माध्यम से ही प्रार्थी पर हो रहे अत्याचार का संज्ञान ले एवं करवाई करे। क्योंकि अर्जी ६ जनवरी २०२१ को की गयी थी जिसमे प्रार्थी ने अपने व् परिवार के जान का खतरा बताया था उसके बाद भी थानध्यक्ष ने ना ही मौके का मुआयना करवाए और न नहीं कोई करवाई किये।

 

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