बीकापुर-अयोध्या। बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की चर्चित फिल्म दबंग का एक डायलॉग बहुत मशहूर हुआ था कि “थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब प्यार से लगता है “, लेकिन जब वही थप्पड़ अपने हक और हुकूक के लिए किसी को मारा जाता है तो सरकारी मशीनरी अपने हक के लिए लड़ने वाले को ही जेल की हवा खिला देती है। परन्तु जब कोई प्रशासनिक अधिकारी गरीब को थप्पड़ मार देता है जो कि अपने मेहनत और हक के लिए मांग करता है तो उसको सिर्फ उच्चाधिकारियों के दबाव में माफी देकर ही गरीब हक मांगने वाले को दबाने का काम ही किया जाता है।
ऐसा ही कुछ नजारा दो दिन के भीतर ही बीकापुर क्षेत्र में देखने को मिला जब शनिवार को हुए समाधान दिवस में बीकापुर क्षेत्र के पातूपुर दोहरी निवासी ८५ वर्षीय बुजुर्ग किसान रामतेज वर्मा ने कई बार शिकायत करने के बावजूद भी भूमि की पैमाइश ना होने से नाराज होकर लेखपाल सन्तोष दूबे को सबके सामने थप्पड़ मार दिया। जिस पर पुलिस विभाग ने कार्यवाही करते हुए बुजुर्ग किसान को जेल भेज दिया।
वहीं दूसरी तरफ रविवार को हैदरगंज थाना प्रभारी आलोक वर्मा से अखबार का पैसा मांगने पर समाचार पत्र विक्रेता सुनील पाण्डेय को थप्पड़ मार दिया गया, जिस पर पत्रकारों के हस्तक्षेप के बाद भी महज उच्चाधिकारियों की फटकार लगाने के बाद थाना प्रभारी को सिर्फ माफी मांग लेने पर ही छुट्टी मिल गई, कोई विधिक कार्यवाही नहीं हुई।
क्षेत्र में बुद्धिजीवियों के बीच चर्चा है कि जब बुजुर्ग ने थप्पड़ मारा था तो उसको जेल हो गई और हैदरगंज थाना प्रभारी आलोक वर्मा ने थप्पड़ मारा तो सिर्फ माफी मांग कर ही छूट मिल गई। यह दोहरा मापदंड समाज में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस संबंध में पुलिस क्षेत्राधिकारी अरविंद चौरसिया ने बताया कि उन्होंने पीड़ित समाचार पत्र विक्रेता सुनील पाण्डेय से मुलाकात कर संबंधित थाना प्रभारी को हिदायत दे दी गई है कि मीडिया से संबंधित लोगों तथा ग्रामीणों से सम्मानजनक व्यवहार करें ।