Home अयोध्या नहीं हो सकती सन्तोष दूबे की गिरफ़्तारी- उच्च न्यायालय

नहीं हो सकती सन्तोष दूबे की गिरफ़्तारी- उच्च न्यायालय

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हमार पूर्वांचल
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अयोध्या, फैजाबाद
फैज़ाबाद पुलिस को लताड़ते हुये उच्च न्यायालय की लखनऊ बेन्च ने धर्मसेना प्रमुख सन्तोष दूबे की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है। माननीय न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह व अजय लाम्बा की डबल बेन्च ने फैज़ाबाद पुलिस को लताड़ते हुये निर्देश दिये हैं कि पुलिस न्यायालय की अवमानना करने से बचे। माननीय न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह व अजय लाम्बा की डबल बेंच द्वारा दिये गये निर्णय में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारतीय दण्ड विधान की धारा – ४१ तथा ४१ ए के अन्तर्गत अरूणेश कुमार विरुद्ध स्टेट ऑफ बिहार ( २०१४ ) ८ प्रभाग – २७३ का उदाहरण देते हुये कहा कि सात वर्ष या उससे कम की सजा में पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर सकती, जबकि धर्मसेना प्रमुख के प्रकरण में दर्ज धाराओं १४३, १५३, ५०१, व ५०४ में छः माह से लेकर दो वर्ष तक की ही सजा का प्रावधान है ।

जहाँ भारतीय दण्ड विधान की धारा ४१ ( १ ) ( बी ) को उद्धृत करते हुये भी माननीय उच्च न्यायालय ने सात साल से कम की सजा पर गिरफ्तारी नहीं होने के प्रावधानों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है, वहीं इस पर प्रदेश के विभिन्न हिन्दूवादी सामाजिक संगठनों ने माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ बेन्च के उक्त निर्णय की सराहना करते हुये खुशी जाहिर की है । हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पाण्डेय ने माननीय उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि भारतीय न्यायपालिका के उक्त निर्णय से षड्यंत्रकारियों के मुँह पर करारा तमाचा लगा है तथा क्षत्रिय महासभा के संयोजक एवं साकेत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डाॅ एच बी सिंह ने इसे सत्य व न्याय की विजय करार दिया।

अयोध्या धाम समिति के संयोजक संजय महिन्द्रा, चाणक्य परिषद के संरक्षक कृपानिधान तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता वेद राजपाल, विनीता पाण्डेय, पाटेश्वरी सिंह आदि ने भी उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय की सराहना करते हुये शासन से मांग की है कि षड्यंत्र का पर्दाफाश करते हुये सांसद व विधायकों की भूमिका पर उठने वाले सवाल की जांच करते हुये दोषियों को उचित सजा दी जाए  ।

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