Home अयोध्या धूमधाम से निकली भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा

धूमधाम से निकली भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा

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अयोध्या …मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा धूमधाम से निकाली गयी । परम्पराओं को जीवित रखना और उसे सर्वव्यापी स्वरूप देना ही संत धर्माचार्यो और भक्तों का कर्तव्य है । जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा हिन्दू समाज मे समरस्ता स्थापित कर हिन्दुओ को एक सूत्र मे बांधे हुए है । यह मात्र यात्रा ही नहीं यह हमारे धार्मिक सांस्कृतिक जीवन मूल्यों की रक्षा करने वाली महाऔषधि है । जिसके कारण विश्व का हिन्दू विषमता से समता मे निरूपित हो जाता है । उक्त विचार श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज ने श्री जगन्नाथ भगवान जी की रथयात्रा के दौरान मणिराम दास छावनी से निकली यात्रा में उपस्थित भक्तों के बीच प्रकट किये । उन्होंने कहा कि भगवान हर युग मे भक्तों को दर्शन देने के लिये प्रकट होते हैं, आवश्यकता है कि भक्त उन्हें अन्तःकरण से पुकारें । श्रीजगन्नाथ भगवान की यात्रा का उद्देश्य इसी से परिभाषित होता है कि लाखों लोग समरस भाव से रथ को खींचने में एकाग्रता और एकात्मता का परिचय देते हैं वहीं जिस श्रद्धा और भक्ति से पुरी के मन्दिर में सभी लोग बैठकर एक साथ श्रीजगन्नाथ जी का महाप्रसाद प्राप्त करते हैं उससे वसुधैव कुटुंबकम का महत्व स्वत: परिलक्षित हो जाता है । इससे संदेश जाता है कि हमारे पर्व त्योहार और मेले सभी सामाजिक जीवन मूल्यों को अक्षुणता प्रदान करने वाले हैं । उन्होंने आगे कहा कि आज समाज को पथभ्रष्ट करने की साजिश की जा रही है । पूर्व में भी इसी प्रकार के षडयंत्र चले लेकिन वह हमारी संस्कृति और परंपराओं को समाप्त नहीं कर पाये । पूर्व और आज वर्तमान में भी हम अपने लोक एवं जनकल्याणकारी पथ के अनुगामी बने हुए निरन्तर आगे बढ़ रहे हैं । संस्कृति और परम्पराओ की रक्षा का दायित्व हम सभी का है और यह तभी सम्भव होगा जब समाज ऐसे धार्मिक अनुष्ठानो में सहभागी बनेगा ।

इस अवसर पर कृपालु राम दास “पंजाबी बाबा”, अंतर्राष्ट्रीय सीताराम नाम बैंक मैनेजर पुनीत राम दास, कथा व्यास महंत संत जानकी दास, पुजारी राम मिलन दास, मधुरेश जी, प्रेम दास, रामसेवक दास, बलराम दास, स्वामी देवेसाचार्य, राम जी दास, संत ब्रजमोहन दास, प्रमोद पांडेय सहित विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्तीय प्रवक्ता शरद शर्मा आदि सैंकड़ों संत धर्माचार्यो के द्वारा रथ को खींच कर सरयू तट तक परिक्रमा भी की गयी ।

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