Home सम्पादकीय कुर्सी’ के चक्कर में नेताओं का ‘कुकृत्य’ शर्मनाक

    कुर्सी’ के चक्कर में नेताओं का ‘कुकृत्य’ शर्मनाक

     

    दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भाजपा के ऊपर तरह तरह आरोप लगाकर जनता को गुमराह करने के जुगत में जुटी है। लेकिन साहिनबाग को लेकर एक खुलासे ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के चेहरे पर लगा नकाब उतर गया। और असलियत देश के सामने है। भारत के कुछ नेता अपनी स्वार्थपरता के कारण इतने नीचे स्तर तक गिर जायेंगे। किसी ने कल्पना न की होगी। जो केजरीवाल अभी तक ईमानदारी का ढोल पीटकर केवल भाजपा को बदनाम करने पर तुले है। उन्ही के नेता संजय सिंह देश में मुस्लिम युवाओं को भड़काने और चरमपंथ फैलाने वाले संगठन पीएफआई से सम्पर्क में रहकर सरकार के खिलाफ माहौल तैयार किये। और इसमें कांग्रेस भी पीछे नही है। जिसमें कांग्रेसी नेता उदितराज समेत कईयों का नाम जुडा है। देश को बांटकर अपनी राजनीति चमकाने वाले इन नेताओं को अपनी कुर्सी के आगे सब कुछ गौड़ लगता है। बेचारे कुर्सी के चक्कर में चरमपंथी क्या आतंकवादियों से भी सम्पर्क बना सकते है। केजरीवाल ने हाल ही में एक ऐसे सख्स के आवास पर सुर्खियों में रहे जो देश विरोधी कार्यो में संलिप्त था। खुलासा साहिनबाग प्रदर्शन को लेकर किया गया है। जहां प्रवर्तन निदेशालय को शाहीन बाग प्रदर्शनों के तार पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जोड़ने वाले कुछ सबूतों का पता चला है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सामने आने वाली इस सूचना का संबंध पीएफआई के साथ आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं के साथ भी है। ईडी सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय जांच एजेंसी ने पीएफआई का कुछ अन्य संगठनों के साथ संबंधों का पता लगाया है, जिसमें आप के कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं। ईडी ने इसके अलावा पीएफआई के साथ भीम पार्टी के संबंधों पर जांच शुरू कर दी है। ईडी सूत्रों ने पाया कि 120.5 करोड़ रुपए 17 विभिन्न बैंकों के कुल 73 बैंक खातों में भेजा गया, जिसमें से 27 बैंक खाते पीएफआई, नौ बैंक खाते रेहाब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ) और कुछ खाते निजी लोगों व संस्थानों द्वारा संचालित है।ईडी ने बड़ा खुलासा करते हुए पाया कि आप- कांग्रेस से संपर्क में हैं PFI का कार्यकर्ता और शाहीन बाग में है ही इसका मुख्यालय। इस खुलासे के बाद आप और कांग्रेस भले ही पल्ला झाड़कर निकलना चाहे लेकिन सच्चाई से तो पल्ला नही झाड सकते है। क्योकि प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में नगद के जरिए चंदा दिया गया, जिसमें से एक तिहाई चंदा को पीएफआई के शाहीन बाग स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में रखा गया है। जांच से पता चला कि पीएफआई दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मोहम्मद परवेज अहमद आप और कांग्रेस के कई नेताओं के संपर्क में था। जनवरी में, ईडी ने सीएए-विरोधी प्रदर्शनों के लिए पीएफआई और आरएफआई को 120 करोड़ रुपए के फंडिंग के सबूत जुटाए थे, जोकि मुख्यत: दिल्ली के शाहीनबाग क्षेत्र के लिए थे। ईडी ने पहले ही पीएफआई और आरएफआई के बैंक खातों में पैसे भेजने वाले लोगों की जानकारी के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी कई टीमों को भेजकर जांच में जुटी है। और पीएफआई के कई लोगों को पुलिस ने देश के विभिन्न जगहों से गिरफ्तार भी किया है। मालूम होना चाहिए पीएफआई के लोग भले कुछ कहें लेकिन इसका इतिहास देश के लिए सही नही है। और यह संगठन देश में उन्माद, कट्टरता और कई राष्ट्र विरोधी कार्यों में संलिप्त पाया गया है। बीते 14 वर्षों से यह संगठन सामाजिक और मानवाधिकार कार्य के नाम पर लोगों को उत्साहित करके केवल धार्मिक कट्टरता और उन्माद फैलाकर देश की एकता और अखण्डता को बिगाड़ने के लिए प्रयासरत है। और इस समय भाजपा सरकार से तो सभी विरोधी नेता और अधिकतर मुस्लिम संगठन खार खाये है। जिससे सभी मिलकर भाजपा को बदनाम करने में जुटे है। भाजपा विरोधियों के पास कोई मुद्दा न होने से देश को भड़काने के लिए अब आतंकवादियों और चरमपंथियों का सहारा ले रहे है। दिल्ली विधान सभा चुनाव में भले कांग्रेस और आप अलग लड रहे है लेकिन निर्धारित सीट न मिलने पर ये दोनो फिर एक होकर कुर्सी के चक्कर में जनता को धोखा देने से पीछे नही हटेंगे। देश के लोगों को चाहिए कि इस तरह के नेताओं का पूर्णतः त्याग कर दे जो देश को बांटने और देश विरोधी लोगों के साथ जुटे हो।

    संतोष कुमार तिवारी….✒
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